भारतीय हीरा कारोबारियों का अमेरिका ने रोका 215 करोड़ रु, जानें क्यों नहीं दे रहा है पैसा
US Stopped Indian Diamond Industry Payment: अमेरिकी अधिकारियों के निर्देशों के बाद भारतीय हीरा विक्रेताओं के पास डॉलर पेमेंट नहीं पहुंची। अधिकारियों ने नॉस्ट्रो खाते रखने वाले बैंकों को इस मामले में निर्देश दिए थे। नोस्ट्रो खाता उस खाते को कहते हैं जो एक बैंक दूसरे बैंक में विदेशी मुद्रा में रखता है।
अमेरिका ने भारतीय हीरा कारोबारियों का फंड ट्रांसफर रोका
- अमेरिका ने रोकी भारतीय हीरा कारोबारियों की पेमेंट
- करीब 215 करोड़ रु की पेमेंट रोकी
- दो महीनों से नहीं हो रही पेमेंट
US Stopped Indian Diamond Industry Payment: अमेरिकी सरकार की एक शाखा ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (ओएफएसी) ने पिछले दो महीनों में कई ऑफशोर फर्मों द्वारा लगभग 26 मिलियन डॉलर (215.1 करोड़ रु) की वैल्यू के एक दर्जन फंड ट्रांसफर पर रोक लगा दी है। अहम बात यह है कि ये ऑफशोर फर्म भारतीय ज्वेलर्स से जुड़ी हैं। ओएफसी ने रूस में माइन किए गए कच्चे के आयात के चलते भारतीय ज्वेलर्स से जुड़ी इन ऑफशोर फर्मों के फंड ट्रांसफर को रोका है।
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इस शक के चलते रोका गया फंड ट्रांसफर
जिन एंटिटीज (फर्म्स) पर डायरेक्ट असर पड़ा है, वे भारतीय डायमंड हाउसों की संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की सहायक कंपनियां हैं। इन यूएई फर्मों द्वारा डॉलर का भुगतान इस संदेह के कारण रोक दिया गया कि उनके सप्लायर्स रूसी मूल के हैं, या उनके रूसी माइनर्स और प्रतिबंधित संस्थाओं के साथ निवेश और संबंध हैं।
नहीं पहुंच रही डॉलर पेमेंट
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी अधिकारियों के निर्देशों के बाद हीरा विक्रेताओं के पास डॉलर पेमेंट नहीं पहुंची। अधिकारियों ने नॉस्ट्रो खाते रखने वाले बैंकों को इस मामले में निर्देश दिए थे। नोस्ट्रो खाता उस खाते को कहते हैं जो एक बैंक दूसरे बैंक में विदेशी मुद्रा में रखता है। इसका इस्तेमाल क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड और विदेशी करेंसी में लेनदेन के सेटलमेंट की सुविधा के लिए किया जाता है।
प्रतिबंध से पहले की गई पेमेंट
डायमंड इंडस्ट्री की तरफ से ओएफएसी को यह समझाने की कोशिश की जा रही है कि उन एंटिटीज को पेमेंट की गई है, जिन पर प्रतिबंध नहीं है और यहां तक कि प्रतिबंध (रूसी माइनर्स आदि पर) लागू होने से काफी पहले कुछ रूसी एंटिटीज को भुगतान किया गया है।
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष विपुलभाई शाह के मुताबिक इस मामले को वाणिज्य मंत्रालय और संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय दूतावास के सामने उठाया गया है क्योंकि पेमेंट के लिए भारतीय हीरा कंपनियों की यूएई की सहायक कंपनियों द्वारा आयात किया गया था।
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