Mutual Fund Lite: म्यूचुअल फंड लाइट को मिली मंजूरी, निवेशकों को मिलेंगे सस्ते और आसान विकल्प; जानें फायदे?
Mutual Fund News: म्यूचुअल फंड लाइट ढांचे की शुरूआत को मंजूरी मिल गई। अब ऐसे में आपके मन में भी सवाल उठ रहा होगा कि आखिर म्यूचुअल फंड लाइट है क्या? म्यूचुअल फंड लाइट से आपको क्या फायदा मिलेगा। इन सभी बातों हम आपको यहां बता रहे हैं, तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
म्यूचुअल फंड लाइट।
Mutual Fund Lite Benefits: सेबी ने (SEBI) म्यूचुअल फंड को बढ़ावा देने और बाजार में नए खिलाड़ियों के एंट्री को आसान बनाने के लिए म्यूचुअल फंड लाइट ढांचे की शुरूआत को मंजूरी दे दी है। म्यूचुअल फंड लाइट पहल से मार्केट की लिक्विडिटी में भी सुधार आने की संभावना है। इससे इन्वेस्टमेंट के नए मौके भी सामने आएंगे। जिसमें नेटवर्थ, ट्रैक रिकॉर्ड और फायदे की बाक, ट्रस्टियों की जिम्मेदारी, अप्रूवल प्रोसेस और डिस्क्लोजर शामिल हैं।
म्यूचुअल फंड लाइट में क्या नया?
इससे एक्टिव और पैसिव दोनों तरह की प्लान वाली मौजूदा AMC के पास, यदि वे चाहें तो, संबंधित एक्टिव प्लान को किसी अलग ग्रुप इंटिटी में अलग कर पाएंगे। उनके पास इसका विकल्प होगा। यानी इस एक ही कॉमन स्पॉन्सर से जरिए अलग-अलग एएमसी के एक्टिव और पैसिव प्लान का मैनेजम किया जा सकेगा। यदि वे मौजूदा एएमसी के भीतर पैसिव तरीके से स्कीम को मैनेज करना जारी रखने का विकल्प चुनते हैं, तो इंडेक्स पर आधारित पैसिव स्कीम के लिए प्रकटीकरण और अन्य विनियामक जरूरतें, जो एमएफ लाइट के अंतर्गत कवर की जाएंगी, उन पर भी लागू होंगी।
इसके अलावा, सेबी ने एक नए एसेट क्लास को भी मंजूरी दी है, जो हाई नेटवर्थ वाले निवेशकों को जोखिमपूर्ण विनियमित उत्पादों में निवेश करने की अनुमति देता है। नए एसेट क्लास में न्यूनतम निवेश राशि 10 लाख रुपये होगी। नए उत्पाद के तहत पेशकशों को 'निवेश रणनीति' के रूप में संदर्भित किया जाएगा, ताकि पारंपरिक म्यूचुअल फंड के तहत पेश की जाने वाली योजनाओं से स्पष्ट अंतर बनाए रखा जा सके। नए उत्पाद का उद्देश्य एक नए एसेट क्लास के माध्यम से देश के निवेश परिदृश्य में गहराई और विविधता जोड़ना है।
निवेशकों को क्या मिलेगा फायदा
नए नियम से आम निवेशकों के लिए निवेश के सस्ते और आसान विकल्प बढ़ेंगे। ऐसे फंड बनेंगे, जो सिर्फ इंडेक्स फंड और ईटीएफ जैसी पैसिव म्यूचुअल फंड स्कीम का प्रबंधन करेंगे। अभी पैसिव फंड का कुल व्यय अनुपात औसतन 20 आधार अंक है। इससे इसमें कमी आ सकती है। बाजार में प्रतियोगिता बढ़ने से निवेशकों को कई विकल्प मिल सकते हैं।
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