कानपुर से निकला A Complete Man, जिसने आसमान को भी अपनी उड़ान से नीचा दिखा दिया
एक शख्स जिसने देश के कंप्लीट मैन बनना सिखाया, उसने रिटायर होने के बाद अपनी बायोग्राफी लिखी तो उसका नाम An Incomplete Man लिखा। लेकिन विजयपत सिंघानिया की कहानी इतनी भर नहीं है। उन्होंने अपनी उड़ान से आसमान को भी नीचा दिखाया है।
विजयपत सिंघानिया की सफलता की कहानी
- 5 हजार घंटे हवाई उड़ान का एक्सपीरियंस
- इंटरनेशनल रेस में उन्होंने 1994 में गोल्ड मेडल जीता
- 2007 में उन्होंने IIM अहमदाबाद का चेयरमैन नामित किया गया
एक बड़ा उद्योगपति, जो देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक का मुखिया था। 67 साल की उम्र में सबसे अधिक (69,000 फीट) ऊंचाई पर हॉट एयर बलून में उड़ान भरने का जज्बा भी इस उद्योगपति में था। एक माक्रोलाइट एयरक्राफ्ट से 23 की उड़ान भरकर 1988 में लंदन से दिल्ली आने वाला यह शख्स आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए ही पैदा हुआ। हालांकि, अपनी विरासत बेटे को सौंपने के बाद पारिवारिक विवाद की वजह से भी चर्चा में आए, लेकिन इस शख्स ने अपने शहर का नाम आसमान की ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया। विजयपत सिंघानिया... जी हां ये नाम ही अपने आप में काफी है।
विजयपत सिंघानिया का जन्म 1938 में कानपुर में हुआ। वह मशहूर सिंघानिया परिवार का हिस्सा हैं, रेमंड कंपनी के मालिक हैं। विजयपत सिंघानिया स्वय 1980 से 2000 तक रेमंड ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन रहे हैं। वह सिर्फ बिजनेसमैन नहीं, बल्कि एविएटर भी हैं। उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी भी लिखी है, जिसमें उन्होंने अपनी माइग्रोलाइट फ्लाइट के बारे में विस्तार से जिक्र किया है।
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भारत सरकार ने विजयपत सिंघानियां को टेंजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड के साथ ही साल 2006 में पद्म भूषण से भी नवाजा है। यही नहीं भारतीय वायु सेना ने विजयपत सिंघानिया को साल 1994 में मानद एयर कमाडोर भी बनाया है। साल 2006 में उन्हें शेरिफ ऑफ मुंबई नामित किया।
रेमंड की सफलता की कहानीरेमंड को विजयपत सिंघानिया के पिता लाला कैलाशपत सिंघानिया ने 1944 में E.D. Sassoon & Co. से खरीदा था। तब E.D. Sassoon & Co. सिर्फ एक टैक्सटाइल मिल थी। 1969 में उनके निधन के बात गोपालकृष्ण सिंघानिया ने रेमंड की बागडोर संभाली और 1980 में उनके भी निधन के बाद विजयपत सिंघानिया को इसकी कमान मिली। तब विजयपत सिंघानिया अपने JK केमिकल्स में खुश थे और रेमंड में नहीं आना चाहते थे। परिस्थितिवश उन्होंने रेमंड की बागडोर अपने हाथ ली और रेमंड को ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया। बाद में उन्होंने अपनी ऑटो बायोग्राफी लिखी, जिसका टाइटल उन्होंने An Incomplete Man रखा।
विजयपत सिंघानिया के कार्यकाल में ही रेमंड देश का सबसे बड़ा क्लोदिंग ब्रांड बना। विजयपत सिंघानिया के समय रेमंड अपने स्वर्णिम दौर में थी। विजयपत सिंघानिया ने रेमंड को एक बड़ा औद्योगिक घराना बनाया। उन्होंने इस ब्रांड को ऊनी कपड़े बनाने वाली कंपनी से आगे ले जाकर सिंथेटिक फैब्रिक के साथ डेनिम, स्टील, फाइल्स और सीमेंट बनाने वाली कंपनी के रूप में विकसित किया।
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ये भी जानेंएक मारवाड़ी परिवार से ताल्लुख रखने वाले विजयपत सिंघानियां ने बी.कॉम पास की। इसके बाद वह कुछ समय के लिए जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, मुंबई में पोस्ट ग्रेजुएट मैनेजमेंट के प्रोफेसर रहे। जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट छोड़ने के बाद उन्होंने जेके ऑर्गेनाजेशन के अंतर्गत आने वाली जेके केमिकल्स में मैनेजर के तौर पर काम किया।
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