RBI On Economy:इसलिए दुनिया में सुस्ती के बाद भी बढ़ रही है भारतीय इकोनॉमी, जानें आरबीआई ने क्या बताया

RBI On Economy: सरकार ने 2024-25 में निजी निवेश बढ़ने के साथ चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय 11 प्रतिशत बढ़कर 11.11 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा है।

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आरबीआई ने भारतीय इकोनॉमी पर जताया भरोसा

RBI On Economy: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देने की वजह से कारोबार को लेकर भरोसा बढ़ा है। और इसकी वजह से निवेश में लगातार बढ़ोतरी हो सकती है।आरबीआई की मौद्रिक नीति रिपोर्ट- अप्रैल 2024 के अनुसार, कमजोर वैश्विक मांग की चुनौतियों के बीच मजबूत बुनियाद के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधियां 2023-24 की पहली छमाही में मजबूत रही हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां पूंजीगत वस्तुओं में निवेश और शुद्ध रूप से वैश्विक मांग के कम असर से वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि को गति मिली, वहीं निजी खपत को शहरी मांग से समर्थन मिला।इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां और मजबूत हुईं। कच्चे माल की कम लागत और वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था में सुधार से क्षेत्र को लाभ हुआ।साथ ही आवास की बढ़ती मांग और बुनियादी ढांचे पर सरकार के जोर के कारण निर्माण गतिविधियां मजबूत रहीं।

ग्रामीण इलाकों में क्या होगा

रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले समय में, निजी खपत को ग्रामीण मांग की बेहतर संभावनाओं और उपभोक्ता भरोसा बढ़ने से समर्थन मिलेगा। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादी ढांचे के निर्माण पर सरकार का निरंतर जोर, निजी कॉरपोरेट निवेश में वृद्धि और व्यापार के स्तर पर उत्साह, सतत रूप से निवेश चक्र में पुनरुद्धार को बनाये रख सकता है। यह अर्थव्यवस्था में उत्पादकता और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अच्छा संकेत है।

इसमें कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की मध्यम और दीर्घकालिक स्तर पर वृद्धि क्षमता बढ़ रही है। इसका कारण भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार, विश्वस्तरीय डिजिटल और भुगतान प्रौद्योगिकी का विकास, कारोबार सुगमता, श्रमबल की बढ़ती भागीदारी और राजकोषीय खर्च की गुणवत्ता में सुधार जैसे संरचनात्मक कारक हैं।सरकार ने 2024-25 में निजी निवेश बढ़ने के साथ चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय 11 प्रतिशत बढ़कर 11.11 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा है।

उपभोक्ताओं का इकोनॉमी

वहीं वित्त वर्ष 2023-24 में पूंजीगत व्यय 37.5 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया था।आरबीआई के सर्वेक्षण के अनुसार, उपभोक्ताओं के बीच भरोसा एक साल पहले ही नई ऊंचाई पर पहुंच गया।सर्वेक्षण में कहा गया है कि निवेश गतिविधियों की संभावनाएं बेहतर बनी हुई हैं। इसका कारण निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि, लगातार और मजबूत सरकारी पूंजीगत व्यय, बैंकों और कंपनियों के मजबूत बही-खाते, क्षमता का बढ़ता उपयोग तथा व्यावसायिक स्तर पर मजबूत आशावाद है।

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