एक शहर को दो देशों में बांट देती है ये नदी, जानिए नदी और शहर का नाम

दो देशों के बीच सीमा रेखा उन देशों को अलग करती है। लेकिन कुछ सीमाएं ऐसी होती हैं, जो साझी विरासत होती हैं। आज हम एक ऐसी सीमा के बारे में बात कर रहे हैं जो दो देशों के बीच एक नदी के रूप में है और दोनों किनारों पर बसे शहर को दो अलग-अलग देशों में बांटती है।

एक शहर, दो देश... दो नाम

नदियां जीवनदायिनी होती हैं। इतिहास में तमाम सभ्यताएं नदियों के आसपास ही पनपी हैं। नदी एक क्षेत्र को दो हिस्सों में बांट देती है। नदी का बहाव कम हो तो उसे पार करके भी लोग इधर-उधर जाते हैं। लेकिन आमतौर पर नदी के आर-पार जाने के लिए पुल बनाने पड़ते हैं। कई नदियां ऐसी हैं जो दो राज्यों के बीच बॉर्डर का काम करती हैं। लेकिन यहां हम एक ऐसी नदी के बारे में बता रहे हैं जो शहर को दो देशों में बांट देती है। उस शहर के बारे में भी जानेंगे।

किन दो देशों की बात हो रही है

यहां हम बात कर रहे हैं उन दो देशों की जिनकी सांस्कृतिक विरासत एक है। यह देशे धर्म और संस्कृति के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उनके अराध्य एक हैं और एक देश की दूसरे पर निर्भरता भी काफी ज्यादा है। अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि हम भारत और नेपाल की बात कर रहे हैं।

नदी का नाम

भारत औप नेपाल के बीच 1751 किमी लंबा बॉर्डर है। पश्चिम में नेपाल की सीमा भारत के उत्तराखंड राज्य से मिलती है, जबकि दक्षिण में उत्तर प्रदेश, बिहार और पूर्व में पश्चिम बंगाल और सिक्किम से नेपाल की सीमा मिलती है। आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड से लगती नेपाल बॉर्डर की। यहां पर दोनों देशों के बीच बॉर्डर का काम यहां बहने वाली और लिपुलेख दर्रे से आने वाली सारदा नदी करती है। इस नदी को काली नदी के रूप में भी जाना जाता है।

एक शहर, दो देश

अब तक तो आपको समझ आ गया होगा कि हम किस शहर या कस्बे की बात कर रहे हैं। जी, आपने बिल्कुल सही पहचाना... यहां बात धारचूला की ही हो रही है। भारत में जिस शहर को धारचूला के नाम से जाना जाता है, उसे नेपाल में दार्चुला कहते हैं।
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