Black Budget: क्या होता है ब्लैक बजट? भारत में भी आ चुकी है इसे पेश करने की नौबत
India Black Budget History: जब किसी देश में ब्लैक बजट को पेश करने की नौबत आ जाती है तो इससे देश की चरमराई आर्थिक स्थिति के संकेत मिलते हैं। इंदिरा गांधी की सरकार के समय भारत में भी यह स्थिति देखने को मिल चुकी है और ब्लैक बजट पेश करना पड़ा था।
ब्लैक बजट क्या होता है? (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्या होता ब्लैक बजट: जब सरकार की ओर से पेश किया गया बजट उसकी आय से बहुत ज्यादा हो जाता है तो इसे 'ब्लैक बजट' का नाम दिया जाता है, दूसरे शब्दों में जब किसी देश का खर्च उसकी कमाई से बहुत ज्यादा हो जाता है तो इसे 'ब्लैक बजट' का नाम दिया जाता है।
संबंधित खबरें
उदाहरण के लिए अगर कोई सरकार टैक्स और अन्य आय के स्रोतों से 500 रुपये की कमाई करती है और उसका खर्च 600 रुपये है तो यह स्थिति ब्लैक बजट लाने पर मजबूरी करती है। ब्लैक बजट की स्थिति में सरकार को अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती है और इसका असर साफ तौर पर देश की आर्थिक प्रगति में देखने को मिलता है।
भारत में 'ब्लैक बजट' का इतिहास:
भारत में ब्लैक बजट साल 1973 में वित्त वर्ष 1973-74 वित्त वर्ष के लिए पेश किया गया था। इस समय इंदिरा गांधी की सरकार में यशवंतराव बी चव्हाण वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत थे। पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध और भारत में सूखे की स्थिति के चलते देश में वित्तीय घाटा 550 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। आर्थिक तंगी के जूझने के बीच कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण करते हुए इस काम के लिए 56 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। कोयले के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा खत्म होने से भी सरकार की आय पर असर आ गया था।
साल 1971 का युद्ध और सूखे की स्थिति:
साल 1971 में पाकिस्तान से लड़ाई लड़कर भारत ने बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी और युद्ध बहुत समय तक ना चलने के बावजूद इसमें काफी खर्च देखने को मिला था। साथ ही खाद्यान्न की जरूरत इस समय के दौरान काफी बढ़ गई थी जबकि इसी साल के दौरान सूखा भी पड़ गया था, इसलिए आने वाले सालों में आर्थिक स्थिति पर इसका गंभीर असर देखने को मिला। वित्तीय घाटा बढ़ने से ब्लैक बजट पेश करने की नौबत आई थी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बिजनेस (business News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक विषयों में विशेष रुचि रखने वाले प्रभाष रावत कुछ-ना-कुछ नया सीखते रहने में विश्वास करते हैं। बीते 5 साल से ज्यादा समय ...और देखें
SDF Productions Exports: नागपुर के संतरे और अल्फांसो मैंगो पल्प को ग्लोबल मार्केट में पहुंचा रही कोलकाता की कंपनी, नितिन गडकरी ने की तारीफ
Dollar vs Rupee Today Price: डॉलर के मुकाबले मजबूत होगा रुपया ! मगर नहीं जा पाएगा 85-86 के लेवल से ज्यादा नीचे
FPI Investment in India: जनवरी में एक दिन को छोड़ हर दिन विदेशी निवेशकों ने की बिकवाली, अब तक निकाले 44396 करोड़ रु
First Budget of India: इस शख्स ने पेश किया था आजाद भारत का पहला बजट, जानें कितना था रेवेन्यू और एक्पेंडिचर
Mutual Fund vs Stocks: फर्स्ट टाइम इंवेस्टर्स के लिए शेयर बाजार के बजाय MF चुनना है अक्लमंदी, एक नहीं कई हैं रीजन, जानें करोड़पति बनने का तरीका
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited