मां-दादी की साड़ियों को बना दिया 50 करोड़ का ब्रांड, जोश भर देगी बिस्वास बहनों की कहानी
Biswas Sisters Suta Sarees: पश्चिम बंगाल की रहने वाली सुजाता और तानिया बिस्वास ने अपनी मां और दादी की साड़ियों से प्रेरणा लेकर साल 2016 में साड़ियों का बिजनेस शुरू किया। दोनों बहनों ने 6 लाख रुपये से सुता की शुरुआत की थी, जो आज 50 करोड़ रुपये का ब्रांड बन चुका है।
बिस्वास बहनों ने साल 2016 में शुरू किया था साड़ी का बिजनेस (फोटो: इकोनॉमिक टाइम्स)
- मां और दादी की साड़ियों से मिला बिजनेस का आइडिया
- साल 2016 में 6 लाख रुपये से शुरू किया बिजनेस
- आज भारत के साथ-साथ यूके, यूएस जैसे तमाम देशों में बिक रही साड़ियां
Biswas Sisters Suta Sarees: मां और दादी की साड़ियों से प्रेरित पश्चिम बंगाल की बिस्वास बहनों की कहानी आज हम सभी के लिए काफी प्रेरणादायक हैं, जिन्होंने आज अपने साड़ी ब्रांड सुता को 50 करोड़ रुपये का ब्रांड बना दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सुजाता बिस्वास (Sujata Biswas) और तानिया बिस्वास की, जिन्होंने साल 2016 में सुता की स्थापना की और आज उनकी साड़ियां भारत के साथ-साथ अमेरिका और यूके जैसे तमाम देशों की लड़कियां और महिलाएं पहन रही हैं
मलमल की कॉटन साड़ियों पर शुरू किया काम
इकोनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में बिस्वास सिस्टर्स ने बताया कि उन्होंने सॉफ्ट मलमल कॉटन साड़ियों (Mulmul Cotton Sarees) पर काम किया, जो आमतौर पर घर में पहनी जाती हैं। सुजाता और तानिया इन शानदार क्राफ्टेड साड़ियों को मेनस्ट्रीम में इंट्रोड्यूस करना चाहती थीं, जिसे कामकाजी महिलाएं भी अपने फंक्शन्स में पहन सकें। बिस्वास सिस्टर्स के साड़ी ब्रांड सुता का मतलब है धागा।
बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए काम कर चुकी हैं बिस्वास सिस्टर्स
37 साल की बड़ी बहन सुजाता IIFT से पढ़ीं हैं, वे एस्सार और जिंदल ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियों के लिए काम कर चुकी हैं तो वहीं छोटी बहन तानिया (Taniya Biswas) लखनऊ IIM से ग्रेजुएशन के बाद टाटा ग्रुप और आईबीएम जैसी दिग्गज कंपनियों के लिए काम कर चुकी हैं। लेकिन दोनों बहनों की चाहत थी कि वे एक साथ मिलकर कुछ काम करें।
पैनकेक चेन से शुरू किया था बिजनेस
दोनों ने कई आइडिया पर काम किया और फिर उन्होंने पैनकेक चेन की शुरुआत की जो कुछ ही महीनों में खत्म हो गई। इसके बाद उन्होंने एक फोटोग्राफी पेज शुरू किया जिसके लिए वे अलग और यूनीक कपड़े डिजाइ करने लगीं। लेकिन उन्होंने देखा कि लोगों को फोटोग्राफी से ज्यादा कपड़ों में दिलचस्पी थी।
दोनों बहनों ने 3-3 लाख रुपये का किया निवेश
इसके बाद दोनों बहनों के मन में सॉफ्ट साड़ी का खयाल आया, जिसे वे बचपन में अपनी मां और दादी को पहनते हुए देखती थीं। दोनों बहनों ने अपनी बचत में से 3-3 लाख रुपये निवेश किए और मलमल की कॉटन साड़ियां बेचना शुरू किया। ये काम दोनों बहनों को जल्द ही सूट करने लगा। इसके बाद दोनों ने कारीगरों और बुनकरों को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया, जिन्होंने मजबूरी में अपना मूल काम छोड़ दिया था।
बाजार में आते ही पसंद आने लगीं सुता की साड़ियां
बिस्वास बहनों ने बताया कि उन्होंने स्टार्च-फ्री साड़ियों का पहला बैच बिना किसी पेड प्रोमोशन के ऑनलाइन बेचा। तानिया कहती हैं कि जिन ग्राहकों को मलमल के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है, उन्होंने भी उसके लुक को देखकर साड़ियां खरीदीं। ग्राहकों ने महसूस किया कि सुता की साड़ियां ब्रेथेबल फैबरिक से बनी हैं, जो काफी आरामदायक थीं। और यहीं से बिस्वास सिस्टर्स का सुता एक ब्रांड के रूप में खड़ा हो गया।
साड़ियों की कीमत का 40 फीसदी तक बुनकरों को मिलता है
बिस्वास सिस्टर्स ने बताया कि उनकी साड़ियों की कीमत का 30 से 40 फीसदी हिस्सा बुनकरों को दिया जाता है। रेवेन्यू के मामले में सुता जिसने 6 लाख रुपये से अपनी शुरुआत की थी, वित्त वर्ष 2023 में ये बढ़कर 56 करोड़ रुपये हो चुका है। बिस्वास सिस्टर्स का लक्ष्य है कि इसे अगले साल बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये किया जाए।
अमेरिका, यूके जैसे तमाम देशों में बिक रही हैं सुता की साड़ियां
सुता साड़ियां आज सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर, यूके, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और मॉरीशस जैसे देशों में भी पहनी जा रही हैं। कंपनी की कोशिश है कि वे जल्द ही बाकी देशों में भी अपनी मौजूदगी को बढ़ाएं।
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मैं सुनील चौरसिया,. मऊ (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं और अभी दिल्ली में रहता हूं। मैं टाइम्स नाउ नवभारत में बिजनेस, यूटिलिटी और पर्सनल फाइनेंस पर...और देखें
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