52 साल पहले ये शख्स Pin Code नहीं देता तो कुरियर भी आपके घर नहीं पहुंचता

सिटी की हस्ती में कहानी उस शख्स की, जिसने देश को पोस्टल इंडेक्स नंबर यानी Pin Code दिया। जी हां रत्नागिरी के श्रीराम भिकाजी वेलंकर वो शख्स हैं, जिनकी वजह से वर्षों से न सिर्फ चिट्ठियां अपने सही ठिकाने पर पहुंच रही हैं, बल्कि आज कुरियर और ई-कॉमर्स कंपनियों से मंगवाया हुआ सामान भी आपके घर तक डिलीवर हो रहा है।

श्रीराम भिकाजी वेलंकर

110001, ये पिन कोड नई दिल्ली का है। इसी तरह से देश के अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग पिन कोड दिए गए हैं। Pin यानी पोस्टल इंडेक्स नंबर आपकी चिट्ठी के सही जगह और सही हाथों तक पहुंचने के लिए बहुत ही जरूरी है। अगर आपका जन्म 2000 के बाद हुआ हुआ है तो हो सकता है आपने कभी कोई चिट्ठी न भेजी और और आपको भी किसी से चिट्ठी न मिली हो। लेकिन एक जमाने में जब फोन सुलभ नहीं थे, तब चिट्ठी ही एक-दूसरे का हाल-चाल लेने का माध्यम हुआ करती थी। किसी भी चिट्ठी का, बिना इस पिन कोड के सही एड्रेस तक पहुंचना लगभग नामुमकिन होता था। आज भी आप जब शॉपिंग पोर्टल से सामान मंगवाते हैं तो उसमें अपना पिनकोड डालते हैं, जिससे आपके एरिया की सही-सही जानकारी पता चलती है। कुल मिलाकर पिन कोड बहुत ही जरूरी है और आज City की हस्ती वो शख्स हैं, जिन्होंने देश को पिन कोड दिया।

किसने दिया पिन कोड

आपकी चिट्टी को सही पते तक पहुंचाने के लिए जिस पिन कोड की जरूरत होती है, उसे बनाया श्रीराम भिकाजी वेलंकर ने। श्रीराम भिकाजी वेलंकर एक संस्कृत कवि भी थे। वेलंकर का जन्म 22 जून 1915 को आज के महाराष्ट्र में रत्नागिरी के एक स्कूल टीचर के घर में हुआ था। वह बचपन से ही पढ़ने में अच्छे थे। 10वीं के बोर्ड एग्जाम में वह टॉपर रहे और इसके बाद उन्होंने विल्सन कॉलेज से आर्ट्स की पढ़ाई की। उन्होंने गणित के लिए भी एलिजब्लिटी एग्जाम पास किया था, लेकिन पैसों की तंगी के चलते उन्होंने संस्कृत को चुना।

विलोम काव्य

श्रीराम भिकाजी वेलंकर संस्कृत के बड़े विद्वान थे। उन्होंने अपने जीवन में कई किताबें लिखीं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति 'विलोम काव्य' है। यह अपने आप में अद्भुत रचना है। इसे एक ओर से पढ़ें तो यह भगवान राम को समर्पित है, जबकि उल्टा पढ़ने पर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। श्रीराम वेलंकर ICS की लिखित परीक्षा यानी Written Examination में फर्स्ट आए थे। लेकिन मौखिक परीक्षा में उन्हें फेल घोषित किया गया। वेलंकर को संस्कृत में उनके योगदान के लिए उनके निधन से तीन साल पहले 1996 में राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया था।

पोस्ट मास्टर जनरल रहे वेलंकर

वेलंकर 1966 से 1970 तक भारत के पोस्ट मास्टर जनरल रहे। बाद में 1972-73 में वह भारत सरकार के संचार विभाग में एडिशनल सेक्रेटरी रहे। वह पोस्ट और टेलिग्राफ बोर्ड में वरिष्ठ सदस्य भी रहे। श्रीराम को हमेशा ही नंबरों से प्रेम रहा। देश की आजादी के बाद उन्होंने पोस्टल और टेलिग्राफ विभाग के लिए काम करना शुरू किया। पोस्टल डिपार्टमेंट के साथ काम करते हुए उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में चिट्ठी पहुंचाने में आने वाली दिक्कतों को समझा। भारत सांस्कृतिक और भाषाई रूप से काफी भिन्नता वाला देश है। पोस्टमैन के लिए अलग-अलग भाषाओं में लिखे पतों को पढ़ना बहुत मुश्किल कार्य था। इसके अलावा कई जगहों के एक जैसे नाम होने के कारण समस्या और भी बड़ी थी। इसी समस्या को दूर करने के लिए वेलंकर ने PIN कोड बनाया।

पोस्ट बॉक्स

तस्वीर साभार : Twitter

GPS से पहले का GPS है PIN Code

भाषाई विसंगतियों और एक जैसे नाम वाली जगहों तक चिट्ठी पहुंचाने की समस्या के निदान के लिए वेलंकर ने पोस्टल डिपार्टमेंट के डिलीवरी सिस्टम को नंबरों का अनोखा GPS दिया। जी हां वेलंकर ने जो पिन कोड दिए, वह GPS से पहले पोस्ट डिपार्टमेंट के लिए GPS का ही काम करते थे और आज भी करते हैं। उन्होंने 6 नंबर का पोस्टल इंडेक्स नंबर (PIN) बनाया। हर क्षेत्र के हर पोस्ट ऑफिस का पोस्टल कोड नंबर अलग होता है। वेलंकर के इस पिन की मदद से अब पोस्टल डिपार्टमेंट बिना भाषा को समझे उस पिन की मदद से चिट्ठी को उस राज्य, जिले और क्षेत्र के पोस्ट ऑफिस तक पहुंचा देता है। इसके बाद उस क्षेत्र के पोस्टमैन भाषा को समझकर चिट्ठी को उसके सही पते तक पहुंचाते हैं।

कैसे काम करता है पिन कोड

देश के हर पोस्ट ऑफिस का अपना अलग 6 डिजिट का यूनीक पिन कोड होता है। इस 6 डिजिट के पिन कोड में पहला नंबर भौगोलिक क्षेत्रों (उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी आदि) को दर्शाता है। जैसे दिल्ली और हिमाचल के लिए 1, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के लिए 4 है। इसमें दूसरा नंबर राज्य या क्षेत्र के डिवीजन को दर्शाता है और तीसरा नंबर जिले की जानकारी देता है। आखिरी के तीन नंबर जिले के अंदर आने वाले अलग-अलग पोस्ट ऑफिस का पता बताते हैं। इस तरह से पहला डिजिट देखते ही चिट्ठी उस राज्य या भौगोलिक क्षेत्र में, दूसरे नंबर से क्षेत्र के डिवीजन में, तीसरे नंबर से जिले में और आखिरी के तीन डिजिट से जिले के पोस्ट ऑफिस तक पहुंचती है। बता दें कि पिन कोड में पहला डिजिट 1-8 तक अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों को आवंटित हैं, जबकि 9 नंबर आर्मी पोस्टल सर्विस के लिए रिजर्व है।

पहला पिन कोड कब जारी हुआ

श्रीराम भिकाजी वेलंकर ने पिन कोड के जरिए भारतीय पोस्टल सर्विस का कायाकल्प कर दिया। 15 अगस्त 1972 को पहला पिन कोड जारी हुआ। आज 52 साल बाद भी पिन कोड बहुत ही जरूरी है। यह किसी भी पते को सही से समझने के लिए आवश्यक है। आज जब GPS जैसी टेक्नोलॉजी एक-एक व्यक्ति को ट्रैक कर रही है, उस जमाने में भी ई-कॉमर्स कंपनियां आप तक सामान पहुंचाने से पहले आपका पिनकोड पूछती हैं। आधार हो, पैन कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या कोई कुरियर, आप तक पहुंचने के लिए यह सभी वेलंकर के बनाए पिन कोड का ही इस्तेमाल करते हैं।

अद्भुत है भारतीय डाक सेवा

भारतीय डाक सेवा का इस्तेमाल भले ही आज चिट्ठी भेजने के लिए बहुत कम होता हो, लेकिन इसकी उपयोगिता आज भी बनी हुई है। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक आज बैंकिंग सुविधाएं दे रहा है। इसके अलावा सरकारी पत्राचार के लिए आज भी इंडिया पोस्ट ही एकमात्र साधन है। आप भले ही इस्तेमाल न करते हों, लेकिन बता दें कि 5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों के साथ इंडिया पोस्ट दुनिया का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क है। दुनिया का इकलौटा फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस, इंडिया पोस्ट का ही है। यह जम्मू-कश्मीर की समर कैपिटल श्रीनगर की डल लेक में है। दुनिया का सबसे अधिक ऊंचाई (15000 फीट) पर मौजूद पोस्ट ऑफिस भी भारत में ही है और यह हिमाचल प्रदेश के स्पीति में मौजूद है, जिसका नाम हिक्किम पोस्ट ऑफिस है। भारत का एक पोस्ट ऑफिस अंटार्कटिका पर भी मौजूद है।
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