FPI: गलत तरीके से निवेश पर लगेगी रोक! भारत ने मॉरीशस फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टमेंट के लिए खत्म की टैक्स राहत
Foreign Portfolio Investment: मॉरीशस के रास्ते गलत तरीके से निवेश पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार ने कदम उठाया है। सरकार ने मॉरीशस फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टमेंट के लिए (FPI) आसान टैक्स राहत को खत्म कर दिया है। दोनों देश अपने दोहरे टैक्सेशन से बचाव समझौते में संशोधन करने के लिए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। विदेशी निवेशकों को अपने निवेश की अधिक जांच से गुजरना पड़ेगा।
विदेश निवेश पर भारत की पैनी नजर
Foreign Portfolio Investment: गलत तरीके से भारत में निवेश को रोकने के लिए भारत सरकार नया कदम उठाने जा रही है। मॉरीशस के रास्ते भारत में प्रवेश करने वाले विदेशी निवेशकों को अपने निवेश की अधिक जांच का सामना करना पड़ेगा। दोनों देश अपने दोहरे टैक्सेशन से बचाव समझौते में संशोधन करने के लिए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। इकॉनोमिक्स टाइम्स के मुताबिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे पिछले निवेशों के ओपन एक्जिट पर भी सवाल उठ सकते हैं और संशोधित नियमों से उन्हें अलग रखने के लिए कोई प्रोविजन संभव नहीं है। संशोधन में विशेष रूप से कहा गया है कि संधि के तहत राहत किसी अन्य देश के निवासियों के अप्रत्यक्ष लाभ के लिए नहीं हो सकती है। करीब सभी मामलों में भारत में निवेश करने वाली मॉरीशस संस्थाओं के शेयरहोल्डर या निवेशक अन्य देशों से हैं। सख्त मानदंड थर्ड पार्टी के देशों पर यह सीमा एक चिंता का विषय होगी, साथ ही यह प्रदर्शित करने की नई जरुरत होगी कि टैक्स राहत निवेश के प्रमुख उद्देश्यों में से एक नहीं है।
टैक्स छूट की जांच करेगा FPI
राजस्व अधिकारी अब प्रोटोकॉल में निर्धारित 'प्रिंसिपल पर्पस टेस्ट' के अनुसार संधि के तहत उपलब्ध छूट की जांच करेंगे। ईटी के मुताबिक ध्रुव एडवाइजर्स के पार्टनर, पुनित शाह ने कहा कि सामान्य एंटी-अवॉइडेंस रुल प्रोविजन की तुलना में इस टेस्ट में मॉरीशस में आधारित होने के लिए कॉमर्शियल तर्क की सीमा बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि मॉरीशस में स्थित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक वर्तमान में डेरिवेटिव लेनदेन पर पूंजीगत लाभ पर टैक्स छूट का दावा करते हैं। फॉरेन पोर्टफोलियो इंवेस्टमेंट (FPI) के लिए यह साबित करना अनिवार्य होगा कि उनके लिए मॉरीशस में रहने के लिए पर्याप्त गैर-टैक्स जस्टिफिकेशन और कॉमर्शियल तर्क है तो वे संधि लाभ का क्लेम करें।
टैक्स चोरी रोकने के लिए सहतम हुए दोनों देश
बेस में गड़बड़ी और प्रोफिट शिफ्टिंग को रोकने के लिए टैक्स संधि से संबंधित उपायों को लागू करने के लिए बहुपक्षीय कंवेंशन के प्रावधानों के अनुरूप प्रोटोकॉल में संशोधन किया गया है, जिसमें दोनों देश शामिल हुए हैं। उस समय मॉरीशस ने भारत को संधि भागीदार के रूप में शामिल नहीं किया था। जिस पर टैक्स चोरी से निपटने के लिए बहुपक्षीय साधन (MLI) लागू होगा। दोनों देश अब द्विपक्षीय रूप से संधि में संशोधन करने पर सहमत हुए हैं। MLI बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (BEPS) नियमों का हिस्सा है। जो यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया है कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने प्रत्येक क्षेत्राधिकार में पैदा होने वाली आय पर न्यूनतम स्तर का टैक्स भुगतान करें। BEPS नियमों के मुताबिक आश्रय को अस्वीकार करने का प्रावधान है एमएलआई द्वारा कवर किया गया दोहरे टैक्सेशन बचाव समझौता है। अगर किसी व्यवसाय व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य टैक्स बचाना है और प्रधान प्रयोजन टेस्ट का उपयोग करके इसका आकलन किया जाता है।
2017 से पहले खरीदे गए शेयरों पर लागू होंगे नियम
एक्सपर्ट्स का कहना है कि हालांकि प्रोटोकॉल आगे किसी तारीख से लागू होगा पिछले अभ्यास के आधार पर इसे 1 अप्रैल 2017 से पहले खरीदे गए शेयरों के लिए भी लागू किए जाने की संभावना है। उस तारीख से पहले किए गए निवेश पर पूंजीगत लाभ पहले ग्रैंडफादरिंग प्रोविजन के तहत टैक्स योग्य नहीं थे। प्राइसवाटरहाउस एंड कंपनी में टैक्स पॉलिसी के सलाहकार और केंद्रीय बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स के पूर्व सदस्य अखिलेश रंजन ने कहा कि यह आम तौर पर समझा जाता है कि नया प्रोविजन पिछले निवेशों पर भी लागू होगा जहां टैक्स योग्य घटना इसके प्रभाव में आने के बाद होती है।
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