Indexation Calculation: इंडेक्सेशन नियम हटने से कइयों को नुकसान, प्रॉपर्टी बेचने से पहले जान लें नफा नुकसान
Indexation Calculation: इनकम टैक्स विभाग ने जो सफाई जारी की है, उसके अनुसार पांच वर्षों तक रखी गई संपत्ति के लिए नई व्यवस्था तब लाभकारी होगी जब संपत्ति का मूल्य 1.7 गुना या उससे अधिक बढ़ गया हो, जबकि 10 वर्षों तक रखी गई संपत्ति के लिए यह तब लाभकारी होगी जब मूल्य 2.4 गुना या उससे अधिक बढ़ गया हो।
इंडेक्सेशन हटने से कितना नुकसान
Indexation Calculation: 23 जुलाई को बजट पेश होने के बाद, से इंडेक्सेशन (Indexation) चर्चा में है। एक तरफ जहां सरकार कह रही है कि इस कदम से घर मालिकों को नुकसान नहीं होगा। वहीं इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को दूसरी ही आशंकाएं हैं। उनका कहना है कि इसका असर बड़े स्तर पर होने वाला है। और प्रॉपर्टी मालिक को इसका नुकसान होगा। असल में बजट में प्रॉपर्टी बेचने पर करदाताओं को मिलने वाला ‘इंडेक्सेशन’ लाभ हटा दिया गया है। यानी उनकी प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों पर टैक्स तय करते समय महंगाई का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में प्रॉपर्टी बेचने वाले पर ज्यादा टैक्स देनदारी बन सकती है।बजट में रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एलटीसीजी को ‘इंडेक्सेशन’ लाभ सहित 20 प्रतिशत से घटाकर बिना ‘इंडेक्सेशन’ के 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि 2001 से पहली खरीदी गई प्रॉपर्टी को बेचने पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता रहेगा।
सरकार क्यों कह रही है ये फायदेमंद
इस संबंध में इनकम टैक्स विभाग ने जो सफाई जारी की है, उसके अनुसार पांच वर्षों तक रखी गई संपत्ति के लिए नई व्यवस्था तब लाभकारी होगी जब संपत्ति का मूल्य 1.7 गुना या उससे अधिक बढ़ गया हो, जबकि 10 वर्षों तक रखी गई संपत्ति के लिए यह तब लाभकारी होगी जब मूल्य 2.4 गुना या उससे अधिक बढ़ गया हो। 2009-10 में खरीदी गई संपत्ति के लिए यदि मूल्य 4.9 गुना या उससे अधिक बढ़ गया है तो यह फायदेमंद होगा। इनकम टैक्स विभाग ने कहा, कि दिए उदाहरणों से स्पष्ट है कि केवल उन क्षेत्रों में, जहां रिटर्न कम है (करीब 9-11 प्रतिशत प्रति वर्ष से कम), वहां पर पहले की व्यवस्था प्रॉफिटेबल है।
हकीकत कुछ और
अब इनकम टैक्स विभाग खुद ही कह रहा है कि प्रॉपर्टी की कीमतें अगर 9 -10 फीसदी से कम बढ़ी है तो प्रॉपर्टी बेचने वाले को नुकसान उठाना पड़ेगा। अब यह कैसे नुकसान होगा, इसे समझिए..
मान लीजिए आपने 2014 में कोई घर 25 लाख में खरीदा था। और 8 फीसदी सालाना ग्रोथ से उसकी कीमत इस समय करीब 54 लाख हो गई। तो उस पर पुराने नियम के अनुसार इंडेक्सेशन का फायदा मिलेगा। जो कि 37 लाख रुपये से ज्यादा होता है। यानी 25 लाख का घर अगर आप 54 लाख रुपये में बेचते हैं। तो इंडेक्सेशन के 37 लाख रुपये जुड़ने से कैपिटल गेन टैक्स की देनदारी केवल 17 लाख रुपये पर बनेगी। जिस पर आपको 20 फीसदी रेट के आधार पर 3.23 लाख रुपटे कैपिटल गेन टेक्स देना पड़ता ।
लेकिन अब नए नियम से आपको 37 लाख रुपये का फायदा नहीं मिलेगा। ऐसे में 54 लाख रुपये पर 12.5 फीसदी का कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। जिस पर 12.5 फीसदी के नए रेट पर 3.62 लाख रुपये टैक्स देना होगा। यानी नए नियम पर 38951 रुपये का नुकसान होगा।
और अगर प्रॉपर्टी रेट में हुई बढ़ोतरी को देखा जाय तो ईटी की रिपोर्ट के अनुसार देश पिछले 5 साल में देश के प्रमुख प्रॉपर्टी मार्केट में कीमतें 10 फीसदी से कम ही बढ़ी है। केवल हैदराबाद में रेट इनकम टैक्स विभाग के अनुमान के अनुसार ज्यादा रहा है। साफ है कि नए नियम से एक बड़े तबको को नुकसान होना तय है।
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