Yes Bank: कभी डूबने की कगार पर था यस बैंक, 400 से 11 रु पर आ गया था शेयर, जानें फिर कैसे बदले दिन

Yes Bank: शुक्रवार को यस बैंक का शेयर 24 रु से भी कम के रेट पर बंद हुआ। मगर कभी इसका शेयर 400 रु के आस-पास था। बैंक लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा था। इतना ही नहीं शुरुआत के 15 सालों में ही ये देश का चौथा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक बन गया था। मगर कुछ गड़बड़ियों के चलते यस बैंक डूबना शुरू हुआ।

yes bank share history

यस बैंक का इतिहास

मुख्य बातें
  • 23.82 रु पर है यस बैंक का शेयर
  • कभी 400 रु के आस-पास तक गया
  • बैंक में हुई थीं गड़बड़ी

Yes Bank: शुक्रवार को यस बैंक का शेयर 24 रु से भी कम के रेट पर बंद हुआ। मगर कभी इसका शेयर 400 रु के आस-पास था। बैंक लगातार नई ऊंचाइयां छू रहा था। इतना ही नहीं शुरुआत के 15 सालों में ही ये देश का चौथा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक बन गया था। मगर कुछ गड़बड़ियों के चलते यस बैंक डूबना शुरू हुआ। फिर SBI ने LIC और कुछ अन्य बैंकों के साथ मिलकर यस बैंक को बंद होने से बचाया। अब फिर यस बैंक ग्राहकों का भरोसा जीतकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है। आगे जानिए यस बैंक के अब तक के सफर के बारे में।

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25 साल पुराना है यस बैंक

अशोक कपूर, राणा कपूर और हरकीरत सिंह ने नीदरलैंड के रैबो बैंक के साथ मिलकर यस बैंक की शुरुआत बतौर नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन (NBFC) 1999 में की थी। 2003 में RBI से बैंकिग लाइसेंस मिलने के बाद हरकीरत सिंह ने यस बैंक को छोड़ दिया और फिर अशोक कपूर चेयरमैन और राणा कपूर एमडी और सीईओ बने।

2004 में यस बैंक ने प्राइवेट बैंक के तौर पर बिजनेस शुरू किया। उसके अगला साल बैंक 300 करोड़ रु का आईपीओ लाया।

किन वजहों से यस बैंक की हालत हुई खराब

  • प्रमोटरों में कलह होने लगी। 26/11 के आतंकी हमले में अशोक कपूर का निधन हो गया। उनके बाद अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर और यस बैंक के को-फाउंडर और तत्कालीन सीईओ राणा कपूर ओनरशिप को लेकर भिड़ गए। इस मामले में मुंबई की अदालत ने राणा कपूर के हक में फैसला दिया
  • यस बैंक ने काफी अधिक संख्या में लोन दिए। लोन रिकवरी फीकी रही, जिससे बैंक का NPA बढ़ा
  • बैंक की हालत खराब होने पर प्रमोटर्स हिस्सेदारी बेचकर बैंक से निकल गए
  • अक्टूबर 2019 में राणा कपूर ने भी अपने शेयर बेचने दिए। तब उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 4.72 फीसदी रह गई थी
  • यस बैंक ने अनिल अंबानी की रिलायंस, एस्सेल ग्रुप, एस्सार पावर, वरदराज सीमेंट, रेडियस डेवलपर्स, IL&FS, दीवान हाउसिंग, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, CG पावर, कैफे कॉफी डे और Altico को लोन दे रखा था। ये सारी कंपनियां फाइनेंशियल चुनौतियां का सामना कर रही थीं
  • इनमें से कई कंपनियां दिवालिया हुईं, जिससे बैंक की हालत पतली हो गई

आरबीआई ने की कार्रवाई

RBI ने यस बैंक पर एक्शन लेते हुए इसे मोरेटोरियम में रखा। मार्च 2020 में इसके बोर्ड को भंग किया गया। फिर एक नया बोर्ड बनाया गया जिसमें पूर्व बैंक अधिकारी बतौर एडमिनिस्ट्रेटर शामिल हुए। आरबीआई के कहने पर SBI ने कई अन्य बैंकों और एलआईसी के साथ मिलकर यस बैंक में 11000 करोड़ रु का निवेश किया।

शुरू हुए अच्छे दिन

जब प्रशांत कुमार यस बैंक के सीईओ और एमडी बने तो बैंक ने रिवकवरी शुरू की। 2022 के आखिरी महीने में इसने 48000 करोड़ रुपये के बैड लोन्स को 11,500 करोड़ रुपये में बेचा और ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म (कार्लाइल और एडवेंट) से 8,900 करोड़ रुपये जुटाए। 9 सितंबर को 2021 को यस बैंक का शेयर 10.95 रु पर था। उसके बाद से अब ये 23.82 रु पर है।

इस बीच FY23 में इसका प्रॉफिट 32.7% घटकर 717 करोड़ रुपये रहा था, जो FY24 में 74% बढ़कर 1,251 करोड़ रुपये हो गया। FY24 लगातार तीसरा ऐसा साल रहा, जिसमें यस बैंक फायदे में रहा।

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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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