PACL Ponzi Scam: PACL घोटाले में निवेशकों को कितने पैसे मिले वापस, सुप्रीम कोर्ट ने मांगी डिटेल

PACL Ponzi Scam: पीएसीएल और निर्मल सिंह भंगू समेत इसके कई प्रवर्तक और निदेशक चिट फंड योजनाओं के माध्यम से निवेशकों से एकत्र किए गए 49,100 करोड़ रुपये को वापस करने में कथित विफलता के कारण कानूनी लड़ाई में फंस गये हैं।

PACL Supreme Court

पीएसीएल पोंजी घोटाला

PACL Ponzi Scam:उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बाजार नियामक सेबी और अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति से पीएसीएल की पोंजी योजनाओं के निवेशकों को वितरित की गई और एकत्र की गई कुल राशि का ब्योरा मांगा है।शीर्ष अदालत ने बाजार नियामक निकाय भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और न्यायालय द्वारा नियुक्त पूर्व प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति से पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) की संपत्तियों की बिक्री, रिफंड की स्थिति और फर्म के निवेशकों के बकाये के बारे में नवीनतम विवरण प्रदान करने के लिए कहा है।

49,100 करोड़ का घोटाला

पीएसीएल और निर्मल सिंह भंगू समेत इसके कई प्रवर्तक और निदेशक चिट फंड योजनाओं के माध्यम से निवेशकों से एकत्र किए गए 49,100 करोड़ रुपये को वापस करने में कथित विफलता के कारण कानूनी लड़ाई में फंस गये हैं।न्यायामूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने सेबी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रताप वेणुगोपाल की उन दलीलों का संज्ञान लिया जिसमें कहा गया है कि नियामक अपने द्वारा अब तक उठाए गए कदमों और न्यायमूर्ति लोढ़ा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को दाखिल करने का इच्छुक है।वेणुगोपाल की दलील पर पीठ ने सेबी और समिति की ओर से अब तक की गई कार्यवाही की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी। अदालत ने पीएसीएल की संपत्तियों की बिक्री से अब तक प्राप्त धन, वितरित राशि और निवेशकों के बकाया का विवरण भी मांगा है।पीठ मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी को करेगी।

क्या है पूरा मामला

पीएसीएल यानी पर्ल ग्रुप ने आम लोगों से खेती और रियल एस्टेट जैसे कारोबार के नाम पर करीब 60,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी ने यह निवेश 18 वर्षों के दौरान गैरकानूनी तरीके से हासिल किया था। और उसने निवेशकों को पैसा भी नहीं लौटाए। तब इस मामले में सेबी ने दखल दिया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में लोढ़ा कमिटी का गठन किया था। सीबीआई के अनुसार, अगस्त 2022 तक कमिटी ने पीएसीएल और उससे जुड़ी संस्थाओं की संपत्तियों को बेचकर 878.20 करोड़ रुपये रिकवर किए थे।

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