Agra: इंदिरा गांधी के जमाने में बनी थी ये सड़क, तब से अब तक एक ईंट नहीं लगा; लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया
Agra News: जहां एक तरफ देश में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास किया जा रहा है, वहीं आगरा में स्थित सुंसार गांव में 70 के दशक से सड़क नहीं बनी है। सड़क की मांग करते हुए ग्रामीणों ने वोट करने से इंकार किया और सुंसार से ईवीएम खाली वापस लौटी।
पांच दशकों से सड़क बनाने की सुंसार के लोगों की मांग
Agra News: देश के कई शहरों में सड़कों, हाईवे और एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे आदि इस साल के अंत तक में या 2025 में शुरू किए जा सकते हैं। वहीं यूपी के कानपुर और वाराणसी में सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण किया जा रहा है। देश में विकास की गति को बढ़ाने के लिए रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की तैयारी की जा रही है। लेकिन यूपी के आगरा के पास बसे सुंसार को लेकर कोई सुनवाई नहीं की जा रहा है। यहां के लोग पिछले 5 दशकों से सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं, पर सुनने को कोई तैयार नहीं है। चुनाव के दौरान नेता आते हैं, परेशानी और मांग सुनते भी हैं। लेकिन निवारण करने को कोई तैयार नहीं है। नेता भरोसे के झुनझुना पकड़ा कर चले जाते हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए जब नेता सुंसार वोट मांगने गए तो ये मुद्दा एक बार फिर सामने आया। 5 दशकों से सड़क बनने का इंतजार कर रहे गुस्साए सुंसार के लोगों ने इस बार मतदान करने से ही मना कर दिया। गांव के लोग अपनी मांग पर अड़े और कहा कि जब तक सड़क नहीं तब तक वोट नहीं।
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खाली लौटी ईवीएम
सुंसार के ग्रामीणों का कहना है कि अगर वोट चाहिए तो सरकार को हमारी सुननी पड़ेगी। बिना सड़क के कोई वोट नहीं करेगा। मान-मनौव्वल के बाद भी ग्रामीण अपनी बात से पीछे नहीं हटे। लोग वोट न करने की अपनी बात पर अड़े रहे। वोटिंग के लिए गांव पहुंची ईवीएम खाली ही वापस लौटी। गांव की बदहाल स्थिती का अंदेशा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वोटिंग के लिए पोलिंग टीम को सुंसार ट्रैक्टर-ट्रॉली से पहुंचना पड़ा। मंसूरपुरा गांव तक बस से आने के बाद पोलिंग टीम को यहां पहुंचने के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली का सहारा लेना पड़ा।
कच्चे रास्ते पर चलना हुआ मुश्किल
जानकारी के अनुसार, सुंसार गांव बाह तहसील से 11 किमी दूर है। लेकिन केवल 5 किमी की सड़क बनी हुई है। बाकी बचे हुए हिस्से में सड़क नहीं है। मंसूरपुरा गांव से लेकर सुंसार तक बीहड़ के बीच एक कच्चा रास्ता है। लोग इसी रास्ते का प्रयोग करते हैं। सुंसार के लोग बताते हैं कि इस कच्चे रास्ते की स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं है। पूरा रास्ता उबड़-खाबड़ है। इस दूरी को तय करने के लिए ग्रामीणों को साइकिल या फिर पैदल सफर करना पड़ता है। बारिश के दौरान तो लोगों के लिए मुश्किलें और बढ़ जाती है। रास्ता इतना फिसलन भरा होता है कि इस पर चलना जोखिम से कम नहीं है।
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चुनौतियों से भरा है सुंसार के लोगों का जीवन
ग्रामीण बताते हैं कि यहां सड़क न होने के कारण बच्चों का स्कूल जाना भी मुश्किल हो गया है। बता दें कि गांव में केवल जूनियर हाई स्कूल है। आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें बाह जाना पड़ता है। इतना ही नहीं, गांव में पीने के पानी की भी कमी है। आज भी देश के अन्य शहरों और गांवों की तुलना में सुंसार पिछड़ा हुआ है। सुंसार गांव में रहने वाले लोगों की आबादी केवल 1200 है। गांव की कुल आबादी में पुरुषों की संख्या 324 है तो वहीं महिलाओं की संख्या 287 है। इस गांव में विकास का नामोनिशान नहीं है। 5 दशकों से यहां सड़क नहीं बनी है। इससे आप अंदेशा लगा सकते हैं कि 70 के बाद से आज तक ये लोग बिना पक्की सड़क के कैसे जीवन जी रहे हैं।
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