संत प्रेमानंद जी महाराज ने PhD की उपाधि ठुकराई, खाली हाथ लौटे यूनिवर्सिटी के कुलसचिव

संत प्रेमानंद जी महाराज ने पीएचडी की डिग्री लेने से इनकार कर दिया है। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय उन्हें पीएचडी की उपाधि देना चाहता था, जिसे महाराज जी ने ठुकरा दी है।

फाइल फोटो।

मथुरा-वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज ने पीएचडी की मानद उपाधि ठुकरा दी है। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय प्रेमानंद जी महाराज को मानद उपाधि देना चाहता था, जिसके लिए खुद कुलसचिव प्रेमानंद जी महाराज के दरबार पहुंचे थे। उन्होंने महाराज जी को मानद उपाधि देने का प्रस्ताव दिया, जिसे संत ने ठुकरा दिया। दरअसल, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह चल रहा है, जिसमें कई लोगों को मानद उपाधि दी जाएगी। इसी क्रम में कुल सचिव ने प्रेमानंद जी महाराज से मुलाकात की थी।

मानक उपाधि देने का प्रस्ताव

कुलसचिव ने प्रेमानंद जी महाराज को मानद उपाधि देने की बात कही, जिस पर संत ने प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि वह साधु हैं, जिसका काम सभी उपाधियों को मिटाना होता है। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी उपाधि की जरूरत नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि कोई भी उपाधि संत को छोटा बनाता है, मेरे लिए सबसे बड़ी उपाधि ईश्वर की आराधना करना, उनकी पूजा करना है। उन्होंने कहा कि ये सांसारिक उपाधि से ज्यादा जरूरत ईश्वर की पूजा और आराधना की है।

प्रेमानंद जी महाराज डिग्री लेने से किया इनकार

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने कहा कि वह संत प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन करने के लिए श्री हित राधा केली कुंज आश्रम पहुंचे थे, जहां उन्होंने महाराज जी को पीएचडी की मानद उपाधि देने का प्रस्ताव रखा, जिसे प्रेमानंद जी महाराज ने सहजता से अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह उपाधि उनके लिए नहीं है। उनके लिए ईश्वर की पूजा करना ही सबसे बड़ी उपाधि है।
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