Black Budget: क्या होता है ब्लैक बजट? भारत में भी आ चुकी है इसे पेश करने की नौबत

India Black Budget History: जब किसी देश में ब्लैक बजट को पेश करने की नौबत आ जाती है तो इससे देश की चरमराई आर्थिक स्थिति के संकेत मिलते हैं। इंदिरा गांधी की सरकार के समय भारत में भी यह स्थिति देखने को मिल चुकी है और ब्लैक बजट पेश करना पड़ा था।

What is Black Budget

ब्लैक बजट क्या होता है? (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Budget History History in India: भारत में साल 2023 के आम बजट को पेश करने की तैयारियां जोरों पर हैं और इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित वित्त मंत्रालय के तमाम अधिकारियों ने तैयारियां जोरों पर शुरू कर दी हैं। इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार 5वीं बार आम बजट पेश करने वाली हैं और हलवा सेरेमनी को पहले की अंजाम दे दिया गया है। 1 फरवरी 2023 को संसद में वित्त मंत्री की ओर से बजट को पेश किया जाएगा। इस मौके पर आइए जानते हैं भारत के ब्लैक बजट के इतिहास के बारे में।

क्या होता ब्लैक बजट: जब सरकार की ओर से पेश किया गया बजट उसकी आय से बहुत ज्यादा हो जाता है तो इसे 'ब्लैक बजट' का नाम दिया जाता है, दूसरे शब्दों में जब किसी देश का खर्च उसकी कमाई से बहुत ज्यादा हो जाता है तो इसे 'ब्लैक बजट' का नाम दिया जाता है।

उदाहरण के लिए अगर कोई सरकार टैक्स और अन्य आय के स्रोतों से 500 रुपये की कमाई करती है और उसका खर्च 600 रुपये है तो यह स्थिति ब्लैक बजट लाने पर मजबूरी करती है। ब्लैक बजट की स्थिति में सरकार को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती है और इसका असर साफ तौर पर देश की आर्थिक प्रगति में देखने को मिलता है।

भारत में 'ब्लैक बजट' का इतिहास:

भारत में ब्लैक बजट साल 1973 में वित्त वर्ष 1973-74 वित्त वर्ष के लिए पेश किया गया था। इस समय इंदिरा गांधी की सरकार में यशवंतराव बी चव्हाण वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत थे। पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध और भारत में सूखे की स्थिति के चलते देश में वित्तीय घाटा 550 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। आर्थिक तंगी के जूझने के बीच कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण करते हुए इस काम के लिए 56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। कोयले के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा खत्म होने से भी सरकार की आय पर असर आ गया था।

साल 1971 का युद्ध और सूखे की स्थिति:

साल 1971 में पाकिस्तान से लड़ाई लड़कर भारत ने बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी और युद्ध बहुत समय तक ना चलने के बावजूद इसमें काफी खर्च देखने को मिला था। साथ ही खाद्यान्न की जरूरत इस समय के दौरान काफी बढ़ गई थी जबकि इसी साल के दौरान सूखा भी पड़ गया था, इसलिए आने वाले सालों में आर्थिक स्थिति पर इसका गंभीर असर देखने को मिला। वित्तीय घाटा बढ़ने से ब्लैक बजट पेश करने की नौबत आई थी।

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प्रभाष रावत author

रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक विषयों में विशेष रुचि रखने वाले प्रभाष रावत कुछ-ना-कुछ नया सीखते रहने में विश्वास करते हैं। बीते 5 साल से ज्यादा समय ...और देखें

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