Wholesale Price Index: थोक महंगाई बढ़ी, 7 महीने बाद निगेटिव से पॉजिटिव हुई, ऐसे होगा जेब पर असर
Wholesale Price Index: रिटेल महंगाई भी तीन महीने की गिरावट के बाद नवंबर में बढ़कर 5.55 फीसदी पर पहुंच गई है। इसका कारण भी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होना है। अक्टूबर में रिटेल महंगाई 4.87 फीसदी थी।
महंगाई करेगी परेशान
Wholesale Price Index: सात महीनों के बाद थोक महंगाई दर निगेटिव से ऊपर पहुंच गई है। साफ है कि खाने-पीनें की चीजों की महंगाई ने थोक महंगाई बढ़ा दी है। नवंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 0.26 फीसदी पर पहुंच गई है।इससे पहले अक्टूबर में ये -0.52 फीसदी पर थी। इस दौरान खाद्य महंगाई 1.07 फीसदी से बढ़कर 4.69 फीसदी हो गई है। इसके अलावा खनिजों, मशीनरी व उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक व ऑप्टिकल उत्पादों, मोटर वाहनों, अन्य परिवहन उपकरणों और मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों के दाम बढ़ने के कारण महंगाई बढ़ी है।
निगेटिव से पॉजिटिव होने का क्या होगा असर
थोक महंगाई के निगेटिव से पॉजिटिव होने का सीधा मतलब है कि महंगाई बढ़ रही है। और अहम बात यह कि महंगाई का असर खाने-पीने की चीजों से लेकर रोज मर्रा की चीजों पर पड़ रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, नवंबर 2023 में मुद्रास्फीति मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, खनिजों, मशीनरी व उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक व ऑप्टिकल उत्पादों, मोटर वाहनों आदि के दाम बढ़े हैं।
और अगर थोक महंगाई बढ़ती है तो कारोबार की लागत बढ़ती है। जिसका खामियाजा आम उपभोक्ता को बढ़ी हुई कीमतों के रूप मे उठाना पड़ता है। थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है।
रिटेल महंगाई भी बढ़ी
इससे पहले रिटेल महंगाई भी तीन महीने की गिरावट के बाद नवंबर में बढ़कर 5.55 फीसदी पर पहुंच गई है। इसका कारण भी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होना है। अक्टूबर में रिटेल महंगाई 4.87 फीसदी थी। केवल में नवंबर में प्याज की कीमतें महीने दर महीने 58 फीसदी और टमाटर की कीमतें 35 बढ़ी थी। बढ़ती कीमतों के कारण आरबीआई को भी महंगाई का डर सता रहा है।
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