जिस टनल में 17 दिन फंसे 41 मजदूर, उस पर 1400 करोड़ क्यों खर्च कर रही सरकार, जानें किन फायदों पर नजर
पहाड़ चीरकर 17 दिन बाद उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकला लिया गया। साल 2018 में उत्तराखंड में चारधाम महामार्ग परियोजना तहत इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। इसके बन जाने के बाद किसे क्या फायदा होगा और ये उत्तराखंड के किस इलाके को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ेगी।
silkyara tunnel Project,
Silkyara tunnel Project Budget: 17 दिन... दर्जनों देसी और विदेशी मशीनें... सैकड़ों बचावकर्मी और देश के करोड़ों लोगों की दुआएं। बुलंद हौसलों के आगे चट्टान जैसी चुनौती ने अपने घुटने टेक दिए और पहाड़ चीरकर 17 दिन बाद उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकला लिया गया। अब जब करीब 400 घंटे तक लगातार चला रेस्क्यू ऑपरेशन कामयाब रहा है, तो यह भी जान लीजिए कि आखिर दुर्गम पहाड़ों को चीरकर ये टनल क्यों बनाई जा रही है। इसके बन जाने के बाद किसे क्या फायदा होगा और इसके किस इलाके को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है।
पांच साल पहले मिली थी मंजूरी
बात पांच साल पुरानी है। साल 2018 में उत्तराखंड में चारधाम महामार्ग परियोजना तहत इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। इस प्रोजक्ट के तहत गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने के लिए सिल्क्यारा में 4.531 किमी लंबी टू लेन टनल का निर्माण कार्य शुरू हुआ। राष्ट्रीय राजमार्ग और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) को इस प्रोजेक्ट पर काम करने का जिम्मा मिला।
प्रोजेक्ट की कितनी लागत?
यह परियोजना उत्तराखंड में नेशनल हाइवे (NH)134 के पास है। कैबिनेट की तरफ से इस प्रोजक्ट के लिए चार साल की अवधि तय की गई और 1,119.69 करोड़ रुपये की लागत का आंकलन किया गया। फिर भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास लागत को जोड़कर परियोजना की कुल लागत 1,383.78 करोड़ रुपये तय की गई।
तय अवधि के अनुसार, इस टनल को 2022 में पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन काम में हुई देरी के चलते संभावाना जताई गई कि यह प्रोजेक्ट मई 2024 तक पूरा हो जाएगा। अभी तक इसका 56 प्रतिशत काम पूरा हो पाया है। फिलहाल लगभग 4060 मीटर यानी 90 प्रतिशत लंबाई का कार्य पूरा हो चुका है
टनल से क्या होगा फायदा?
इस टनल के बन जान के बाद चारधाम यात्रा के धामों में से एक यमुनोत्री तक हर मौसम में पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे देश के भीतर क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक विकास, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे धरासू से यमुनोत्री की यात्रा दूरी लगभग 20 किमी और यात्रा समय लगभग एक घंटा कम हो जाएगा। प्रस्तावित टनल उन पेड़ों की संख्या को बचाएगी जिन्हें 25.600 किमी के सड़क के चौड़ीकरण में हटाने की आवश्यकता होती।
12 नवंबर, 2023 को क्या हुआ?
सुबह 5.30 बजे लगभग 41 मजदूर सिल्कयारा पोर्टल से सुरंग के अंदर 260-265 मीटर की दूरी पर रीप्रोफाइलिंग कर रहे थे। तभी पोर्टल से 205-260 मीटर की दूरी पर सुरंग धंस गई और मजदूर अंदर ही फंस गए। टनल के जिस हिस्से में मजदूर फंसे थे, वह 8.5 मीटर ऊंचा और 2 किमी लंबा था। मजदूरों के सामने करीब 70 मीटर का मलबा आ गिरा था।
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रोहित ओझा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉरस्पॉडेंट सितंबर 2023 से काम कर रहे हैं। यहां पर वो बिजेनस और यूटिलिटी की खबरों पर काम करते हैं। मी...और देखें
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