ऐसे ही नहीं RBI लाया डिजिटल रुपया,आतंकवाद पर नकेल से लेकर मिलेंगे ये फायदे !

RBI Digital Rupee: भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों से आगे निकलते हुए अपनी डिजिटल करंसी की शुरूआत भारत में कर दी है। असल e-rupee करंसी का डिजिटल रूप है। जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है। e-rupee को मोबाइल वॉलेट में रखा जा सकेगा।

मुख्य बातें
  • e-rupee को कनवर्ट नहीं किया जा सकेगा।
  • डिजिटल करंसी से ट्रांजैक्शन लागत घट जाएगी।
  • आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों की फंडिंग पर भी नकेल कसी जा सकेगी।

RBI Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल रूपये को लांच कर दिया है। यह आठ बैंकों के जरिए शुरू में चार शहरों मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लेन-देन के लिए उपलब्ध होगा। और उसके बाद अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला में इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। आरबीआई ने e-rupee को फिलहाल पॉयलट प्रोजेक्ट के रूप में लांच किया है। और इस दौरान डिजिटल rupee क्रिएशन, डिस्ट्रीब्यूशन और रिटेल में इस्तेमाल की पूरी प्रोसेस को बारीकी से परखा जाएगा। और इसके बाद e-rupee को पूरे देश में लांच किया जा सकेगा।

क्या है e-rupee

भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों से आगे निकलते हुए अपनी डिजिटल करंसी की शुरूआत भारत में कर दी है। असल e-rupee करंसी का डिजिटल रूप है। जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर काम करती है। इसकी वैल्यू भी मौजूदा करंसी के बराबर ही होगी। इसको भी फिजिकल करंसी की तरह ही इस्तेमाल किया जाएगा। e-rupee को मोबाइल वॉलेट में रखा जा सकेगा। साथ ही इसे रखने के लिए बैंक खाते की जरूरत नहीं होगी। इसे CBDC होलसेल और CBDC रिटेल के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

कन्वर्ट नहीं की जा सकेगी, क्रिप्टो करंसी से अलग

e-rupee को कनवर्ट नहीं किया जा सकेगा। रिटेल के पायलट प्रोजेक्ट के लिए SBI, ICICI, यस बैंक और IDFC फर्स्ट बैंक से इसकी शुरूआत हो रही है। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, HDFC बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक को पायलट प्रोजेक्ट शामिल किया जाएगा।

e-rupee लीगल टेंडर होगा , ऐसे में इसकी वैल्यू दूसरी क्रिप्टो करंसी जैसे उपर-नीचे नहीं होंगी। यानी क्रिप्टो करंसी जैसा इससे मुनाफा नहीं कमाया जा सकेगा। आसान भाषा में कहें तो अगर भारत में आप के पास 100 रुपये का नोट है तो उसकी वैल्यू 100 रुपये ही रहती है। इसी तरह डिजिटल करंसी की भी वैल्यू होगी। और जैसे दुनिया के विभिन्न करंसी की तुलना में रुपये की वैल्यू होती है। ऐसा ही डिजिटल करंसी के साथ भी होगा।

क्या होगा फायदा

डिजिटल करंसी से ट्रांजैक्शन लागत घट जाएगी। इससे रूपये को छापने की प्रिटिंग लागत के साथ -साथ, मूवमेंट लागत कम हो जाएगी। अगर इसका इस्तेमाल सफल रहा है तो कुल लेन-देन में डिजिटल करंसी की बड़ी हिस्सेदारी हो जाएगी। और उससे निश्चित तौर पर सरकार के खर्च में बड़ी कमी आएगी। इसके अलावा आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों की फंडिंग पर भी नकेल कसी जा सकेगी।

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