पराली जलाने वालों को आर्थिक फायदा नहीं दें, MSP से किया जाए वंचित- सुप्रीम कोर्ट का बड़ी टिप्पणी

SC Says Deny MSP Who Burn Stubble: सुप्रीम कोर्ट ने यह भी किसान को खलनायक बनाया जा रहा है और खलनायक की बात नहीं सुनी गई । हो सकता है कि उसके पास कुछ कारण हो। केंद्र और राज्यों को राजनीति भूलकर' यह देखने में अपना दिमाग लगाना चाहिए कि पराली जलाने को कैसे रोका जा सकता है।

MSP SUPREME COURT

पराली जलाने पर होगी सख्ती !

SC Says Deny MSP Who Burn Stubble: दिल्ली NCR में प्रदूषण का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर प्रदूषण कम करने की बात दोहराई है। कोर्ट ने सवालिया लहजे में पूछा कि पराली जलाकर कानून का उल्लंघन करने वाले लोगों को आर्थिक लाभ क्यों दिया जाए। उन पर एफआईआर, जुर्माने के अलावा, उन्हें MSP से भी वंचित किया जाए। कोर्ट ने कहा कि कुछ ऐसा कीजिए जिससे उनकी जेब को धक्का लगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्यों को राजनीति भूलकर' यह देखने में अपना दिमाग लगाना चाहिए कि पराली जलाने को कैसे रोका जा सकता है। इसने कहा कि आरोप-प्रत्यारोप का खेल जारी रहने से वायु प्रदूषण के कारण लोग प्रभावित होंगे। साथ ही कोर्ट ने किसानों पर खास टिप्पणी करते हुए कहा कि किसान को खलनायक बनाया जा रहा है और खलनायक की बात नहीं सुनी गई है। हो सकता है कि उसके पास कुछ कारण हो।

राजनीति भूल कर दिमाग लगाएं

राज्यों और केंद्र को राजनीति भूलकर यह देखने में अपना दिमाग लगाना चाहिए कि फसल अवशेषों को जलाने को कैसे रोका जा सकता है।न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि लोगों को इससे कोई सरोकार नहीं है कि आप इसे कैसे करते हैं और आप क्या करते हैं तथा अदालत का काम बारीकियों में पड़ना नहीं है। अदालत का काम है आपसे आपका काम करवाना, यानी प्रदूषण को रोकना। आप यह कैसे करते हैं यह आपकी समस्या है।
प्रदूषण के मामले में न्यायालय का सहयोग कर रहीं न्याय मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने पीठ को सूचित किया कि रविवार को भी पंजाब से पराली जलाने की 700 से ज्यादा घटनाएं सामने आईं।पीठ ने कहा कि एकमात्र व्यक्ति जो इसका उत्तर दे सकता है वह किसान है। वह आपको बता सकता है कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। वह यहां नहीं है। किसान को खलनायक बनाया जा रहा है और खलनायक की बात नहीं सुनी गई है। हो सकता है कि उसके पास कुछ कारण हों।
शीर्ष अदालत गंभीर वायु प्रदूषण से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी, जो हर बार सर्दियों में दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) को प्रभावित करता है।फसल अवशेष जलाने से संबंधित मुद्दे के अलावा, पीठ ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश में खुले में कचरा जलाने से संबंधित अन्य मामलों पर भी विचार किया।पीठ ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकारों से इस संबंध में कार्रवाई करने और उसके समक्ष रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

हरियाणा से सीखे दिल्ली सरकार

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी फटकार लगाई। उसने कहा कि सरकार ने कहा कि पहले दिल्ली ने कहा कि पंजाब समस्या है, अब कहते हैं कि पंजाब समस्या नहीं है, इसमें राजनीति न करें। पंजाब सरकार ने कहा कि सरकार की तरफ से जो मशीनें दी गई हैं, उस पर 80 फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है। कोर्ट ने कहा कि हरियाणा द्वारा किए गए वित्तीय प्रोत्साहन के प्रयास से पंजाब भी सीख ले सकता है।
खुले में कूड़ा जलाने के मुद्दे पर पीठ ने पूछा कि इसे नियंत्रित करने के लिए दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकारों ने क्या कार्रवाई की है। इसने कहा कि यह यूपी और दिल्ली दोनों में एक समस्या है। हम उम्मीद करते हैं कि दिल्ली और यूपी दोनों कार्रवाई करेंगे तथा हमारे सामने रिपोर्ट दाखिल करेंगे।पीठ ने मामले में अगली सुनवाई के लिए सात दिसंबर की तारीख निर्धारित की।
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