विकास मालू को होगी सजा ! क्या कहता है कानून, 10 करोड़ की कार का 230 की रफ्तार से हुआ था एक्सीडेंट
Accident Rules In India: चाहे वह लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला हो या नशे में गाड़ी चलाने का मामला, जिम्मेदारी गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति पर होती है। यदि कार सड़क पर चलने लायक स्थिति में नहीं थी तो कार मालिक उत्तरदायी हो सकता है।
भारत में क्या हैं एक्सीडेंट के नियम
- एक्सीडेंट के मामले में घायल को अस्पताल पहुंचाना जरूरी
- गाड़ी के पेपर हों पूरे
- गाड़ी चलाए जाने लायक स्थिति में हो
Accident Rules In India: हाल ही में कुबेर समूह (Kuber Group) के डायरेक्टर विकास मालू (Vikas Malu) दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे पर एक हादसे (Delhi Mumbai Expressway Accident) में घायल हो गए। वे दो अन्य लोगों के साथ अपनी 10 करोड़ रु की रोल्स-रॉयस (Rolls Royce) में सवार थे, जो एक तेल टैंकर से टकरा गई। उस समय मालू की कार की स्पीड 230 किमी प्रति घंटे की थी।
इस दुर्घटना में तेल टैंकर के ड्राइवर और उसके सहयोगी की मौत हो गई। अब विकास मालू को पुलिस ने दुर्घटना की जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा है। रिपोर्ट्स के अनुसार मालू के वकील का कहना है कि एक्सीडेंट के समय विकास मालू की कार कोई और चला रहा था। हालांकि टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है। मगर सवाल यह है कि यदि कार का मालिक कार में हो और उसके ड्राइवर से कार चलाते हुए एक्सीडेंट हो जाए तो सजा किसे मिलेगी? विकास मालू के मामले में कौन बनेगा गुनहगार, आगे जानिए इस स्थिति में क्या कहता है कानून।
पहली स्थिति
दुर्घटना के समय मालिक कार में न हो
चाहे वह लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला हो या नशे में गाड़ी चलाने का मामला, जिम्मेदारी गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति पर होती है। यदि कार सड़क पर चलने लायक स्थिति में नहीं थी तो कार मालिक उत्तरदायी हो सकता है।
दूसरी स्थिति
हादसे के वक्त मालिक कार में हो
कार मालिक (जिसके नाम पर गाड़ी रजिस्टर है) तब तक उत्तरदायी नहीं होता जब तक उसने ड्राइवर को तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने के लिए न उकसाया हो। यदि ड्राइवर मालिक की सहमति या अनुमति से लापरवाही से गाड़ी चलाए और किसी के ऊपर गाड़ी चढ़ा दे तो मालिक उत्तरदायी होगा।
दीवानी और आपराधिक कानून के तहत, कार मालिक और ड्राइवर के बीच के रिश्ते को 'मालिक' और 'नौकर' के रूप में परिभाषित किया गया है और मालिक को नौकर के गलत काम के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है, जब तक कि यह साबित न हो जाए कि यह मलिक की सहमति या अनुमति के तहत किया गया था।
ऐसे मामलों में साक्ष्यों से फैसला होगा।
घायल को अस्पताल ले जाने की जिम्मेदारी ड्राइवर की होगी
एक अन्य पॉइंट कि कि कानूनी तौर पर, घायल व्यक्ति को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की जिम्मेदारी ड्राइवर की होती है। इसके लिए कार मालिक सीधे तौर पर ज़िम्मेदार नहीं हो सकता है, लेकिन उसकी नैतिक ज़िम्मेदारी भी है कि अगर वह कार में है या दुर्घटना के बारे में पता चलता है तो घायल को अस्पताल पहुंचाने में मदद करे।
गाड़ी के मालिक इन बातो का रखें ध्यान
- कार मालिक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसका वाहन सड़क पर चलने लायक स्थिति में है
- उसके पास बीमा कवर सहित सारे दस्तावेज हों
- ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस के अलावा वाहन के मॉडल या टाइप को संभालने के लिए पर्याप्त अनुभव है
- कभी भी ड्राइवर पर लिमिट से अधिक गाड़ी चलाने के लिए दबाव न डालें, न यातायात कानून तोड़ने को कहें
- एक्सीडेंट की स्थिति में घायल पीड़ित को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं
पीड़ित का मुआवजा
किसी वाहन से दुर्घटना के मामले में पीड़ित अंतरिम मुआवजे के लिए मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण में एक दावा पेश कर सकता है। कानून के अनुसार मोटर वाहन या मोटर वाहनों के उपयोग से होने वाली दुर्घटना के नतीजे में किसी व्यक्ति की मृत्यु या स्थायी विकलांगता हो गई हो तो वाहन का मालिक, या जैसा भी मामला हो, वाहन के मालिक या मालिकों को ऐसी मृत्यु या विकलांगता के मामले में मुआवजा देना होगा।
एक बार यह कंफर्म होने पर कि वाहन दुर्घटना में शामिल है, तो एमएसीटी 'नो फॉल्ट लायबिलिटी' के सिद्धांतों के तहत एक अंतरिम मुआवजा पारित करेगा। इसका मतलब यह है कि मुआवजा तो देय है, मगर इसलिए नहीं कि वाहन के चालक की कोई गलती थी, बल्कि इसलिए कि वाहन दुर्घटना में शामिल था।
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