RBI Gold Reserve: देश के बाहर कहां-कहां सोना रखता है RBI, जानिए क्या होता है गोल्ड का फायदा
RBI Gold Reserve: 387.26 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के पास सुरक्षित रखा गया है। वहीं 26.53 मीट्रिक टन सोना डिपॉजिट के रूप में रखा गया है।
आरबीआई का गोल्ड रिजर्व
- भारत ने मंगाया ब्रिटेन से गोल्ड
- विदेश में अब भी है और सोना
- और मंगाया जा सकता है भारत
RBI Gold Reserve: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्रिटेन से 100 टन सोना लाकर अपने भंडार में रख लिया है। बता दें कि 1991 में आरबीआई को तब कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था, जब देश विदेशी मुद्रा संकट से गुजर रहा था और आरबीआई को अपने गोल्ड रिजर्व का एक हिस्सा गिरवी रखना पड़ा था। 1991 के बाद यह पहली बार है जब भारत ने इतनी बड़ी मात्रा में सोना वापस मंगाया है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2024 के अंत तक, आरबीआई के पास 822.10 मीट्रिक टन सोना था, जिसमें से 408.31 मीट्रिक टन सोना देश में था। जबकि 387.26 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के पास सुरक्षित रखा गया है। वहीं 26.53 मीट्रिक टन सोना डिपॉजिट के रूप में रखा गया है।
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क्यों बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास रखा सोना
1990-91 में भारत के पास केवल 15 दिनों के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था। तब आरबीआई ने मई 1991 में अपने गोल्ड रिजर्व का एक हिस्सा बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास गिरवी रख दिया था। आरबीआई ने तब 46.91 टन इंग्लैंड सोना भेजा था और 40.5 करोड़ डॉलर का लोन हासिल किया था जिसमें बैंक ऑफ जापान के पास भी कुछ सोना गिरवी रखा गया था।
नवंबर 1991 तक लोन चुका दिया गया था, लेकिन रिजर्व बैंक ने लॉजिस्टिक्स कारणों से सोने को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड की तिजोरी में रखना बेहतर समझा। इसके अलावा सर्टिफिकेट्स के रूप में रखे गए सोने का इस्तेमाल ट्रेड करने और थोड़ा रिटर्न कमाने के लिए किया जा सकता था।
आरबीआई जमकर खरीद रहा सोना
RBI का सोना खरीदने का इतिहास रहा है। इसने 2018 में सोना खरीदना शुरू किया था और इससे पहले 2009 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान 200 टन सोना खरीदा था। 2024 की पहली तिमाही में RBI ने 19 टन सोना खरीदा, जो 2023 में खरीदे गए 16 टन से ज़्यादा है।
केंद्रीय बैंक क्यों खरीदते हैं सोना
फाइनेंशियल स्थिरता
सोना एक स्थिर एसेट है जो वित्तीय संकटों के दौरान केंद्रीय बैंकों को अर्थव्यवस्थाओं को स्थिर करने में मदद कर सकती है। यह बाजार में उथल-पुथल या करेंसी की अस्थिरता के समय भी एक काम की एसेट मानी जाती है।
मुद्रास्फीति से बचाव
जब मुद्रास्फीति के कारण करेंसी का मूल्य कमज़ोर होता है, तो सोना विदेशी भंडार की क्रय शक्ति (Purchasing Power) की रक्षा करने में मदद कर सकता है। मुद्रास्फीति के दौरान सोना अक्सर अपनी वैल्यू बनाए रखता है या इसकी वैल्यू बढ़ भी जाती है।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन
सोना पोर्टफोलियो या निवेश में डायवर्सिफिकेशन लाकर जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। वहीं गोल्ड रिजर्व केंद्रीय बैंक की ताकत और देश की वित्तीय सुरक्षा में आत्मविश्वास पैदा करने में मदद कर सकता है।
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काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें
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