दुनिया में टमाटर-प्याज की किल्लत, भारत में गिरती कीमत से किसान परेशान, एक्शन में पीएम मोदी
दुनिया भर में आर्थिक विकास की रफ्तार कम होती जा रही है। इसी बीच ब्रिटेन, पाकिस्तान समेत कई देशों में टमाटर और प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं। दूसरी ओर भारत में प्याज कम कीमत की वजह से किसान परेशान हैं।
दुनिया में प्याज-टमाटर की किल्लत के बीच पीएम मोदी कैसे एक्शन में हैं। और आर्थिक विकास की जो नई रिपोर्ट आई है, उसमें पीएम मोदी और भारत के लिए क्या खबर आई है। और इस साल आपकी सैलरी कितनी बढ़ेगी या घटेगी, इसकी भी रिपोर्ट आई है। दुनिया भर में आर्थिक विकास की कम होती रफ्तार से चिंता है। इसके बीच भारत के भी जीडीपी के नए आंकड़े आए हैं। अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही में जो जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े आए हैं उसके मुताबिक अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक 4.4% की ग्रोथ है। रिजर्व बैंक ने भी इतनी ग्रोथ का अनुमान लगाया था। यानी भारत की विकास दर अनुमान के मुताबिक ही बढ़ रही है। कम नहीं हो रही है। जबकि दुनिया भर में विकास दर कम हो रही है। युद्ध और कोरोना की वजह से दुनिया के बड़े-बड़े देश संकट में हैं।
ग्लोबल इकॉनमी 2022- 3.4 % अनुमान
ग्लोबल इकॉनमी 2023 - 2.9 % का अनुमान
लेकिन भारत की विकास दर पिछले तीन तिमाहियों की देखें तो अप्रैल से जून 2022 तक 13.5 % ये पिछले साल के मुकाबले हैं, जब कोरोना के बाद रिकवरी शुरू हो रही थी इसलिए ग्रोथ उसके मुकाबले ज्यादा थी। जुलाई से सितंबर 2022 तक 6.3% थी। अक्टूबर से दिसंबर 2022 तक 4.4 % थी। पिछले साल इस वक्त पर रिकवरी तेज हो चुकी थी इसलिए उसके मुकाबले में अब 4.4 परसेंट की ग्रोथ भी अच्छी है। 2022-23 में GDP ग्रोथ 7 % अनुमान है। Financial year 2021-22 में दुनिया कोरोना से जुझ रही थी, भारत में इसकी चपेट में था इसके बावजूद 2021-22 में भारत की ग्रोथ रेट अनुमान से ज्यादा रही। NSO के ताजा आंकड़े के मुताबिक 2021-22 में GDP ग्रोथ रेट को 8.7 % से बढ़ाकर 9.1 % कर दिया गया है।
दुनिया में महंगाई आउट ऑउ कंट्रोल, प्याज टमाटर की किल्लत
भारत जिस तरह से विकास कर रहा है, उसे पूरी दुनिया के हिसाब से देखेंगे तो ये विकास बहुत तेज है, क्योंकि दुनिया का हाल ये है कि महंगाई कंट्रोल से बाहर है। ब्रिटेन जैसे अमीर देशों का हाल ये है कि वहां पर Cost of living लोगों के बस के बाहर हो गई है। ब्रिटेन की स्थिति तो ये है कि वहां पर पिज्जा में टमाटर नहीं डाले जा रहे। क्योंकि टमाटर एक तो मिल नहीं रहे, दूसरी बात टमाटर बहुत महंगे हो गए हैं। यूके में टमाटर के दाम चार गुना बढ़ गए हैं। यूके के ग्रॉसरी स्टोर्स में टमाटर 250 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है। यही नहीं टमाटर खरीदने पर लिमिट भी लगी हुई है कि 2 टमाटर का एक पैकेट, जिसमें 250 से 300 ग्राम टमाटर होते हैं, वो तीन से ज्यादा पैकेट नहीं खरीद सकते। इसलिए रेस्टोरेंट वालों ने अपने menu से टमाटर हटा दिए हैं। पास्ता और पिज्जा बनाने वाले अब टमाटर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। वहां पर टमाटर फ्री पिज्जा दिया जा रहा है।
हमारे यहां टमाटर 20 से 22 रुपए किलो यहां नोएडा में मिल रहा है। और जितना चाहे उतना टमाटर खरीद सकते हैं। इसी तरह कई देशों में प्याज की भारी किल्लत है, जिस वजह से प्याज काफी महंगा बिक रहा है। उदाहरण के लिए फिलीपींस में स्प्रिंग रोल बेचने वाले रेस्टोरेंट अपनी रेसेपी चेंज कर रहे हैं ताकि ज्यादा प्याज का इस्तेमाल ना करने पड़े। फिलीपींस में मीट से ज्यादा महंगा प्याज बिक रहा है, वहां एक किलो प्याज के लिए आपको 1200 रुपए देने होंगे। इसी तरह मोरक्को में लोगों ने खाने में प्याज और टमाटर का इस्तेमाल कम करने को मजबूर हो गए हैं। पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, अजरबैजान, ऑस्ट्रिया, कजाकिस्तान, मोरक्को, तुर्किए ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है। कई देशों ने प्याज के साथ-साथ गाजर, टमाटर, आलू और सेब के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। हमारे पड़ोस में पाकिस्तान, वहां पर प्याज की कीमत 250 रुपए प्रति किलो तक प्याज बिक रहा है।
भारत में प्याज का भाव
भारत में 18 रुपए से 20 रुपए में प्याज बिक रहा है। भारत में प्याज की जो सबसे बड़ी होलसेल मंडी है, वो महाराष्ट्र के नासिक के लासलगांव में हैं। लासलगांव में सबसे अच्छी क्वॉलिटी के प्याज का रेट दिसंबर में 1850 रुपए क्विंटल था। और अब ये करीब 550 रुपए क्विंटल हो गया है। एक क्विंटल में 100 किलोग्राम होते हैं। यानी इस हिसाब से 5 से साढ़े 5 रुपए किलो के रेट पर प्याज होलसेल मंडी में बिक रहा है। भारत में इस बार प्याज की इतनी सप्लाई हो गई है कि प्याज के दाम होलसेल में क्रैश हो गए। कई किसान तो प्याज की लागत तक वसूल नहीं कर पाए। जैसे महाराष्ट्र के सोलापुर का ही एक केस है। यहां के एक किसान ने राजेंद्र तुकाराम चव्हाण ने 17 फरवरी को मंडी में 512 किलो प्याज बेचा, प्याज को मंडी तक लाने का किराया, तुलाई, मजदूरी सब पैसा काटकर किसान को महज 2 रुपए का चेक मिला। राजेंद्र तुकाराम चव्हाण ने 2 एकड़ खेत में प्याज की फसल उगाई थी। फिर मंडी में बेचने के लिए प्याज के 10 बोरे तैयार किए, उनका कुल वजन 512 किलो था, प्याज के दाम गिरने की वजह से तुकाराम को 1 रुपये प्रति किलो के भाव से प्याज बेचना पड़ा।
भारत में सड़क पर फेंके जा रहे हैं प्याज
प्याज की कीमतों में इस तरह की गिरावट इसलिए आई है क्योंकि किसान बल्क में तीन तीन बार प्याज उगाते हैं और इसे एक साथ नहीं बल्कि किश्तों में बेचते हैं। इस बार प्याज की बंपर पैदावार भी हुई क्योंकि अच्छी बारिश से एमपी, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात में भी किसानों ने बड़े इलाके में प्याज लगाया। प्याज खराब ना हो इसलिए प्याज की सप्लाई मार्केट में ज्यादा हो गई। प्याज के सही दाम नहीं मिलने से किसान गुस्से में हैं। महाराष्ट्र के अहमदनगर में किसानों के संगठन ने सड़क पर प्याज फेंककर रास्ता जाम कर दिया और विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान 2 घंटे तक चक्का जाम रहा। किसानों की मांग है कि उन्हें उनकी फसल के सही दाम मिलें। इसी समस्या को देखते हुए मोदी सरकार एक्टिव हो गई है।
Consumer affairs ministry ने शुक्रवार को NAFED यानी National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India से कहा कि वो नासिक की मार्केट से Surplus प्याज खरीदे और उसे 2.उन राज्यों में बेचे जहां प्याज की फसल नहीं उगाई जाती ताकी किसानों को प्याज के सही दाम मिल सके। ये बात भी फैलाई जा रही थी कि सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है।
लेकिन सरकार ने ये साफ कर दिया है कि प्याज के निर्यात पर किसी तरह की रोक नहीं है। सरकार ने सिर्फ प्याज के बीजों के निर्यात पर रोक लगाई है। सरकार ने ये भी बताया कि अप्रैल से दिसंबर 2022 के बीच प्याज का निर्यात 16 % बढ़ा है, इस दौरान 523 मिलियन डॉलर यानी करीब 4320 करोड़ रुपये की कीमत का प्याज निर्यात किया है।
ऐसा कई बार होता है कि पैदावार ज्यादा होने की वजह से किसानों को फसल के सही दाम नहीं मिलते, किसानों की इसी तरह की समस्या को दूर करने के लिए कृषि कानून लाए गए थे, जिसमें किसानों को अपनी फसल बेचने के ज्यादा विकल्प दिए गए थे, किसान मंडियों के बाहर भी अपने फसल बेच सकते थे। कानून में ऐसे प्रावधान किए गए थे जिससे किसान अपनी फसल बेचने के लिए सिर्फ मंडियों पर निर्भर ना हो। निजी खरीददार भी सीधे किसानों से फसल खरीद सकते थे। लेकिन ये कहकर इसका विरोध किया गया कि सरकार मंडियों को खत्म कर देगी।
अभी एक मार्च और दो मार्च को जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक होने वाली है। जी-20 की अध्यक्षता भारत के पास है। और भारत का फोकस इस बात पर है कि भारत उन देशों की आवाज बने, जो देश आर्थिक विकास में गिरावट होने, महंगाई बढ़ने, खाने के कीमत बढ़ने, तेल और खाद की कीमत बढ़ने से चिंतित हैं। दुनिया में करीब 70 देश इस वक्त महंगाई से पीड़ित है। और ये वो देश हैं, जिनमें से ज्यादातर का रूस-यूक्रेन युद्ध से कोई संबंध नहीं है, फिर ये युद्ध की वजह से संकट में है। और ये सब चाहते हैं कि भारत उनकी बात करे।
इसलिए दो दिन पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा भी है कि जी-20 की प्रमुख चिंता ग्लोबल इकॉनमी को खतरे से उबारने के तरीके निकालने की होगी। आज की दुनिया का सबक यही है कि सुरक्षा का मतलब सिर्फ भौतिक और आर्थिक सुरक्षा नहीं होता। बल्कि खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा भी अहम है। जयशंकर ने कहा कि पीएम मोदी ने भारत में पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने नहीं दिए। और महंगाई को कंट्रोल में रखने के लिए कई कदम उठाए
पाकिस्तान ने फिर से बिजली के दाम बढ़ा दिए हैं। मार्च से अक्टूबर 2023 तक नए ट्रैरिफ
200 यूनिट तक 10.34 रुपये प्रति यूनिट
300 यूनिट तक 14.24 रुपये प्रति यूनिट
300 यूनिट से 700 यूनिट- 24 रुपये प्रति यूनिट
700 यूनिट से ज्यादा- 26 रुपये प्रति यूनिट
हमने आपको पहले भी बताया है कि युद्ध की वजह से ग्लोबल लेवल पर संकट इतना बढ़ गया है कि दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही है लेकिन इसके मुकाबले में भारत में हालात काफी ठीक हैं। Global consulting firm korn ferry के सर्वे के मुताबिक अनुमान है कि Corporate world में इस साल भारत में औसत सैलरी इंक्रीमेंट 9.8% रहेगा, पिछले साल ये आंकड़ा 9.4 % था, टॉप टैलेंट के मामले में इंक्रीमेंट 15 से 30 % तक हो सकता है। ज्यादा इंक्रीमेंट के दो मायने हैं पहला ये कि भारत के Corporate world में छंटनी का संकट नहीं है, बल्कि अपने कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए कंपनियां पिछले साल से ज्यादा इंक्रीमेंट देने वाली हैं। दूसरी बात ये है कि कंपनियों की वित्तीय स्थिति भी अच्छी है, तभी वो अपने कर्मचारियों को इंक्रीमेंट देने की हालत में है सर्वे में 818 कंपनियों से जुड़े 8 लाख लोग शामिल थे। सर्वे के मुताबिक Life Science, Healtcare और High technology जैसे सेक्टर में औसत इंक्रीमेंट 10 % से ज्यादा रहेगा
इसी तरह Global professional services company AON के सर्वे के मुताबिक इस साल भारत में सैलरी Increment 10.3 % रहने का अनुमान है। पिछले साल यानी 2022 में इंक्रीमेंट 10.6 % रहा था। सर्वे में 1400 कंपनियों को शामिल किया गया है।
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