मोदी सरकार के लिए चुनौती बनेंगे ये नंबर, दिवाली से पहले बढ़ी परेशानी
Indian Economy Challenge :तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक और उसके सहयोगियों (OPEC+)ने कच्चे तेल की घटती कीमतों को देखते हुए, उत्पादन में प्रतिदिन 20 लाख बैरल की कटौती करने का फैसला किया है। यह कटौती एक नवंबर से लागू होगी। जिसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा। जो मोदी सरकार के लिए नई चुनौती है।
फाइल फोटो: पीएम नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
- विश्व बैंक ने भारत की GDP ग्रोथ रेट के अनुमान में एक फीसदी की कटौती कर दी है।
- सर्विस सेक्टर 6 महीने के निचले स्तर पर आ गया है।
- ओपेक प्लस देशों के फैसले से पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर राहत मिलने की कम उम्मीद ।
Indian Economy Challenge : दिवाली नजदीक है, उम्मीद थी कि त्योहारों पर महंगाई (Inflation)से राहत मिलेगी, और लोगों के जेब में ज्यादा पैसा आएगा। लेकिन ऐसा होते नहीं दिख रहा है। इसकी सबसे ताजा वजह कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों पर ओपेक प्लस (OPEC +) देशों का फैसला है। जिसमें उन्होंने तेल उत्पादन में कटौती का फैसला कर दिया है। ऐसे में पहले से ही मंदी की आशंका से बिगड़े वैश्विक माहौल में ओपेक प्लस का फैसला और महंगाई बढ़ाएगा। इसी तरह सितंबर महीने में भारतीय सर्विस सेक्टर (PMI) का आंकड़ा भी उम्मीदों भरा नहीं रहा है। इसके बाद विश्व बैंक (World Bank) की ताजा रिपोर्ट ने रही सही कसर पूरी कर दी है। उसने भारत की ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) का अनुमान एक फीसदी घटा दिया है।
ओपेक प्लस देशों के फैसले से पेट्रोल-डीजल पर राहत नहीं
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तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक और उसके सहयोगियों (OPEC+)ने कच्चे तेल की घटती कीमतों को देखते हुए, उत्पादन में प्रतिदिन 20 लाख बैरल की कटौती करने का फैसला किया है। यह कटौती एक नवंबर से लागू होगी। असल में पिछले हफ्ते कच्चे तेल की कीमतें गिरकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में 82 डॉलर प्रति डॉलर तक आ गई थी। जबकि जून 2022 में यह 123 डॉलर प्रति बैरल था। इसे देखते हुए देशों ने कटौती का फैसला किया है। कटौती के फैसले के बाद से ही कीमतों पर असर दिखने लगा है और शुक्रवार को 96 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। ऐसे में जब भारत 80 फीसदी पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करता है, तो उसके लिए इन परिस्थितियों में कीमतों में कटौती करना मुश्किल होगा। और उसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा।
फिर बढ़ेगी ईएमआई
रॉयटर्स के अनुसार डीसीबी (DCB) ने सितंबर में भारत में महंगाई दर पांच महीने के उच्चतम स्तर पर रहने का अनुमान जताया है। उसके अनुसार सितंबर में रिटेल महंगाई दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो यह भारतीय रिजर्व बैंक के टारगेट से कहीं ज्यादा होगा। आरबीआई का महंगाई पर सामान्य स्तर 6.0 फीसदी है। जिसकी तुलना में में यह अनुमान कहीं ज्यादा है। इसका असर आने वाले दिनों में आरबीआई की मौद्रिक नीति में दिख सकता है। और एक बार फिर कर्ज लेना महंगा हो सकता है। अगस्त में महंगाई दर 7.0 फीसदी के स्तर पर थीं।
सर्विस सेक्टर में 6 महीने का निचला स्तर
एक और आंकड़ा चिंताएं बढ़ाता है। भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधि सितंबर में छह महीने के निचले स्तर पर आ गई है। इस दौरान महंगाई के कारण नए व्यापार में सबसे धीमी दर से बढ़ोतरी हुई। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विसेस PMIअगस्त में 57.2 से घटकर सितंबर में 54.3 अंक पर आ गया। यह मार्च के बाद सबसे निचला स्तर है। हालांकि अच्छी बात यह है कि सूचकांक 50 अंक से ऊपर बना हुआ है। जो कि इकोनॉमी में सकारात्मकता का संकेत देता है।
विश्व बैंक ने विकास दर घटाई
विश्व बैंक (World Bank) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत की GDP ग्रोथ रेट के अनुमान में एक फीसदी की कटौती कर दी है। विश्व बैंक ने भारतीय इकोनॉमी के 6.5 फीसदी के दर से ग्रोथ करने का अनुमान जताया है। विश्व बैंक का यह अनुमान जून 2022 में जारी किए अनुमान से एक फीसदी कम है। विश्व बैंक ने कटौती की वजह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब होती परिस्थितियां हैं। इसके अलावा विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि दक्षिण एशिया में दूसरे देशों की तुलना में भारत ने निर्यात और सर्विस सेक्टर में कोविड-19 के बाद तेज रिकवरी की है।
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