Bear vs Bull Market: बियर और बुल मार्केट में क्या हैं अंतर, कब खरीदारी करना है बेहतर, जानिए सबकुछ

Bear vs Bull Market: बियर मार्केट कई महीनों या सालों की वो अवधि होती है, जिसके दौरान स्टॉक की कीमतें लगातार गिर रही हों या गिरने की संभावना हो। भारतीय शेयर बाजार का एक उदाहरण मार्च 2015 और फरवरी 2016 के बीच का है जब सेंसेक्स 23% से अधिक गिर गया था।

बियर और बुल मार्केट में क्या हैं अंतर

मुख्य बातें
  • बुल और बियर मार्केट में कई अंतर हैं
  • तेजी वाले माहौल को बुल मार्केट कहते हैं
  • गिरावट वाले माहौल को बियर मार्केट कहते हैं
Bear vs Bull Market: शेयर बाजार से जुड़े कुछ शब्द निवेशक सुनते-पढ़ते रहते हैं, मगर उन्हें उन शब्दों के बारे में नहीं पता होता। इनमें बुल और बियर मार्केट शामिल हैं। बुल मार्केट कई महीनों या सालों की वो अवधि होती है, जिसके दौरान मार्केट लगातार चढ़े या चढ़ने की उम्मीद रहे। बुल मार्केट शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर शेयर बाजार के लिए ही किया जाता है, मगर इसे बॉन्ड, रियल एस्टेट, करेंसी और कमोडिटी जैसी अन्य किसी के लिए यूज किया जा सकता है।
ये भी पढ़ें -

ऐसे समझें बुल मार्केट

बुल मार्केट का एक उदाहरण भारतीय शेयर बाजारों में दिसंबर 2011 और मार्च 2015 के दौरान देखा गया। उस दौरान सेंसेक्स 98% से अधिक चढ़ गया था। बुल मार्केट का उपयोग किसी ऐसे देश के आर्थिक माहौल को बताने के लिए भी किया जाता है जो ग्रोथ कर रहा है और आगे आशावादी है।

बुल मार्केट क्या है

तस्वीर साभार : iStock

क्या है बियर मार्केट

बियर मार्केट कई महीनों या सालों की वो अवधि होती है, जिसके दौरान स्टॉक की कीमतें लगातार गिर रही हों या गिरने की संभावना हो। भारतीय शेयर बाजार का एक उदाहरण मार्च 2015 और फरवरी 2016 के बीच का है जब सेंसेक्स 23% से अधिक गिर गया था।
End Of Feed