Who is Saurabh Mukherjea: कौन हैं सौरभ मुखर्जी, जिन्होंने मिडिल क्लास को दी चौंकाने वाली चेतावनी, अब नौकरी नहीं बचेंगी
Who is Saurabh Mukherjea: मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर सौरभ मुखर्जी ने कहा है कि भारत में "सैलरीमैन का युग" अब खत्म हो रहा है। उन्होंने चेताया कि मिडिल क्लास को पारंपरिक नौकरी की सुरक्षा के बजाय अब उद्यमिता और रिस्क लेने की सोच अपनानी चाहिए, क्योंकि AI और ऑटोमेशन तेजी से जॉब्स को बदल रहे हैं।

मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी
Who is Saurabh Mukherjea: मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर और चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर सौरभ मुखर्जी ने 20 अप्रैल 2025 को एक पॉडकास्ट में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारत में पारंपरिक ‘सैलरी वाली नौकरी’ का दौर अब खत्म हो रहा है, खासतौर पर मिडल मैनेजमेंट में। उन्होंने देश के मध्यम वर्ग को नौकरी की सुरक्षा के भ्रम से बाहर निकलने और उद्यमिता को अपनाने की सलाह दी। मुखर्जी ने कहा कि भारत के जॉब मार्केट में अब मूलभूत बदलाव हो रहा है। एआई और ऑटोमेशन मिडल मैनेजमेंट की ज़रूरत को खत्म कर रहे हैं। Google जैसी कंपनियां पहले ही 30% से ज्यादा कोड AI से बनवा रही हैं। बैंकिंग, आईटी, मीडिया और फाइनेंस जैसे सेक्टरों में इंसानी भूमिकाएं सिकुड़ रही हैं।
“सैलरी का मोह छोड़िए, रिस्क लेना सीखिए”
सौरभ मुखर्जी ने कहा, “हमारी सोसाइटी डेजिग्नेशन और सैलरी की दीवानी है।” उन्होंने कहा कि माता-पिता को बच्चों को सिर्फ नौकरी पाने के लिए नहीं, बल्कि क्रिएटर और इनोवेटर बनने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उद्यमिता अब लक्ज़री नहीं, बल्कि जरूरत बनती जा रही है।
JAM Trinity से तैयार है नया भारत
मुखर्जी ने बताया कि जनधन, आधार और मोबाइल (JAM) की तिकड़ी भारत में माइक्रो-उद्यमिता के लिए जमीन तैयार कर चुकी है। मोबाइल और इंटरनेट ने बाजार और स्किल्स को डेमोक्रेटाइज किया। UPI और जनधन ने डिजिटल लेन-देन को आसान बनाया। आधार ने भरोसे की डिजिटल पहचान दी।
कौन होंगे सबसे ज्यादा प्रभावित?
- टियर-2 और टियर-3 कॉलेजों से ग्रैजुएट्स
- मिड-कैरियर प्रोफेशनल्स (IT, बैंकिंग, मीडिया आदि)
- वे परिवार जो एकमात्र सैलरी पर निर्भर हैं और महंगाई से जूझ रहे हैं
अब क्या करें? समाधान की राह
- करियर को फिर से परिभाषित करें, स्टार्टअप्स, फ्रीलांसिंग पर विचार करें
- डिजिटल स्किल्स, कोडिंग, कम्युनिकेशन पर निवेश करें
- सफल माइक्रो-उद्यमियों से प्रेरणा लें
- छोटे साइड-बिज़नेस से शुरुआत करें और दीर्घकालिक सोच अपनाएं
यह चेतावनी नहीं, एक अवसर है
सौरभ मुखर्जी का यह बयान सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत की ओर संकेत है। भारत के पास अब टेक्नोलॉजी, फाइनेंस और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर है — अब जरूरत है सिर्फ मानसिकता बदलने की।
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