Vicco: एक किचन से कमा लिए 700 करोड़, कामयाबी की कहानी पढ़ याद आ जाएगा बचपन

Vicco Brand Success Story: अगर आप 90 के दशक या उससे पहले जन्मे हैं तो आपको दूरदर्शन पर विको के विज्ञापनों में इस्तेमाल होने वाले 'विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, विको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम' और 'वज्रदंती, वज्रदंती वीको वज्रदंती' जैसे आकर्षक जिंगल याद होंगे।

Vicco Brand Success Story

एक किचन से कमा लिए 700 करोड़

मुख्य बातें
  • विको की सक्सेस स्टोरी आपको हैरान कर देगी
  • एक किचन से हुई थी शुरुआत
  • आज 700 करोड़ रु की है कंपनी
Vicco Brand Success Story: देश-विदेश में बहुत सी ऐसी कंपनियां हैं, जो अलग-अलग ब्रांड नाम से कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाती हैं। मगर इन कंपनियों के कुछ ब्रांड काफी ज्यादा फेमस हो जाते हैं। इन प्रोडक्ट्स को लोगों के बीच स्पेशल पहचान मिल जाती है और ये लोगों के दिलों में जगह बनाते हैं। ऐसा ही एक ब्रांड है विको (Vicco), जिसकी विको टरमरिक क्रीम (Vicco Turmeric Cream) और विको वज्रदंती (Vicco Vajradanti) का नाम आपने खूब सुना होगा। विको समय के साथ एक बड़ा ब्रांड बन गया, जिसके नाम से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं। पर इसकी शुरुआत कैसे हुई, आगे जानिए।

71 साल का है इतिहास

विको ब्रांड की शुरुआत 71 साल पहले हुई थी। 1952 में केशव विष्णु पेंढारकर ने विको लेबोरेट्रीज (Vicco Laboratories) की शुरुआत की थी। उस समय इसका नाम Vishnu Industrial Chemical Company था, जिसे शॉर्ट करके बाद में विको किया गया। इसकी शुरुआत एक रसोई से हुई थी, जिसके प्रोडक्ट समय के साथ घर-घर पहुँचे।

90 के दशक में मिली पहचान

अगर आप 90 के दशक या उससे पहले जन्मे हैं तो आपको दूरदर्शन पर विको के विज्ञापनों में इस्तेमाल होने वाले 'विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, विको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम' और 'वज्रदंती, वज्रदंती वीको वज्रदंती' जैसे आकर्षक जिंगल याद होंगे।

राशन की दुकान से शुरू हुआ सफर

विको के शुरुआती नाम को केशव विष्णु पेंढरकर ने अपने नाम से जोड़ कर रखा था। केशव की नागपुर में राशन की दुकान थी, जिससे वे अपना खर्च नहीं चला पा रहे थे। इसीलिए वे मुंबई पहुंचे और उन्हें विको का आइडिया आया। एलोपैथिक दवाइयों और पॉन्ड्स-नीविया जैसे कॉस्मेटिक विदेशी प्रोडक्ट्स के बीच उन्होंने आयुर्वेदिक प्रोडक्ट शुरू करने का ख्यास आया।

700 करोड़ की वैल्यू

एक किचन से शुरुआत करते हुए केशव ने सबसे पहले आयुर्वेदिक टूथ पाउडर बनाया। मगर जब वे घर-घर जाकर प्रोडक्टर बेचते तो अकसर रेस्पोंस अच्छा नहीं मिल पाता था। मगर लगातार मेहनत करने से उन्होंने 4 साल में सफलता हासिल की। 1952 में कंपनी का नाम विको रखा गया। केशव ने अपने बेटे के साथ मिलकर टूथपेस्ट बनाना शुरू किया।
पिता के बाद 1971 में गजानन विको को संभालने लगे। बाद में कंपनी ने कई और प्रोडक्ट लॉन्च किए, जिससे इसकी वैल्यू 700 करोड़ रु हो गई।

पेंढरकर परिवार के पास है विको की कमान

आज विको की कमान पेंढरकर परिवार के पास है। भारत के अलावा कई देशों में विको को प्रोडक्ट पसंद किए जाते हैं। विको के कई हर्बल और ब्यूटी प्रोडक्ट मार्केट में मौजूद हैं।
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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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