यमुना दिखा रही रौद्र रूप, 45 साल में पहली बार यमुना का पानी ताज महल की दीवारों तक पहुंचा

एनडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन की टीमें आगरा और मथुरा के निचले इलाकों में फंसे लोगों को बचा रही हैं। यमुना के पास के 50 गांवों और 20 शहरी इलाकों के 500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है।

Taj Mahal flood

File photo

Yamuna Water in Taj Mahal: मानसून के मौसम में मूसलाधार बारिश का दौर जारी है और यमुना अपना रौद्र रूप दिखा रही है। 45 वर्षों में पहली बार सोमवार को यमुना नदी ने आगरा में ताज महल की दीवारों को छू लिया और इसके पीछे के एक बगीचे को जलमग्न कर दिया। नदी में जल स्तर 495 फीट के निम्न-बाढ़ स्तर को पार करते हुए 497.9 फीट तक पहुंच गया। लगातार बारिश के बाद नदी के स्तर में बढ़ोतरी से पास के दशहरा घाट में पानी भर गया है।

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मकबरे के बाहरी हिस्सों में पानी घुसा

इतिमादुद्दौला के मकबरे के बाहरी हिस्सों में भी पानी घुस गया है। अब चिंता पैदा हो गई है कि रामबाग, मेहताब बाग, जोहरा बाग, काला गुंबद और चीनी का रौज़ा जैसे स्मारक खतरे में पड़ सकते हैं। लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों ने दावा किया कि इन स्मारकों को अब तक कोई नुकसान नहीं हुआ है और बाढ़ का पानी ताज के तहखाने में नहीं घुसा।

सोमवार को उफनती हुई यमुना ने ताज महल की दीवारों को छुआ। इसे लेकर एएसआई अधिकारियों ने कहा कि मकबरे को मुख्य स्मारक में पानी को प्रवेश करने से रोकने के लिए डिजाइन किया गया था। ताज महल में एएसआई के संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेई ने कहा कि ताजमहल को इस तरह से बनाया गया था कि भारी बाढ़ के दौरान भी पानी मुख्य मकबरे में प्रवेश नहीं कर सके। आखिरी बार 1978 की बाढ़ के दौरान यमुना ने ताज महल की पिछली दीवार को छुआ था।

वाजपेयी ने कहा कि उफनती नदी स्मारक की पिछली दीवार तक पहुंच गई है। ताज महल के पीछे का बगीचा कुछ दशक पहले विकसित किया गया था क्योंकि यमुना में पानी का स्तर कम हो गया था, जिससे एक खाली जगह बन गई थी। 1978 में यमुना में जल स्तर 508 फीट तक बढ़ गया था, जो अब तक का रिकॉर्ड है। ताज महल के बसई घाट बुर्ज की उत्तरी दीवार पर लेवल अंकित है। उस समय पानी गाद छोड़कर स्मारक के बेसमेंट के 22 कमरों में घुस गया था। बाद में एएसआई ने लकड़ी के दरवाजे (जिनके माध्यम से पानी तहखाने में प्रवेश करता था) हटा दिए और बसई और दशहरा घाट के प्रवेश द्वार पर दीवारें खड़ी कर दीं।

आगरा और मथुरा में बाढ़ से हालात खराब

इस बीच, एनडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन की टीमें आगरा और मथुरा के निचले इलाकों में फंसे लोगों को बचा रही हैं। यमुना के पास के 50 गांवों और 20 शहरी इलाकों के 500 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। मथुरा जिले में यमुना नदी का जल स्तर 167.28 मीटर तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान 166 मीटर से ऊपर है। एक आधिकारिक अनुमान के अनुसार, आगरा और मथुरा जिलों में 500 बीघे से अधिक कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। पिछले दो दिनों से लगभग 100 गांवों और शहरी इलाकों में बिजली नहीं है। मथुरा के बाढ़ प्रभावित इलाकों के निवासियों का दावा है कि उनके पास राशन और पीने का पानी खत्म हो गया है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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