Income Tax New Rate:जानें सरकार ने क्यों 80C से लेकर होम लोन पर नहीं दी छूट, ओल्ड टैक्स रिजीम वाले निराश
New Tax Regime Slab And Rate: बजट में नई कर व्यवस्था में मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने और कर स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव किया।बजट में किये गये बदलावों से नई कर व्यवस्था अपनाने वाले कर्मचारियों को 17,500 रुपये तक की टैक्स बचत हो सकती है।
पुराने और नई टैक्स व्यवस्था में टैक्स रेट
New Tax Regime Slab And Rate: बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने वालों को बड़ी राहत दी है। इसके तहत स्टैण्डर्ड डिडक्शन में 25000 रुपये की छूट के साथ टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया है। ऐसे में अब 7.75 लाख रुपये तक कमाई वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। बजट में लेकिन जिस तरह पुरी टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने वालों को राहत नहीं दी गई है। उससे यह सवाल उठ रहे हैं कि सरकार ने ऐसा क्यों किया तो इसका आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने जवाब दिया है।
क्यों पुराने टैक्स रिजीम वालों की अनदेखी
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने बुधवार को कहा कि आयकर की कम दर और छूट दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। जो लोग कर की कम दर चाहते हैं, उनके लिए नई व्यवस्था उपयुक्त है, जबकि छूट पुरानी व्यवस्था में ज्यादा है। बजट को लेकर सेठ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से विशेष बातचीत में कहा कि आयकर की कम दर और छूट दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। जो लोग कर की कम दर चाहते हैं, उनके लिए नई व्यवस्था उपयुक्त है जबकि छूट पुरानी कर व्यवस्था में ज्यादा है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश बजट में नई कर व्यवस्था में मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने और कर स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव किया।बजट में किये गये बदलावों से नई कर व्यवस्था अपनाने वाले कर्मचारियों को 17,500 रुपये तक की कर बचत हो सकती है।
क्या पुरानी व्यवस्था खत्म होने वाली है
उन्होंने कहा कि कुल करदाताओं में से दो-तिहाई यानी लगभग 68 प्रतिशत नई कर व्यवस्था में आ गये हैं, अन्य पुरानी कर व्यवस्था में है।
यह पूछे जाने पर कि क्या पुरानी कर व्यवस्था को छोड़ने की तैयारी है, सेठ ने कहा कि हम किसी को नहीं छोड़ रहे। करदाताओं को जो व्यवस्था अनुकूल लगती है, वे उसे अपना सकते हैं।पूंजी लाभ कर में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सेठ ने कहा कि काफी समय से यह सोच रही है कि कर प्रणाली को सरल बनाया जाए। अलग-अलग तरह के निवेश हैं। कुछ लोग सोने में निवेश करते हैं, कुछ इक्विटी शेयर में।उन्होंने कहा कि इक्विटी में अलग कर, सूचीबद्ध संपत्ति में अलग और गैर सूचीबद्ध में अलग कर, यह ठीक नहीं है। कर को लेकर सभी संपत्ति वर्ग में एक जैसा व्यवहार होना चाहिए। बजट में उसे दुरुस्त किया गया है। साथ ही ‘इंडेक्सेशन’ भी हटाया गया है। इससे पारदर्शिता भी आती है।
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