WPI Inflation Increases in India: आलू-प्याज-दाल ने बिगाड़ा बजट, थोक महंगाई एक बार फिर बढ़ी, लगातार तीसरे महीने राहत नहीं
Wholesale Price Inflation:मई में सब्जियों की महंगाई दर 32.42 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 23.60 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 58.05 प्रतिशत, जबकि आलू की महंगाई दर 64.05 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर मई में 21.95 प्रतिशत रही।
थोक महंगाई दर बढ़ी
Wholesale Price Inflation:खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति मई में लगातार तीसरे महीने बढ़कर 2.61 प्रतिशत हो गई।थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 1.26 प्रतिशत थी। मई 2023 में यह शून्य से नीचे 3.61 प्रतिशत रही थी। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 9.82 प्रतिशत बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह 7.74 प्रतिशत थी। सबसे ज्यादा प्याज और आलू की महंगाई परेशान कर रही है। जबकि दालों की महंगाई पर अभी तक नियंत्रित नहीं हो पाया है।
प्याज-आलू-दाल ने बिगाड़ा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि मई 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रहा। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 9.82 प्रतिशत बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह 7.74 प्रतिशत थी।
मई में सब्जियों की महंगाई दर 32.42 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 23.60 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 58.05 प्रतिशत, जबकि आलू की महंगाई दर 64.05 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर मई में 21.95 प्रतिशत रही।ईंधन एवं बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.35 प्रतिशत रही, जो अप्रैल के 1.38 प्रतिशत से मामूली कम है।विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति 0.78 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में शून्य से नीचे 0.42 प्रतिशत थी।
रिटेल महंगाई दर एक साल के निचले स्तर पर
इसके पहले इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार मई में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.75 प्रतिशत पर आ गई जो एक साल का सबसे निचला स्तर है।भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में लगातार आठवीं बार ब्याज दर को यथावत रखने का फैसला किया था। लेकिन जिस तरह खाद्य महंगाई अभी भी ज्यादा है, वह आरबीआई और केंद्र सरकार के लिए परेशानी का सबब है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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