Agra Metro: आगरा मेट्रो में ब्रेक लगने पर बनने लगेगी बिजली, रीजेनेरेटिव प्रणाली के जरिए होगा उत्पादन

Agra Metro: आगरा मेट्रो डिपो में थर्ड रेल बिछाने का कार्य शुरू हो गया है। 29.4 किलोमीटर लंबे दोनों कॉरिडोर और डिपो में थर्ड रेल बिछाई जाएगी। आगरा मेट्रो रीजेनेरेटिव प्रणाली के जरिए बिजली का भी उत्पादन करेंगी। इस प्रणाली में ब्रेकिंग के दौरान व्हील पर ब्रेक शू के रगड़ने से ऊष्मा (हीट एनजी) पैदा होती है, लेकिन आगरा मेट्रो ट्रेनों में रीजेनेरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा।

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आगरा मेट्रो डिपो में थर्ड रेल बिछाने का काम शुरू

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • आगरा मेट्रो रीजेनेरेटिव प्रणाली के जरिए करेगी बिजली का उत्पादन
  • आगरा में थर्ड रेल लाइन बिछाने का कार्य शुरू
  • ब्रेकिंग प्रणाली में ब्रेक शू के रगड़ने से उत्पन्न होगी बिजली
Agra Metro: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में मेट्रो ट्रेनें रीजेनेरेटिव प्रणाली के जरिए बिजली का उत्पादन करेंगी। मैकेनिकल ब्रेकिंग प्रणाली में गाड़ी को रोकने के लिए ब्रेक शू का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि इस प्रणाली में ब्रेकिंग के दौरान व्हील पर ब्रेक शू के रगड़ने से ऊष्मा (हीट एनजी) पैदा होती है, लेकिन आगरा मेट्रो ट्रेनों में रीजेनेरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रणाली के जरिए ट्रेन को रोका जाएगा। रीजेनेरेटिव प्रणाली के जरिए उत्पादित बिजली को ट्रेन के विभिन्न सिस्टमों को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की तरफ से आगरा मेट्रो ट्रेनों के संचालन के लिए डिपो परिसर में बर्ड रेल बिछाने का कार्य शुरू कर दिया है। 750 वोल्ट डीसी करंट पर चलने वाली आगरा मेट्रो ट्रेनें संचालन में थर्ड रेल का इस्तेमाल करेंगी। 29.4 किलोमीटर लंबे दोनों कॉरिडोर और डिपो परिसर में थर्ड रेल बिछाई जाएगी।

29.4 किलोमीटर लंबे दो कॉरिडोर के लिए कुल तीन रिसीविंग सब स्टेशन

यूपी मेट्रो के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार के अनुसार, आगरा मेट्रो ट्रेनें थर्ड रेल प्रणाली पर कार्य करेंगी। इस प्रणाली में पारंपरिक तौर पर इस्तेमाल होने वाली ओएचई (ओवर हेड इक्युपमेंट) प्रणाली की जगह पटरियों के समानांतर एक तीसरी रेल (पटरी) का इस्तेमाल किया जाता है। 750 वोल्ट डीसी करंट पर चलने वाली आगरा मेट्रो ट्रेनें संचालन के लिए इसी थर्ड रेल का इस्तेमाल करेंगी। आगरा मेट्रो के 29.4 किलोमीटर लंबे दो कॉरिडोर के लिए कुल तीन रिसीविंग सब स्टेशन (आरएसएस) का निर्माण होगा। फिलहाल, डिपो परिसर में पहली आरएसएस बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई है। इसके बाद यहां मशीन एवं पैनल लगाने का कार्य किया जा रहा है। वहीं, आईएसबीटी के पास दूसरी आरएसएस बिल्डिंग का निर्माण हो रहा है।

रिसीविंग सब स्टेशन ऐसे करता है काम

बता दें कि आगरा मेट्रो ट्रेन को संचालित करने के लिए सबसे पहले ग्रिड से 132 केवी की सप्लाई ली जाएगी। इसके बाद रिसीविंग सब स्टेशन में लगे स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर की सहायता से 132 केवी की सप्लाई को 33 केवी में परिवर्तित किया जाएगा। इस चरण के बाद 33 केवी की सप्लाई को टीएसएस (टेक्शन सब स्टेशन) में लगे ट्रैक्शन ट्रांसफॉर्मर की सहाया से 750 बोल्ट डीसी में बदलकर ट्रेन संचालित की जाएगी। इसके साथ ही मेट्रो स्टेशनों में लगे एस्कलेटर्स, लिफ्ट्स, लाइटिंग, एयर कंडीशनिंग सिस्टम आदि सिस्टमों के संचालन में 33 केवी की सप्लाई को 440 बोल्ट में बदला जाएगा।
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