कंपनियां नहीं ले सकेंगी बिना पूछे आपका प्राइवेट डेटा, वरना लगेगा 250 करोड़ का जुर्माना
Digital Personal Data Protection (DPDP) Bill: विवादों के मामले में इंफॉर्मेशन प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का क्लेम करने का अधिकार होगा। कानून लागू होने के बाद नागिरकों को अपने आंकड़े, उसके मैंटेनेंस आदि के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार होगा।
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल
मुख्य बातें
- डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को कैबिनेट की मंजूरी
- नागरिकों को मिलेंगे स्पेशल अधिकार
- कंपनियों पर लगेगा 250 करोड़ तक का जुर्माना
Digital Personal Data Protection (DPDP) Bill: यूनियन कैबिनेट ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPBP) बिल को मंजूरी दे दी। इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा। इस विधेयक का मकसद इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और प्राइवेट कंपनियों जैसी यूनिट्स को ‘निजता के अधिकार’ (Right To Privacy) के तहत नागरिकों की पर्सनल जानकारी के कलेक्शन, स्टोरेज और प्रोसेसिंग के बारे में और ज्यादा जिम्मेदार और जवाबदेह बनाना है।
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क्या मिलेंगे नागरिकों को अधिकार
विवादों के मामले में इंफॉर्मेशन प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का क्लेम करने का अधिकार होगा। कई और चीजें हैं जो धीरे-धीरे डेवलप होंगी। कानून लागू होने के बाद नागिरकों को अपने आंकड़े, उसके मैंटेनेंस आदि के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार होगा।
कंपनियों के लिए नए नियम
कानून बनने के बाद सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की कई एंटिटीज को निजी जानकारी इकट्ठी करने और प्रोसेस करने के लिए यूजर्स से सहमति लेनी जरूरी होगी। विधेयक में नियमों के उल्लंघन के प्रत्येक मामले में संबंधित इकाई पर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
डीपीडीपी विधेयक पर काम पिछले साल 27 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद शुरू हो गया था, जिसमें ‘निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार’ बताया गया था। सरकार ने Personal Information Bill को अगस्त, 2022 में वापस ले लिया था। इसे सबसे पहले 2019 के अंत में पेश किया गया था। इसके नए वर्जन को नवंबर, 2022 में जारी किया गया।
सरकारी विभागों को छूट नहीं
इस विधेयक में पिछले मसौदे के लगभग सभी प्रावधानों को शामिल किया गया है। उस मसौदे को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने परामर्श के लिए जारी किया था। प्रस्तावित कानून में सरकारी विभागों को पूरी तरह से छूट नहीं दी गयी है।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें
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