भाव- अभिव्यक्ति शिखर सम्मेलन: 153 कलाकारों ने दी अद्भुत प्रस्तुति, श्री श्री रवि शंकर ने सिखाई जीवन जीने की कला

आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से आयोजित भाव’- अभिव्यक्ति शिखर सम्मेलन में श्री श्री रवि शंकर ने कहा- हमें भावनाओं के नौ रस क्रोध, साहस, शोक, विरह और अन्य सभी को अभिव्यक्त करना चाहिए। हमें जीवन में स्थिरता लाने के लिए भाव से परे जाने की आवश्यकता है।

भाव’- अभिव्यक्ति शिखर सम्मेलन: आर्ट ऑफ लिविंग और ‘वर्ल्ड फोरम फॉर आर्ट एंड कल्चर’ द्वारा आयोजित इस वर्ष के सबसे बड़े सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव में देशभर से आए 153 कलाकारों ने भाग लिया। उपस्थित दिग्गज कलाकारों में पद्मविभूषण सुदर्शन साहू, डॉ. पद्मा सुब्रमण्यम (2024 में पद्मविभूषण पुरस्कार विजेता), पद्मश्री डॉ. शोवना नारायण, पद्मश्री डॉ. पुरु दधीच, पद्मश्री दर्शन झावेरी, फजल कुरैशी, पद्मश्री सुदर्शन पटनायक, उमा डोगरा सहित अन्य कलाकार शामिल थे। दक्ष कलाकारों द्वारा किए गये मार्मिक प्रदर्शन, कृष्ण, देवकी और कैकेयी के जीवन पर आधारित पौराणिक कहानियों का मर्मस्पर्शी पुनर्कथन; पं अयोध्या शरण मिश्रा के नेतृत्व में अयोध्या राम मंदिर कला सेवकों द्वारा रामायण का भावनात्मक चित्रण तथा लुप्त हो रहे कला रूपों के पुनरुद्धार और उत्सव, भाव-अभिव्यक्ति शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण के मुख्य आकर्षण थे।

श्री श्री रवि शंकर ने दिखाया मार्गदर्शन

वैश्विक एवं आध्यात्मिक गुरु और मानवतावादी, गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के मार्गदर्शन और प्रेरणा से 25 से 28 जनवरी तक सुंदर और शांतिपूर्ण आर्ट ऑफ लिविंग अंतर्राष्ट्रीय केद्र में आयोजित कार्यक्रम ने संस्कृति और कला के समृद्ध उत्सव के लिए आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत वातावरण तैयार किया। एक कलाकार की भावनात्मक स्थिति कैसी होनी चाहिए, इस प्रश्न पर गुरुदेव ने कहा, “कलाकार स्वभाव से भावुक होते हैं। दर्शकों को आनंदित करने के प्रयत्न में वे प्रायः स्वयं को भूल जाते हैं और अपने भीतर झांकना भूल जाते हैं।” गुरुदेव ने आगे बताया, “हमारे पास केवल एक प्रकार की भावनात्मक अभिव्यक्ति नहीं है। हमें भावनाओं के नौ रसों हैं- क्रोध, साहस, शोक, विरह और अन्य सभी को अभिव्यक्त करना चाहिए। हमें जीवन में स्थिरता लाने के लिए भाव से परे जाने की आवश्यकता है।” अपनी भावनाओं से परे जाकर हमें ऊर्जा मिलती है।

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