क्या होती है हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ, जिसे रघुराम राजन ने बताया जोखिम भरा

What is Hindu Rate of Growth: रघुराम राजन ने जिस हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ की बात कही है, वह आजादी के बाद का वह दौर है, जब भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ रेट बेहद कम हुआ करती थी। और वह 5 फीसदी ग्रोथ रेट के आंकड़े को छू नहीं पाती थी।

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आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इकोनॉमी को लेकर चेताया

What is Hindu Rate of Growth: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारतीय इकोनॉमी पर चेतावनी भरा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत एक बार फिर से 'हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ' के करीब पहुंच रहा है। राजन के अनुसार जिस तरह निजी क्षेत्र ने निवेश में कमी कर रखी है, आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है और ग्लोबल लेवल पर ग्रोथ सुस्त हो रही है, उसे देखते हुए भारत कम ग्रोथ वाली 'हिन्द रेट ऑफ ग्रोथ' के बेहद करीब पहुंच गया है। अब सवाल उठता है कि हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ क्या है और वह क्यों चिंता का विषय है..

क्या होती है हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ

असल में राजन ने जिस हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ की बात कही है, वह आजादी के बाद का वह दौर है, जब भारतीय इकोनॉमी की ग्रोथ रेट बेहद कम हुआ करती थी। और वह 5 फीसदी ग्रोथ रेट के आंकड़े को छू नहीं पाती थी। इस दौर में निवेश का दारोमदार सरकार पर होता था। यह वह दौर था, जब लाइसेंस राज था। निजी क्षेत्र का निवेश बहुत कम था। भारत में ऊंची ब्याज दरें हुआ करती थी। और महंगाई भी ऊंची रहती थी।

राजन के अनुसार मौजूदा ग्रोथ रेच उसी के करीब पहुंच गई है। जब ग्रोथ रेट तिमाही आधार पर लगातार घट रही है। आरबीआई लगातार कर्ज महंगा कर रहा है, महंगाई अभी भी 6 फीसदी से ज्यादा बनी हुई हैं और बैंकों ने एफडी में बढ़ोतरी कर, उसे 8 फीसदी तक पहुंचा दिया है।

NSSO के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में GDP ग्रोथ रेट घटकर 4.4 फीसदी पर आ गई है। जो कि दूसरी तिमाही में 6.3 फीसदी और पहली तिमाही 13.2 फीसदी थी। राजन ने कहा है कि मेरी आशंकाएं बेवजह नहीं हैं। RBI ने तो चौथी तिमाही के लिए और भी कम 4.2 फीसदी की ग्रोथ रेट का अनुमान जताया है। वहीं अगर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की औसत ग्रोथ रेट की तीन साल पहले से तुलना की जाय तो वह 3.7 फीसदी है। यानी वह पुरानी हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ के बेहद करीब है और यह डराने वाली बात है, हमें इससे बेहतर करना होगा।

कैसे आया हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ टर्म

असल में हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कोई इकोनॉमिक्स का शब्द नहीं है। 70 के दशक में अर्थशास्त्री और प्रोफेसर राज कृष्ण अक्सर कहा करते थे कि हम कुछ भी कर लें, हमारी विकास दर इतनी ही रहती है। और उन्होंने इसी आधार पर 1978 में भारतीय इकोनॉमी के लिए हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ टर्म दिया और वह बाद में प्रचलित शब्द बन गया। आजादी के समय भारतीय इकोनॉमी कमजोर स्थिति में थी। और निवेश कम होने और बचत आधारित इकोनॉमी होने से 1950 से 1980 के दौरान ग्रोथ रेट महज 3.5 फीसदी के आस-पास थी। हालांकि बाद में उदारीकरण का रास्ता अपनाने के बाद भारतीय इकोनॉमी ने रफ्तार पकड़ ली और आज वह दुनिया की 5 वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गई है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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