मोदी दौर में कितने घटे गरीब ! UN की रिपोर्ट में कई अहम खुलासे,आंकड़े करेंगे हैरान

India Registers Remarkable Reduction In Poverty: UN रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से भारत ने गरीबी उन्मूलन के मोर्चे पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। सिर्फ 15 साल में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इसमें से 14 करोड़ लोग साल छह साल ( 2015-16 से 2019-21) के दौरान गरीबी के मकड़जाल से बाहर निकले हैं।

भारत में गरीबी में बड़ी गिरावट

India Registers Remarkable Reduction In Poverty:भारत में गरीबी तेजी से घटी है। और पिछले 15 साल में करीब 41.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। यहीं नहीं लोगों तक बिजली की पहुंच, और खाना पकाने के लिए ईंधन मिलने के स्तर में शानदार सुधार हुआ है। इस बात की जानकारी मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी एक रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार 2005-06 से 2019-2021 के दौरान सिर्फ 15 साल में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। इसमें से 14 करोड़ लोग साल छह साल ( 2015-16 से 2019-21) के दौरान गरीबी के मकड़जाल से बाहर निकले हैं।

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क्या कहती है रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश (भारत) ने गरीबी उन्मूलन के मोर्चे पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है।इसमें कहा गया है कि भारत सहित दुनिया के 25 देशों ने पिछले 15 साल में सफलता के साथ अपने वैश्विक एमपीआई मूल्य को आधा कर दिया है। भारत के अलावा कंबोडिया, चीन, कांगो, होंडुरास, भारत, इंडोनेशिया, मोरक्को, सर्बिया और वियतनाम में बड़े पैमाने पर गरीबी घटी है।

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भारत का खास उल्लेख

रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से भारत ने गरीबी उन्मूलन के मोर्चे पर काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। सिर्फ 15 साल में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।भारत में 2005-06 से 2019-21 तक 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। 2005-06 में भारत में लगभग 64.5 करोड़ लोग गरीबी में थे। 2015-16 में यह संख्या घटकर लगभग 37 करोड़ पर और 2019-21 में 23 करोड़ पर आ गई।रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में पोषण के संकेतक के आधार पर बहुआयामी गरीबी और वंचित लोगों की संख्या 2005-06 के 44.3 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 11.8 प्रतिशत पर आ गई। बाल मृत्यु दर भी इस दौरान 4.5 प्रतिशत से घटकर 1.5 प्रतिशत रह गई।

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