तोर घर अंजोर, मोर घर अंजार कैसे? दो राज्यों के बीच फंसे गांव में विकास और पिछड़ेपन की दास्तां
लोकसभा चुनाव 2024 में तीन चरण का मतदान हो चुका है और अब चौथे चरण की तरफ हर किसी की नजर है। इसी चरण में झारखंड के पलामू में भी चुनाव है। यहां एक गांव है, जिसकी सड़क के दूसरी ओर बिहार का गांव है। यहां दोनों गांवों के बीच जमीन-आसमान का अंतर दिखता है।
पिछली सदी में जीने को मजबूर लोग
लोकसभा चुनाव 2024 के तहत तीन चरणों का मतदान हो चुका है। सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में सोमवार 13 मई को मतदान होगा। इसी चरण में झारखंड की कुल चार सीटों पर मतदान होगा। झारखंड की जिन चार सीटों पर 13 मई को मतदान होगा उनके नाम सिंघभूम, खुंटी, लोहरदग्गा और पलामू हैं। आज बात पलामू की करते हैं। पलामू लोकसभा सीट का उत्तरी हिस्सा बिहार के औरंगाबाद और रोहतास जिले से मिलता है। पलामू के हरिहरगंज क्षेत्र में एक गांव है, जिसका नाम अररुआ खुर्द है।
इस गांव की खासियत यह है कि इस गांव की एक गली बॉर्डर है और गली के दूसरी ओर बिहार का गांव महाराजगंज है। दोनों गांवों को एक सड़क दो राज्यों में बांटती है। यह सड़क एक तरह का आईना भी है, जो दोनों राज्यों के बीच अंतर को दिखाती है। दोनों राज्यों के बीच जो अंतर है वह यहां साफ देखने को मिलता है।
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तोर घर अंजोर, मोर घर अंजार कैसे? यह हमारा प्रश्न नहीं, बल्कि झारखंड के अररुआ खुर्द गांव में रहने वाले कई लोगों का है। जो लोग इस प्रश्न को नहीं समझे, उन्हें हिंदी में समझाएं तो इसका मतलब है - 'तुम्हारे घर उजाला, मेरे घर अंधेरा कैसे?' बात सिर्फ अंधेरे और उजाले की नहीं है। दोनों गावों को दो राज्यों में बांटने वाली सड़क के एक ओर सुविधाएं हैं तो दूसरी तरफ असुविधा का अंधेरा है।
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एक स्थानीय दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार मेदिनगर से हरिहरगंज जाने के लिए रास्ते में छतरपुर से आगे बढ़ते ही चमचमाती 8 लेन सड़क है। इस सड़क को देखकर किसी का भी मन आनंदित हो सकता है। हालांकि, सड़क का कुछ हिस्सा अभी बनना बाकी है और उस काम चल रहा है। हरिहरगंज से कुछ पहले दाईं ओर मुड़कर नीचे उतरते ही जाम देखने को मिलता है। कहने की जरूरत नहीं है कि यह इलाका झारखंड में आता है।
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यहां दूर-दूर तक बिहार से आने वाली और बिहार जाने वाली छोटी-बड़ी गाड़ियां ही नजर आती हैं। बाजार में पैदल निकलना मुश्किल है, हर तरफ धूल का गुबार है। यहीं पर एक गली है जो झारखंड में पलामू लोकसभा सीट के हरिहरगंज नगर परिषद क्षेत्र के अररुआ खुर्द गांव में जाती है। यहां पर एक ओर बिहार के औरंगाबाद जिले के कुटुंबा प्रखंड का महाराजगंज गांव है। इसी गली के एक तरफ झारखंड में रहने वाले लोग, गली के दूसरी तरफ बिहार में रहने वाले लोगों से तोर घर अंजोर, मोर घर अंजार कैसे? जैसे प्रश्न अक्सर पूछते हैं।
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गली के एक ओर बिहार वाले हिस्से में दिन में 22 घंटे तक बिजली आती है, जबकि झारखंड में दिन में बमुश्किल से दो-तीन घंटे ही बिजली रहती है। यहां के लोगों के लिए चिंताजनक बात यह है कि प्रत्याशियों ने भी झारखंड के इस क्षेत्र को भुला दिया है। यहां के लोग चुनाव और उम्मीदवारों के नाम सुनकर भी भड़क जाते हैं। यहां लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि कोई भी हो, यहां नहीं आते। उन्हें यहां की मूलभूत सुविधाओं जैसे पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बावजूद यहां के लोग मतदान में भाग लेते हैं और आने वाले 13 मई को भी मतदान की पूरी तैयारी है।
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खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें
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