Gold Mines:सरकार को सरकारी गोल्ड माइंस बेच देनी चाहिए, जानें दिग्गज कारोबारी अनिल अग्रवाल ने ऐसा क्यों कहा
Anil Agarwal On Gold Mines: वेदांता के चेयरमैन अग्रवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि हम अपनी जरूरत का 99.9 प्रतिशत आयात करते हैं। बड़े पैमाने पर निवेश के साथ, हम सोने के प्रमुख उत्पादक और रोजगार के बड़े स्रोत बन सकते हैं।
गोल्ड माइंस
Anil Agarwal On Gold Mines:जाने-माने उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि यदि भारत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों भारत गोल्ड माइंस और हट्टी गोल्ड माइंस का निजीकरण कर दे तो वह सोने का प्रमुख उत्पादक बन सकता है।केंद्रीय बजट 2024-25 में सोने पर सीमा शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत करने के प्रस्ताव के कुछ दिन बाद उन्होंने यह बयान दिया। अग्रवाल ने कहा है कि सोने तथा तांबे के आयात में 10 प्रतिशत की कमी से 6.5 अरब अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती है। सरकार को 3,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त योगदान मिल सकता है
सरकार करे प्राइवेट
वेदांता के चेयरमैन अग्रवाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा कि हम अपनी जरूरत का 99.9 प्रतिशत आयात करते हैं। बड़े पैमाने पर निवेश के साथ, हम सोने के प्रमुख उत्पादक और रोजगार के बड़े स्रोत बन सकते हैं।उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि सरकार सोने के दो प्रमुख उत्पादकों भारत गोल्ड माइन्स और हट्टी गोल्ड माइन्स का निजीकरण कर दे।
उन्होंने कहा कि निजीकरण तीन शर्तों पर होना चाहिए...कोई छंटनी नहीं होनी चाहिए, कर्मचारियों को कुछ शेयर दिए जाने चाहिए और परिसंपत्तियों को अलग-अलग हिस्सों में बांटने का कोई प्रयास किए बिना ऐसा किया जाना चाहिए।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग के दम पर भारत का सोने का आयात 2023-24 में 30 प्रतिशत बढ़कर 45.54 अरब डॉलर हो गया। सोने का आयात चालू खाते के घाटे (सीएडी) पर असर डालता है।वित्त वर्ष 2022-23 में आयात 35 अरब अमेरिकी डॉलर था।
अग्रवाल ने कहा कि सरकार को देश में तांबा कंपनी हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड में भी अपने शेयर बेचने चाहिए।
6.5 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा की बचत
उन्होंने कहा कि सोने तथा तांबे के आयात में 10 प्रतिशत की कमी से 6.5 अरब अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत हो सकती है। सरकार को 3,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त योगदान मिल सकता है और कम से कम 25,000 नौकरियों का सृजन हो सकता है। हिंदुस्तान कॉपर खान मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। यह भारत में तांबा अयस्क के खनन में लगी एकमात्र कंपनी है। इसके पास तांबा अयस्क के सभी परिचालन खनन पट्टे का स्वामित्व है। यह परिष्कृत तांबे की एकमात्र एकीकृत उत्पादक भी है।
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