VIVO : ईडी के आरोप पत्र में वीवो पर बड़ा खुलासा, चीन को मिले अवैध रूप से 20 हजार करोड़
VIVO : 2022 में शुरू हुई ईडी जांच से पता चला है कि चीनी फोन निर्माता ने 2014 में भारत में प्रवेश के बाद विभिन्न शहरों में 19 और कंपनियों को शामिल किया था। और इन कंपनियों में चीनी नागरिक उनके निदेशक या शेयरधारक थे । इसके अलावा भारत में वीवो मोबाइल्स की पूरी आपूर्ति श्रृंखला को नियंत्रित करते थे।
ईडी जांच में खुलासा
ईडी ने बताया कैसे किया फर्जीवाड़ा
आरोप पत्र के अनुसार सभी एसडीसी वीवो इंडिया द्वारा नियंत्रित होते हैं जो बदले में वीवो चीन द्वारा नियंत्रित होते हैं। जालीदार और अखिल भारतीय संरचना बनाकर वीवो इंडिया ने 2,02,41,17,72,292.89 रुपये का पीओसी हासिल किया है। ईडी ने आरोप लगाया कि वीवो इंडिया द्वारा हासिल की गई पीओसी को विदेशी व्यापारिक कंपनियों" को भेज दिया गया, जिनमें से कई वीवो चाइना के नियंत्रण में हैं।
ईडी ने इन्हें बनाया आरोपी
7 दिसंबर को एक विशेष अदालत के समक्ष दायर आरोपपत्र में नामित लोगों में राय, गुआंगवेन क्यांग उर्फ एंड्रयू कुआंग (एक चीनी नागरिक जिसने कथित तौर पर वीवो की मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी), गर्ग और मलिक (लावा के वैधानिक लेखा परीक्षक) शामिल हैं। आरोपपत्र में एक कंपनी के तौर पर वीवो को भी आरोपी बनाया गया है।उस पर धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप लगाए गए हैं।दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में कंपनी के तीन गिरफ्तार शीर्ष अधिकारियों को तीन दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया। इसके पहले 23 दिसंबर को ईडी ने अपनी जांच के सिलसिले में तीन आरोपियों - वीवो इंडिया के अंतरिम सीईओ होंग ज़ुक्वान, मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) हरिंदर दहिया और सलाहकार हेमंत मुंजाल को गिरफ्तार किया।
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