भारत-यूएस-यूएई मिलकर तोड़ेंगे चीन का गुरूर, जानें क्या है वन बेल्ट वन रोड, जिस पर ड्रेगन ने खेला था दांव

What Is One Belt One Road: चीन ने अपने उस सिल्क रूट को फिर से एक्टिव करने के लिए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसे वन बेल्ट वन रोड भी कहा जाता है। मगर भारत से यूरोप तक के इकोनॉमिक कॉरिडोर को इस रूट के प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा जा रहा है।

What Is One Belt One Road

वन बेल्ट वन रोड क्या है

मुख्य बातें
  • तैयार होगा भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर
  • चीन के वन बेल्ट वन रोड से होगा मुकाबला
  • वन बेल्ट वन रोड में करीब 150 देश शामिल
What Is One Belt One Road: जी-20 समिट (G-20 Summit) में भारत-मध्य पूर्व और यूरोप तक के बीच एक इकोनॉमिक कोरिडोर तैयार करने का ऐलान किया गया है, जिसे भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Economic Corridor) नाम दिया जा रहा है। इस कॉरिडोर में मध्य पूर्व के यूएई-सऊदी अरब शामिल होंगे। इस कॉरिडोर की तुलना चीन के ऐतिहासिक सिल्क रोड (जिसे सिल्क रूट भी कहा जाता है) से की जा रही है।
चीन ने अपने उस सिल्क रूट को फिर से एक्टिव करने के लिए बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसे वन बेल्ट वन रोड भी कहा जाता है। बीआरआई में करीब 150 देश हैं। मगर भारत से यूरोप तक के इकोनॉमिक कॉरिडोर को इस रूट के प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या है बीआरआई

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा 2013 में लॉन्च किया गया बीआरआई डेवलपमेंट और निवेश इनिशिएटिव्स का एक समूह है, जिसे पूर्वी एशिया और यूरोप को फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए जोड़ने के लिए तैयार किया गया था। फिर इस परियोजना का विस्तार अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और लैटिन अमेरिका तक हो गया है, जिससे चीन का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव काफी बढ़ गया है।

क्या है बीआरआई के पीछे का मकसद

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव चीन का एक विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है, जिसका लक्ष्य दुनिया भर में विस्तार करना है। इस प्रोजेक्ट को चीन के प्रभाव को फैलाने के एक माध्यम के तौर पर भी देखा जाता है।
कई जानकार इस प्रोजेक्ट को चीनी शक्ति के परेशान करने वाले विस्तार के रूप में देखते हैं। कहा यह भी जाता है कि अमेरिका इस प्रोजेक्ट के मुकाबले में अपना विजन पेश कर पाने में संघर्ष कर रहा है।

भारत-यूएस-यूएई की भूमिका

चीन के बीआरआई का मुकाबला करने के लिए भारत, यूएई, सऊदी अरब और यूरोप के साथ अमेरिका भी एक प्लेटफॉर्म पर आया। भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की प्लानिंग लंबे समय से चल रही थी। इसके पीछे अमेरिका की अहम भूमिका रही है, क्योंकि ये कॉरिडोर इजराइल से भी गुजरेगा।
ऐसे में सऊदी अरब को साथ लाना अमेरिका के लिए एक चुनौती थी। क्योंकि इजराइल और सऊदी अरब के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं। मगर अब ये संभव हो गया है और कॉरिडोर का ऐलान कर दिया गया है।

भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की खासियत

  • भारत से कॉमर्स, एनर्जी और डेटा मध्य पूर्व से यूरोप तक पहुंचेगा
  • लो और मीडियम आय वाले देशों को फायदा होगा
  • ग्लोबल कॉमर्स में मध्य पूर्व की भूमिका बढ़ेगी
  • इंफ्रास्ट्रक्चर डील के जरिए मध्य पूर्व के देश रेलवे नेटवर्क के जरिए जुड़ेंगे
  • इस नेटवर्क में शिप भी होंगे, जिनसे पानी के रास्ते कारोबार बढ़ेगा
  • भारत और यूरोप के बीच व्यापार 40% तेज हो जाएगा

चीन को लगा पहला झटका

भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का ऐलान होते ही चीन को एक तगड़ा झटका भी लग गया है। दरअसल इटली ने चीन के बीआरआई से बाहर निकलने का ऐलान कर दिया है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बिजनेस (business News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited