India-US Trade Talks: भारत-अमेरिका के बीच कारोबारी बातचीत शेयर बाजार के लिए बहुत जरूरी, निवेशकों में है चिंता
India-US Trade Talks: बाजार विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत सुस्त रही है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका की तरफ से उम्मीद से अधिक टैरिफ लगाया जाना है। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के नतीजे में किसी भी तरह का विकास बाजार के लिए सहायक हो सकता है।

ट्रेड वॉर को लेकर बनी टेंशन
- निवेशकों में है डर
- ट्रेड वॉर को लेकर बनी टेंशन
- भारत-यूएस के बीच बातचीत जरूरी
India-US Trade Talks: बाजार विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत सुस्त रही है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका की तरफ से उम्मीद से अधिक टैरिफ लगाया जाना है। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के नतीजे में किसी भी तरह का विकास बाजार के लिए सहायक हो सकता है। आईटी और मेटल जैसे सेक्टर का व्यापक बाजार की तुलना में कम प्रदर्शन रहा, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के नजरिए और दूसरे देशों द्वारा प्रतिशोध में की जाने वाली संभावित व्यापार कार्रवाइयों को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है।
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सोने और बॉन्ड की तरफ है निवेशकों का रुख
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर के अनुसार, निवेशकों से उम्मीद की जा रही है कि वे वैश्विक व्यापार भागीदारों द्वारा उठाए गए किसी भी कदम पर बारीकी से नजर रखेंगे, जो भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता को और बढ़ा सकता है।
यह सतर्क भावना सोने और बॉन्ड की कीमतों में निरंतर तेजी में दिखाई देती है, जो सेफ-एसेट्स की ओर एक स्पष्ट बदलाव को दर्शाती है।
बढ़ रहा रिस्क-ऑफ सेंटिमेंट
इस बीच, बजाज ब्रोकिंग रिसर्च नोट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण ट्रेड वॉर की आशंकाओं के बीच वैश्विक बाजारों में रिस्क-ऑफ सेंटिमेंट के कारण बेंचमार्क सूचकांकों में शुक्रवार को लगातार दूसरे सत्र में गिरावट दर्ज की गई, जिसमें एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।
रिस्क-ऑफ सेंटिमेंट वह स्थिति है जब निवेशक अपने निवेश को सुरक्षित रखने पर अधिक ध्यान दें।
निवेशकों में है डर
निफ्टी 345.65 अंक या 1.49 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,904.45 पर बंद हुआ।
निवेशकों को डर है कि अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीतियों के कारण दूसरे देश भी जवाबी कार्रवाई करेंगे, जिससे बड़े पैमाने पर व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है। ऐसा परिणाम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकता है और आर्थिक विकास को धीमा कर सकता है।
गिर गए सभी सेक्टोरल इंडेक्स
व्यापक बाजारों में भी तेज गिरावट दर्ज की गई, जिसमें निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉल कैप 100 में क्रमशः 2.91 प्रतिशत और 3.56 प्रतिशत की गिरावट आई। सभी सेक्टोरल इंडेक्स में तेज गिरावट के साथ कारोबार हुआ, जिसमें आईटी, ऑटो, फार्मा, पीएसयू बैंक, रियलिटी, तेल और गैस तथा मेटल इंडेक्स में 3-6 प्रतिशत की गिरावट आई।
निफ्टी का 22,700 के ऊपर बने रहना जरूरी
निफ्टी इंडेक्स वर्तमान में 22,700-22,800 के प्रमुख समर्थन क्षेत्र के आसपास है, आने वाले सप्ताह में पिछले सप्ताह के उच्च स्तर 23,565 की ओर वापसी के लिए इसे ऊपर बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा।
बजाज ब्रोकिंग रिसर्च ने कहा, "22,700 के सपोर्ट एरिया से ऊपर बने रहने में विफलता, 22,300 के लेवल की ओर एक बड़ी गिरावट का कारण बन सकती है। अमेरिकी टैरिफ नीतियों के विकास के साथ-साथ, बाजार प्रतिभागी आने वाले सप्ताह में आरबीआई की मौद्रिक नीति के परिणाम और वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के आय सत्र के शुरू होने पर भी कड़ी नजर रखेंगे।"
कमजोर मांग और मार्जिन पर दबाव
निवेशकों का ध्यान आगामी एमपीसी बैठक पर भी टिका हुआ है, जिसमें अगले सप्ताह बेंचमार्क ब्याज दर के निर्णय की उम्मीद है।
विशेषज्ञों ने कहा कि अनुकूल परिणाम से दर-संवेदनशील क्षेत्रों को लाभ हो सकता है। इसके अलावा, प्रमुख मैक्रोइकॉनोमिक संकेतक - यानी भारत के मुद्रास्फीति के आंकड़े और अमेरिकी बेरोजगारी दावे - पर बारीकी से नजर रखी जाएगी, क्योंकि वे दोनों क्षेत्रों से जुड़ी आर्थिक स्थितियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की संभावना रखते हैं।
इस बीच, बाजार का ध्यान धीरे-धीरे आगामी कॉर्पोरेट आय सत्र की ओर बढ़ रहा है। शुरुआती परिदृश्य अभी भी सुस्त बना हुआ है, जिसमें आय वृद्धि में और अधिक गिरावट का जोखिम है, जिसका मुख्य कारण कमजोर मांग और मार्जिन पर लगातार दबाव है। (इनपुट - आईएएनएस)
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