रिकॉर्ड पैदावार के बावजूद क्यों गेहूं आयात करने जा रहा है भारत, जानिए वजह

Wheat Import: गेहूं के रिकॉर्ड पैदावार होने के बावजूद भारत सरकार गेहूं का आयात करने जा रही है। ऐसा छह साल में पहली बार हो रहा है। कम हो रहे बफर स्टॉक को भरने और कीमतों में उछाल को नियंत्रित करने के लिए यह कदम उठाने जा रही है।

गेहूं के आयात की जरुरत क्यों पड़ी

Wheat Import: इस साल गेहूं के रिकॉर्ड पैदावार होने के बावजूद भारत सरकार गेहूं का आयात क्यों करने जा रही है। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले बताया कि भारत 6 साल के अंतराल के बाद गेहूं का आयात शुरू करने जा रहा है ताकि कम हो रहे भंडार को फिर से भरा जा सके और तीन साल की निराशाजनक फसलों के बाद कीमतों में उछाल को नियंत्रित किया जा सके। रॉयटर्स के मुताबिक भारत सरकार इस साल गेहूं के आयात पर 40% टैक्स को भी समाप्त कर सकती है। जिससे प्राइवेट व्यापारियों और आटा मिलों के लिए रूस जैसे उत्पादकों से मामूली मात्रा में ही सही खरीद करने का रास्ता साफ हो जाएगा। रिकॉर्ड पैदावार बाद भी गेहूं आयात करने की नौबत इसलिए आई क्योंकि गेहूं के बफर स्टॉक में कमी आ गई है।

गेहूं के आयात की क्यों आई नौबत?

अप्रैल में राज्य के गोदामों में गेहूं का स्टॉक घटकर 7.5 मिलियन मीट्रिक टन रह गया। जो 16 वर्षों में सबसे कम है। क्योंकि सरकार को कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आटा मिलों और बिस्किट निर्माताओं को रिकॉर्ड 10 मिलियन टन से अधिक गेहूं बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। रॉयटर्स के मुताबिक सरकारी अधिकारी ने कहा कि आयात शुल्क हटाने से हमें यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि हमारे अपने भंडार 10 मिलियन टन के मनोवैज्ञानिक बेंचमार्क से नीचे न हो। सरकार को राज्य के गेहूं के स्टॉक को फिर से भरने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। अप्रैल में फसल कटाई शुरू होने के बाद से सरकार 30 मिलियन से 32 मिलियन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 26.2 मिलियन मीट्रिक टन ही खरीद पाई है।

फूड वेल्फेयर प्रोग्राम के लिए गेहूं की जरुरत

यह तब हुआ जब राज्य के भंडारक भारतीय खाद्य निगम को बड़ी मात्रा में खरीद करने में सक्षम बनाने के लिए व्यापारिक घरानों को खरीद से परहेज करने की सलाह दी गई थी। रॉयटर्स के मुताबिक एक वैश्विक व्यापारिक घराने के साथ नई दिल्ली स्थित डीलर ने कहा कि राज्य की खरीद 27 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक होने की संभावना नहीं है। दुनिया के सबसे बड़े खाद्य कल्याण कार्यक्रम के तहत करीब 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज दी जा रही है। इसके लिए केंद्र सरकार को करीब 18.5 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं की जरुरत है।

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