DSP Zia Ul Haq Murder: जिया उल हक हत्याकांड में बड़ा फैसला, 10 आरोपियों को आजीवन कारावास; क्या है राजा भैया से कनेक्शन
DSP Zia Ul Haq Murder: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के सीओ जिया-उल हक हत्याकांड में सभी 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई दी गई है।
(फाइल फोटो)
DSP Zia Ul Haq Murder: प्रतापगढ़ के सीओ जिया-उल हक हत्याकांड में सभी 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई दी गई है। इसके अतिरिक्त सभी पर दोषिओं 19,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इस जुर्माने की आधी रकम डिप्टी एसपी जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद के खाते में जाएगी। यह आदेश सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने बुधवार को आरोपी फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल को सजा सुनाई है। शुक्रवार को सभी दोषियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया था।
क्या था मामलादरअसल, प्रतापगढ़ के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को डीएसपी जिया उल हक की हत्या कर दी गई थी। हाई प्रोफाइल मामले में सीबीआई जांच कर रही थी। डीएसपी की हत्या का आरोप रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के साथ तत्कालीन प्रधान गुलशन यादव पर लगा था। हालांकि, सीबीआई जांच में दोनों को क्लीनचिट मिल गई थी। अधिकारियों ने कहा कि यादव की हत्या से कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई थी, क्योंकि उनके (यादव के) समर्थकों की भीड़ ने एक घर में आग लगा दी थी। आरोप है कि मृतक प्रधान के परिवार के सदस्यों और उनके समर्थकों ने पुलिस दल को दौड़ाया और उन पर लाठी, डंडे और अन्य हथियारों से हमला किया। सीबीआई ने फूलचंद यादव, पवन कुमार यादव, योगेन्द्र यादव उर्फ बबलू, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आश्रय, मुन्ना पटेल, शिव राम पासी, जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल और सुधीर यादव के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। मुकदमे के दौरान योगेन्द्र यादव उर्फ बबलू की मौत हो गई। सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि विशेष अदालत ने 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि सुधीर यादव को बरी कर दिया गया था।
क्यों हुआ था मर्डर
साल 2013, 2 मार्च को कुंडा स्थित बलीपुर गांव में तत्कालीन प्रधान नन्हे यादव की हत्या कर दी गई थी। उन पर दो बाइक सवार लोगों ने गोलियां बरसाई थी। इस घटना के बाद नन्हे यादव के समर्थक हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच कर तांडव करने लगे और गांव के ही कामता पाल के घर आग लगा दी। इस घटना की जानकारी होने के बाद तत्कालीन कुंडा कोतवाल अपनी टीम के साथ नन्हे यादव के घर की ओर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। लिहाजा, सीओ जिया उल हक घटना स्थल की ओर बढ़े। उस दौरान राजा भैया का रसूख हुआ करता था। लिहाजा, ग्रामीण फायरिंग कर रहे थे। ऐसे में सीओ की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी छिप गए। जब सीओ ग्रामीणों के बीच पहुंचे तो उन्हें चारो ओर से घेर लिया गया। इसी बीच फिर से गोलीबारी होने से नन्हें यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी मौत हो गई। इसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ गया और सीओ को घेरकर पीटा और फिर गोली मारकर हत्या कर दी।
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