Twitter फाउंडर को 'भारतीय' पराग अग्रवाल पर था भरोसा,फिर 345 करोड़ देकर मस्क ने क्यों निकाला

Elon Musk and Parag Agrawal Tussle: जिस पराग अग्रवाल को एलन मस्क ने तुरंत बाहर का रास्ता दिखाया है, उसी पराग अग्रवाल पर ट्विटर के फाउंडर जैक डोर्से आंख मूंद कर भरोसा करते थे। उन्होंने उन्हें सीईओ बनाते हुए लिखा था कि पराग हर जरूरी फैसले के पीछे रहे। वह जिज्ञासु, रिसर्च करने वाले, जागरूक और विनम्र इंसान हैं। वो ऐसे हैं कि मैं उनसे रोज कुछ सीखता हूं।

मुख्य बातें
  • पराग अग्रवाल पर जैक डोर्से आंख मूंद कर भरोसा करते थे।
  • मस्क और पराग अग्रवाल के बीच शुरूआत से ही खींचतान शुरू हो गई।
  • फेक अकाउंट पर दोनों के बीच बिगड़ी बात।

Elon Musk and Parag Agrawal Tussle: लंबी हां और ना के बाद आखिरकार ट्विटर की एलन मस्क (Elon Musk) ने डील पूरी कर ली है। और अब वह उसके मालिक हैं। ट्विटर का मालिकाना हक आने के बाद मस्क ने सबसे पहले वहीं कदम उठाया है, जिसका सबको अंदाजा था। उन्होंने ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल (Parag Agrawal) को हटा दिया है। ट्विटर (Twitter) में करीब 11 साल से काम कर रहे भारतीय मूल के पराग अग्रवाल नवंबर 2021 में ही सीईओ बने थे। खास बात यह है कि जिस पराग अग्रवाल को कंपनी का मालिकाना हक मिलने के बाद मस्क ने एक झटके में हटा दिया। उसी पराग अग्रवाल के तारीफों के कसीदे ट्विटर के संस्थापक सदस्यों में से एक और पूर्व सीईओ जैक डोर्सी पढ़ते थे। ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि करीब 44 अरब डॉलर में ट्विटर को खरीदने वाले एलन मस्क, पराग अग्रवाल को हटाने के लिए इतने उतावले थे कि उन्हें वह हर्जाने के तौर पर पराग अग्रवाल को 340 करोड़ रुपये (42 मिलियन डॉलर) से ज्यादा की रकम चुकाने को तैयार हो गए।

जैक डोर्से करते थे आंख मूंद कर भरोसा

जिस पराग अग्रवाल को मस्क ने तुरंत बाहर का रास्ता दिखाया है, उसी पराग अग्रवाल पर जैक डोर्से आंख मूंद कर भरोसा करते थे। इसका अंदाजा इसी से लग जाता है कि जब उन्होंने पराग को अपनी जगह सीईओ बनाया था, तो उन्होंने कर्मचारियों को भेजे ई-मेल में लिखा था कि पराग कुछ समय से उनकी पसंद रहे हैं।वह कंपनी और इसकी जरूरतों को गहराई से समझते हैं। साथ ही पराग हर जरूरी फैसले के पीछे रहे, जिसने इस कंपनी को बदलने में मदद की है। वह जिज्ञासु, रिसर्च करने वाले, जागरूक और विनम्र इंसान हैं। वो ऐसे हैं कि मैं उनसे रोज कुछ सीखता हूं। सीईओ के रूप में मेरा उन पर बहुत भरोसा है। लेकिन डोर्सी जैसा भरोसा पराग मस्क का नहीं जीत पाए।

मस्क और पराग में शुरू से दिखी खींचतान

एलन मस्क ने पराग अग्रवाल को क्यों हटाया, इसका अंदाजा ट्विटर खरीदने की डील पूरी होने के बाद किए गए ट्वीट से भी समझा जा सकता है। उन्होंने लिखा कि चिड़िया आजाद हो गई। यानी मस्क अभी तक यह मानते थे कि ट्विटर कैद था। और उनके मालिक बनने के बाद उन्होंने उसे आजाद करा दिया। इसके पहले जब अप्रैल में एलन मस्क ने ट्विटर खरीदने का ऐलान किया था कि उसके बाद मस्क ने कहा था कि ट्विटर फ्री स्पीच के लिए अपनी क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर रहा है।

यानी शुरू से एलन मस्क को ट्विटर के मैनेजमेंट पर भरोसा नहीं था और इसका अंदाजा पराग अग्रवाल को भी लग गया था। तभी उन्होंने डील फाइनल होने के बाद अप्रैल में अपने कर्मचारियों से एक टाउनहाल में कहा था कि सोशल मीडिया का भविष्य अभी अनिश्चित है। जब डील पूरी हो जाएगी तो हमें नहीं पता है कि प्लेटफॉर्म किस दिशा में जाएगा।

फेक अकाउंट पर बिगड़ी बात

ऐसा नहीं है कि एलन मस्क और पराग अग्रवाल के बीच शुरूआत से ही खींचतान शुरू हो गई। जब अप्रैल में एलन मक्स ट्विटर के बोर्ड में शामिल हुए थे तो उस उस वक्त पराग ने आने का स्वागत किया था। और मस्क ने भी पराग के साथ आगे काम करने की इच्छा जताई थी। लेकिन मई से बात बिगड़ने लगी। और इसकी शुरूआत फेक अकाउंट का मामला सामने आने से हुई। जब मस्क ने यह आरोप लगाया था कि ट्विटर में 20 फीसदी फेक अकाउंट हैं। और उनका मानना था कि इसकी वजह से उन्होंने ट्विटर को खरीदने के लिए 44 अरब डॉलर की रकम जो चुकानी है, वह कहीं ज्यादा है।

हालांकि पराग अग्रवाल ने लंबे ट्वीट के जरिए मस्क को आरोपों को खारिज करने की कोशिश की। उनके अनुसार ऐसे फेक अकाउंट की संख्या औसतन 5 फीसदी के करीब है। लेकिन यह अविश्वास पराग अग्रवाल के विदाई के रूप में खत्म हुआ।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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