खनिजों पर रॉयल्टी टैक्स है या नहीं, सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
Royalty Tax On Minerals: सुप्रीम कोर्ट ने खनिजों पर देय रॉयल्टी को खान और खनिज (विकास और विनियमन) एक्ट 1957 के तहत टैक्स मानने और इसकी वसूली का अधिकार केंद्र के साथ राज्यों को भी होने के विवादास्पद मुद्दे पर अपना फैसला गुरुवार को सुरक्षित रख लिया।

सुप्रीम कोर्ट
खनिजों पर टैक्स लगाने के अधिकार को कमजोर न हो
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि संविधान खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति न केवल संसद को बल्कि राज्यों को भी देता है। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा था कि खनिजों पर कर लगाने के अधिकार को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने दलील दी थी कि केंद्र के पास खानों और खनिजों पर कर लगाने के संबंध में अत्यधिक शक्तियां हैं। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (एमएमडीआरए) की पूरी संरचना खनिजों पर कर लगाने की राज्यों की विधायी शक्ति पर सीमा लगाती है और कानून के तहत केंद्र सरकार को ही रॉयल्टी तय करने का अधिकार है।
'रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं'
हालांकि, याचिकाकर्ता झारखंड की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा था कि रॉयल्टी कोई कर नहीं है और राज्यों को राज्य सूची के विषय 49 एवं 50 के तहत खानों और खनिजों पर कर लगाने की शक्ति है। प्रविष्टि 49 के तहत राज्यों को भूमि और भवनों पर कर लगाने की शक्ति है जबकि प्रविष्टि 50 राज्यों को खनिज विकास से संबंधित कानून के तहत संसद द्वारा लगाई गई किसी भी सीमा के अधीन खनिज अधिकारों पर कर लगाने की अनुमति देती है। दरअसल, इस मुद्दे पर संविधान पीठ के दो स्पष्ट रूप से विरोधाभासी फैसले थे। इस वजह से नौ न्यायाधीशों की बड़ी पीठ ने इस जटिल मामले की सुनवाई की है। (भाषा)
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