US Fed Rate Cut: यूएस फेड के ब्याज दरें घटाने का भारत पर पड़ेगा असर, तेल-शेयर बाजार से रुपये तक में दिख सकती है हलचल

US Fed Rate Cut Impact On India: यूएस फेड के ब्याज दरें घटाने के बाद अगर भारत में विदेशी पूंजी आती है तो विदेशी निवेशक निवेश के लिए अपनी करेंसी को रुपये में कंवर्ट करेंगे। इससे रुपये की वैल्यू बढ़ेगी और ये डॉलर के मुकाबले मजबूत हो सकता है।

US Fed Rate Cut Impact On India

यूएस फेड के ब्याज दर में कटौती का भारत पर प्रभाव

मुख्य बातें
  • यूएस फेड ने घटाई ब्याज दरें
  • भारत पर भी पड़ेगा असर
  • बढ़ेगा विदेशी निवेश

US Fed Rate Cut Impact On India: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में 50 आधार अंकों (0.50 फीसदी) की कटौती की, जो बीते चार साल से अधिक समय में पहली बार ब्याज दरों में की गई कटौती है। अपने बयान में, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) ने कहा कि महंगाई और जोखिमों के संतुलन पर प्रगति के मद्देनजर समिति ने प्रमुख ब्याज दरों को आधा फीसदी घटाकर 4.75% से 5% करने का फैसला किया है। इससे पहले ब्याज दर 5.25 से 5.50 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती का भारत पर पहला और बड़ा प्रभाव विदेशी निवेश के रूप में दिख सकता है। क्योंकि ब्याज दर घटने से ट्रेजरी सिक्युरिटिज की यील्ड (रिटर्न) कम हो जाएगी, जिससे निवेशक बेहतर ऑप्शन के लिए भारतीय बाजार का रुख कर सकते हैं।

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शेयर बाजार पर क्या पड़ेगा प्रभाव

अगर निवेशक भारत का रुख करते हैं तो यहां विदेशी पूंजी का फ्लो बढ़ेगा, जिससे भारतीय शेयर बाजार और बॉन्ड मार्केट में तेजी आ सकती है। शेयर बाजार में तेजी आने पर भारतीय निवेशकों को फायदा हो सकता है।

रुपये को मिलेगी मजबूती

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर भारत में विदेशी पूंजी आती है तो विदेशी निवेशक निवेश के लिए अपनी करेंसी को रुपये में कंवर्ट करेंगे। इससे रुपये की वैल्यू बढ़ेगी और ये डॉलर के मुकाबले मजबूत हो सकता है।

आयात पर मिलेगी राहत

रुपया अगर मजबूत होता है तो आयात की लागत में कमी आ सकती है (खासकर क्रूड ऑयल जैसी कमोडिटी के मामले में)। हालांकि इससे भारतीय निर्यातकों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि विदेशी खरीदारों के लिए उनके सामान अधिक महंगे हो जाएंगे।

बॉन्ड बाजार पर क्या पड़ेगा असर

ग्लोबल लेवल पर कम ब्याज दरों से आमतौर पर बॉन्ड मार्केट में तेजी आती है। यूएस फेड के ब्याज दरें घटाने से भारत में भी मौजूदा बॉन्ड मार्केट ज्यादा आकर्षक बन सकती है, क्योंकि नए इश्यू की तुलना में उनकी यील्ड अनुकूल होती है।

आखिरकार इससे अधिक पूंजी निवेश आएगा और आर्थिक विकास को सपोर्ट मिलेगा।

भारत में घटेंगी ब्याज दरें या नहीं

फेड के एक्शन पर आरबीआई की प्रतिक्रिया अहम होगी। ऐतिहासिक तौर पर भारत की मौद्रिक नीति अमेरिकी दरों से प्रभावित रही है। हालांकि, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास संकेत दे चुके हैं कि भारत भी ऐसा करे और अपनी दरें कम करें, ऐसा जरूरी नहीं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वित्तीय स्थिरता बनाए रखना केंद्रीय बैंक के लिए पहली प्राथमिकता है। यानी आरबीआई ब्याज दरों पर कोई फैसला लेने से पहले घरेलू आर्थिक स्थितियों और संभावित जोखिमों का आकलन करेगा।

किन सेक्टरों पर पड़ेगा असर

कई ऐसे सेक्टर हैं, जिन्हें यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती का सीधे लाभ मिल सकता है। जैसे कि आईटी सेक्टर में मांग बढ़ सकती है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां उधार लेने की कॉस्ट में कमी के चलते अपने आईटी बजट का विस्तार करती हैं। इसके अलावा कंज्यूमर गुड्स और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अन्य सेक्टरों में भी वृद्धि हो सकती है क्योंकि सस्ती फाइनेंसिंग उपलब्ध हो जाती है।

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काशिद हुसैन author

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