थोक महंगाई दर लगातार 5 वें महीने निगेटिव जोन में, अगस्त में -0.52 फीसदी रही
Wholesale Price Inflation: थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर अप्रैल से शून्य से नीचे बनी है। जुलाई में यह शून्य से नीचे 1.36 प्रतिशत थी, जबकि अगस्त 2022 में यह 12.48 प्रतिशत रही थी।सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.60 प्रतिशत रही, जो जुलाई में 14.25 प्रतिशत थी।
थोक महंगाई पर राहत
Wholesale Price Inflation: थोक महंगाई दर में लगातार पांचवे महीने गिरावट आई है। अगस्त महीने में यह शून्य से 0.52 प्रतिशत नीचे रही है। थोक महंगाई दर अप्रैल से निगेटिव जोन में बनी हुई है। जुलाई में यह शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे थी। थोक महंगाई दर में गिरावट की प्रमुख वजह खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन तथा रसायन उत्पादों, कपड़ा व खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट होना रहा है। इसके अलावा टमाटर और दूसरी सब्जियों की कीमतों में गिरावट का असर थोक खाद्य महंगाई दर में भी दिखा है। इसमें भी जुलाई के 14.25 प्रतिशत के मुकाबले अगस्त में 3.65 प्रतिशत की गिरावट आई है। अगस्त में थोक खाद्य महंगाई दर 10.60 प्रतिशत थी।
अप्रैल से निगेटिव जोन में है थोक महंगाई दर
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर अप्रैल से शून्य से नीचे बनी है। जुलाई में यह शून्य से नीचे 1.36 प्रतिशत थी, जबकि अगस्त 2022 में यह 12.48 प्रतिशत रही थी।सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.60 प्रतिशत रही, जो जुलाई में 14.25 प्रतिशत थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगस्त 2023 में मुख्य रूप से पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन तथा रसायन उत्पादों, कपड़ा व खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण महंगाई दर शून्य से नीचे रही। इसके अलावा ईंधन और बिजली क्षेत्र में महंगाई दर शून्य से 6.03 प्रतिशत नीचे रही, जो जुलाई में शून्य से 12.79 प्रतिशत नीचे थी। इसी तरह मैन्युफक्चरिंग उत्पादों की महंगाई दर अगस्त में शून्य से नीचे 2.37 प्रतिशत रही। जुलाई में यह शून्य से नीचे 2.51 प्रतिशत थी।
रिटेल महंगाई दर में भी कमी आई
अगस्त में थोक महंगाई दर की तरह रिटेल महंगाई दर में भी कमी आई है। अगस्त में रिटेल महंगाई दर 6.83 प्रतिशत रही है जो जुलाई में 7.44 प्रतिशत थी। दोनों महंगाई दरों में कमी आने से आरबीआई के लिए अगली मौद्रिक नीति में फैसले लेना आसान रहेगा। आरबीआई ने बढ़ती रिटेल महंगाई को काबू में रखने के साथ अर्थव्यवस्था को गति देने के मकसद से पिछले महीने तीसरी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था।
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