ADITI स्कीम क्या है? जिसे सरकार ने किया लॉन्च, डिफेंस आत्मनिर्भरता हासिल करना लक्ष्य
डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए iDEX (ADITI) स्कीम लॉन्च की। इसके जरिये डिफेंस टेक्नोलॉजी सेक्टर में रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्रालय ने iDEX (ADITI) स्कीम लॉन्च की। इस स्कीम के लिए 750 करोड़ रुपए के फंड का ऐलान हुआ। स्कीम लॉन्च के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम डिफेस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि आज फ्यूचरिस्टिक एवं क्रिटिकल टैक्नोलॉजी में, हमारी क्षमता को और बढ़ाने के उद्देश्य से DDP द्वारा ADITI scheme की शुरुआत की गई है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अतीत में ऐसा भारत के साथ हुआ भी है। जब भारत किसी मुश्किल घड़ी में पड़ा है तो हथियारों के लिए आयात पर निर्भर रहने के कारण हमें मुसीबत का सामना करना पड़ा है। इसलिए सरकार में आने के साथ ही, हमने इस बात पर जोर दिया कि एक राष्ट्र के तौर पर हम आयुध-आयात पर निर्भर नहीं रह सकते। इस स्कीम का मकसद डिफेंस टेक्नोलॉजी में इनोवेशन को बढ़ावा देना है। डिफेंस टेक्नोलॉजी सेक्टर में रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन के लिए मदद की जाएगी। उन्हें इस सेक्टर में फोकस स्टार्टअप बनाने के लिए सहायता दी जाएगी।
आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता
रक्षा मंत्री ने कहा कि आजादी के समय से ही भारतीय नौसेना ने आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है। अनेक शिप के निर्माण से लेकर, Indigenous Aircraft Carrier के निर्माण तक का सफर, आत्मनिर्भरता के प्रति भारतीय नौसेना की तक कमिटमेंट को दिखाता है। नेवी द्वारा संचालित अत्मनिर्भर अभियान को देखकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है। वैसे तो भारतीय सेनाओं के तीनों ही अंग, चाहे वह थल सेना हो, वायु सेना हो, या जल सेना हो, भारत सरकार की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के संकल्प की पूर्ति के लिए indigenization की ओर आगे बढ़ रहे हैं; लेकिन इसमें भी नेवी का जो परफॉर्मेंस है, वह वाकई प्रशंसनीय है।
इनोवेशन में मदद के लिए 25 करोड़ रुपए तक की मदद
हमारी DPSUs और सर्विस ने जितने भी challenges दिए, हमारे युवाओं ने उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और सफलतापूर्वक उन challenges को स्वीकार करके उसे अंजाम दिया। अब इस मुहिम में iDEX prime से भी आगे बढ़कर, हम ADITI scheme को launch कर रहे हैं, जहां हम अपने युवाओं को तथा उनके startups को उनके इनोवेशन में मदद के लिए 25 करोड़ रुपए तक की मदद दी जाएगी। हमारे युवा एक कदम चले तो सरकार 100 कदम आगे बढ़कर उनके साथ खड़ी रही, अब यह हमारे युवाओं की जिम्मेदारी है कि वह 100 कदम आगे बढ़े, ताकि सरकार 1000 कदम आगे बढ़कर उनकी मदद करें। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को सुनिश्चित करता है। DefConnect 2024 में रक्षा इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (DISC) के 11वें संस्करण का भी शुभारंभ हुआ। इसमें इनोवेटर्स को महत्वपूर्ण रक्षा चुनौतियों का समाधान करने और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान के लिए आमंत्रित किया गया।
स्टार्टअप पर फोकसरक्षा स्टार्ट-अप्स में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए iDEX ने iDEX इन्वेस्टर्स हब (IIH) के तहत नए निवेशकों के साथ MoU की घोषणा की है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, अंडरसी डिटेक्शन, मानव रहित हवाई वाहन, पहनने योग्य प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में नए स्टार्ट-अप्स को दिखाया गया।
पहले रक्षा उपकरण का बड़ा हिस्सा होता था आयात
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में 2014 में जब हमारी सरकार आई तो हमने यह देखा कि भारत के डिफेंस उपकरण का एक बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। अगर किसी देश की सुरक्षा से संबंधित साजो-सामान का एक बड़ा हिस्सा आयात हो, तो क्रिटिकल सिचुएशन में उस देश को कई सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। भारत जैसा विशाल देश, किसी भी महत्वपूर्ण सेक्टर में आयात पर निर्भर नहीं रह सकता है। अगर हम डिफेंस उपकरण और हथियारों का सिर्फ आयात करेंगे, तो यह डिफेंस सेक्टर में हमें दूसरे देशों पर निर्भर बनाएगा। यह निर्भरता, हमारी रणनीतिक स्वायत्तता के लिए घातक हो सकती है। बिना अत्मनिर्भर के हम ग्लोबल इश्यू पर, अपने राष्ट्रीय हित के अनुसार स्वतंत्र फैसलानहीं ले सकते हैं।
घरेलू रक्षा उत्पादन 1 लाख करोड़ रुपए के पार
इसलिए हम रणनीतिक स्वायत्तता तभी मैंटेन कर पाएंगे, जब हथियार और उपकरण खुद हमारे ही देश में, हमारे ही लोगों के हाथों बनाए जाएं। हमने इस ओर काम किया और हमें इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले। 2014 के आसपास जहां हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन करीब 44 हजार करोड़ रुपए था, वहीं आज हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन 1 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर चुका है, और यह लगातार आगे बढ़ रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अब टैक्नोलॉजी में महारत हासिल करने के लिए आप देखिए तो दो तरीके होते हैं। पहला तरीका तो यह है, कि हम दूसरे देशों से उस टैक्नोलॉजी को ग्रहण करें या फिर दूसरा तरीका यह हो सकता है कि हम उस टैक्नोलॉजी को खुद ही डेवलप करें। हम दोनों ही तरीकों पर काम कर रहे हैं। दुनिया के करीब सभी देश रिसर्च एंड डवलपमेंट पर फोकस करते हैं लेकिन बहुत ही कम देश उसमें सफलता हासिल कर पाते हैं। प्रोडक्टिव आर एंड डी इकोसिस्टम इस्टेब्लिश करने के लिए कई सारी कंडिशन होती हैं, जो पूरा करनी होती हैं।
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रामानुज सिंह author
रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट ...और देखें
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