Sweep in FD: स्वीप-इन एफडी क्या है, ब्याज दर और फायदों पर खास नजर
Sweep in FD : अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए स्वीप-इन फिक्स्ड डिपॉजिट्स (एफडी) निवेश का अच्छा विकल्प है। लेकिन इंवेस्टमेंट से पहले इसके लिमिटेशन और जुड़े जोखिमों को जरूर समझ लेना चाहिए। यहां आप इसके बार में विस्तार से जान सकते है।
स्वीप-इन एफडी के बारे में जानने योग्य बातें
स्वीप-इन एफडी (Sweep in FD ) क्या होती है?
स्वीप-इन एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) एक प्रकार का बैंक अकाउंट है, जिसमें सेविंग तथा फिक्स्ड डिपॉजिट दोनो अकाउंट के फीचर शामिल हैं। इसके साथ, आप अपनी बचत पर उच्च ब्याज दर हासिल कर सकते हैं और साथ ही जब भी आपको जरूरत हो, आप अपने पैसे को विथड्रॉ कर सकते हैं।
स्वीप-इन सुविधा किस तरह से काम करती है?
जब आपका एसबीए बैलेंस एक तय सीमा से अधिक हो जाता है, तो स्वीप-इन सुविधा के तहत सरप्लस फंड को एफडी अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है। हर बैंक में ऑटो-स्वीप सुविधा का स्ट्रक्चर अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए, न्यूनतम औसत बैलेंस (एमएबी) आवश्यकता अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह 25,000/-रुपये से 50,000/- रुपये के भीतर होती है। कुछ बैंक आपको न्यूनतम औसत बैलेंस तय करने की अनुमति भी दे सकते हैं। स्वीप-इन सुविधा के मामले में, बैंक द्वारा एफडी की कम से कम मैच्योरिटी अवधि तथा उच्चतम सीमा को तय किया जा सकता है। इसलिए, कुछ बैंक 10,000/- के मल्टीपल में एफडी बना सकते हैं, जबकि दूसरे बैंक इसे केवल 100,000/- के मल्टीपल में करते हैं।
इसके अलावा, यदि आप अपने एसबीए बैलेंस से अधिक विथड्रॉ करते हैं, तो शेष राशि को ऑटोमैटिकली एफडी से ले लिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आप अपने स्वीप-इन एसबीए अकाउंट से 30,000/- रुपये निकलवाना चाहते हैं, जिसमें बैलेंस 25,000/- रुपये है तो बैंक 5,000/- रुपये एफडी से ले लेगा ताकि आप अपनी मर्जी की राशि को विथड्रॉ कर सकें।
स्वीप-इन एफडी (Sweep in FD) पर ब्याज दरें
स्वीप-इन एफडी पर बैंक की नियमित फिक्स्ड डिपाज़िट दरें दी जाती हैं, जो आमतौर पर नियमित सेविंग अकाउंट पर दी जाने वाली ब्याज दरों से अधिक होती हैं। वर्तमान में बैंकों द्वारा अलग-अलग अवधियों के लिए 8% तक रिटर्न ऑफर की जाती है।
सेविंग और एफडी अकांउट में स्वीप कैसे किया जाता है
आपके सेविंग अकाउंट तथा एफडी अकाउंट में स्वीप के दो तरीके हैं। पहली विधि लास्ट इन फर्स्ट आउट (एलआईएफओ) है, और दूसरी विधि फर्स्ट इन फर्स्ट आउट (एफआईएफओ) है। एलआईएफओ विधि से आमतौर पर बेहतर रिटर्न मिलते हैं क्योंकि पहली एफडी जिसे स्वीप किया जाता है, उस पर लंबी अवधि के लिए अधिक ब्याज मिलने की संभावना होती है। एफआईएफओ उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो बार-बार विथड्रावल करते हैं।
पेनल्टी और चार्ज
नियमित एफडी को मैच्योरिटी से पहले विथड्रॉ करने या उसे तोड़ने पर पीनल (दंडात्मक) ब्याज रेट लागू हो सकती है। लेकिन, स्वीप-इन अकाउंट से जुड़ी एफडी पर समय से पहले पैसे निकलवाने पर विथड्रावल पेनल्टी नहीं लगती है, जिसके कारण यह आकर्षक विकल्प बन जाती हैं। लेकिन, यदि स्वीप-इन अकाउंट को समय से पहले बंद किया जाता है, तो प्री-क्लोजर चार्ज लगाया जाएगा। स्वीप अकाउंट की तय अवधि होती है, जो 12 महीने से 60 महीने की होती है, जो स्वीप अकांउट से जुड़ी एफडी की मैच्योरिटी पर भी लागू होती है।
स्वीप-इन के लाभ
स्वीप-इन एफडी का मुख्य लाभ आपको अपने सेविंग अकाउंट पर अधिक ब्याज मिलना होता है जिसमें आपको एफडी अकांउट में मैन्यूअली ट्रांसफर नहीं करना पड़ता है। आपातस्थिति में, आप अपने फंड्स को शीघ्रतापूर्वक एक्सेस कर सकते हैं, जिन्हें स्वीप एफडी अकाउंट से आपके सेविंग अकाउंट में स्वीप किया जा सकता है। साथ ही, ओवरड्राफ्ट सुविधा की तुलना में, जिसमें विथड्रावल राशि पर प्रतिबंध होता है, स्वीप-इन अकाउंट से आप अपनी जरूरत के मुताबिक राशि निकलवा सकते हैं।
स्वीप-इन एफडी (Sweep in FD) की कमियां
स्वीप-इन एफडी पर ब्याज की गणना उन दिनों के आधार पर की जाती है, जितने दिनों तक आपने बैंक के पास अपनी एफडी को बनाए रखा है। यदि आप अपनी एफडी से बार-बार पैसा निकलवाते हैं, तो आपको ब्याज गंवाना पड़ सकता है, फिर चाहे आपने अकाउंट में कितनी भी राशि जमा क्यों न की हो। इसलिए, यदि आपकी एफडी की अवधि 365 दिनों की है, लेकिन आप इसको खोलने के 45 दिनों के भीतर ही विथड्रॉ कर लेते हैं, तो ब्याज केवल 45 दिनों के लिए ही दिया जाएगा। साथ ही, बैंक एफडी पर निम्न ब्याज दरें दे सकते हैं, जहां पर विथड्रावल अकाउंट खोलने के 30 दिनों के भीतर किया जाता है। इस प्रकार, यह सलाह दी जाती है कि एफडी को तभी चुने जब आप कम से कम उसे 30 दिनों से अधिक समय तक के लिए बनाए रखना चाहते हैं। नियमित फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में, स्वीप-इन एफडी के साथ सीमित अवधि विकल्प जुड़ा रहता है, जो चुनिंदा निवेशकों के लिए ठीक हो सकता है।
क्या आपको निवेश करना चाहिए?
स्वीप-इन एफडी का विकल्प चुनने से पहले, आपको इसकी जरूरत को समझ लेना चाहिए। इस सुविधा से आप उस सरप्लस फंड पर बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं जिसकी आपको तत्काल जरूरत नहीं है। स्वीप-इन अकाउंट का प्रयोग इमरजेंसी के लिए करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें तय उच्चतम सीमा से परे विथड्रावल की तुलना में अधिक डिपॉजिट हो सकते हैं। साथ ही, स्वीप-इन एफडी से वास्तविक रिटर्न की गणना करते समय इंफ्लेशन पर भी विचार किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि स्वीप-इन एफडी पर एक वर्ष की अवधि के लिए 8% प्रति वर्ष ब्याज मिलता है (यह मान लिया जाए कि इंफ्लेशन 5% है), तो आपको वास्तव में 3% का रिटर्न हासिल होगा। यदि आप उच्चतम टैक्स ब्रैकेट में आते हैं, तो पोस्ट-टैक्स यह रिटर्न गिर कर 2% हो जाएगा। ऑटो-स्वीप सुविधा उन लोगों के लिए आदर्श होती है जिनकी सेविंग के संबंध में कम जोखिम उठाने की सोच रहती है। इसे चुनने से पहले, उच्चतम सीमा की जांच कर लें तथा स्वीप-इन एफडी से जुड़े चार्ज आदि को जान लें ताकि आप सोच-समझ कर फैसला कर सकें।
(यह लेख टीम बैंकबाजार के द्वारा लिखी गई हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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