क्यों छपने शुरू हुए थे 2000 के नोट, क्यों गलत था इन नोटों का छपना, पूर्व RBI ने गवर्नर ने बताई पूरी बात
2,000 रुपये के बैंक नोटों को वापस लेने से काले धन पर काफी हद तक लगाम लगाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कि लोग हाई वैलेयू के नोटों की जमाखोरी कर रहे हैं। गांधी, 2016 की नोटबंदी के दौरान मुद्रा विभाग को लीड कर रहे थे।
2000 रु के नोटबंद करने का कारण
- 2000 के नोट होने जा रहे बंद
- ब्लैकमनी पर रोक लगाने के लिए फैसला
- 30 सितंबर तक बदले जा सकते हैं ये नोट
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क्यों बंद किए जा रहे 2000 के नोट
2,000 रुपये के बैंक नोटों को वापस लेने से काले धन (Black Money) पर काफी हद तक लगाम लगाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कि लोग हाई वैलेयू के नोटों की जमाखोरी कर रहे हैं। गांधी, 2016 की नोटबंदी के दौरान मुद्रा विभाग (Currency Department) को लीड कर रहे थे।
2000 के नोट बंद करने पर उन्होंने कहा कि इस फैसले का असर पेमेंट पर किसी भी सिस्टेमैटिक इम्पैक्ट की संभावना नहीं है क्योंकि इन नोटों का उपयोग दिन-प्रतिदिन की पेमेंट में नहीं किया जाता है। बल्कि ऐसी पेमेंट्स ज्यादातर डिजिटल तरीके से होते हैं।
क्यों शुरू किए गए थे 2000 के नोट
गांधी के अनुसार 500 रु के नोटों की छपाई में ज्यादा समय लगता। इसलिए शॉर्ट टर्म टेक्टिकल डिसीजन के रूप में 2000 के नोट छापे गए थे। हालांकि 2000 रु के नोटों की केवल ही खेप छपी। उसके बाद आरबीआई ने और 2000 के नोट नहीं छापे। यानी तब ही ये क्लियर था कि इन नोटों की आगे जरूरत नहीं होगी।
आधे नोट पहले ही चलन से बाहर
आरबीआई 2000 के आधे नोट पहले ही वापस ले चुका है। इसका मतलब है कि इस समय 2000 के करीब आधे नोट ही सर्कुलेशन में हैं। शुक्रवार को, आरबीआई ने 2,000 रुपये के करेंसी नोटों को वापस लेने का ऐलान किया। मौजूदा 2000 के नोटों को या तो बैंक खातों में जमा किया जा सकता है या 30 सितंबर तक एक्सचेंज किया जा सकता है।
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