30 अप्रैल से शुरू होगी आदि कैलाश यात्रा, बेहद खास है इस यात्रा का पहला पड़ाव धारचूला शहर

आगामी 30 अप्रैल से आदि कैलाश की यात्रा शुरू होने जा रही है। पिथौरागढ़ के डीएम ने इस यात्रा के लिए सभी तैयारियां करने का आदेश दिया है। इस यात्रा का पहला पड़ाव धारचूला है। धारचूला पड़ोसी देश नेपाल के दारचूला का जुड़वां शहर है। चलिए जानते हैं धारचूला के बारे में सब कुछ -

Dharchula City

धारचूला शहर का नजारा

इन गर्मियों में धार्मिक यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो बता दें कि आगामी 30 अप्रैल से आदि कैलाश की यात्रा शुरू हो रही है। यहां जाकर आप ओम पर्वत के दर्शन करने के साथ ही पार्वती कुंड के किनारे बैठकर भोले बाबा का ध्यान भी लगा सकते हैं। 30 अप्रैल से ही इनर लाइन परमिट भी जारी होंगे। दो मई को विधिवत पूजा-अर्चना के साथ आदि कैलास यानी छोटा कैलाश का रूट शिवभक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। इस यात्रा के लिए पिथौरागढ़ के जिलाध्यक्ष यानी डीएम विनोद गोस्वामी ने सभी संबंधित विभागों को सजग रहने और व्यवस्था चाक चौबंद करने को कहा है। इस यात्रा का पहला पड़ाव धारचूला होगा, जिसकी खूबसूरती आपका मन मोह लेगी। चलिए इसी धारचूला के बारे में जानते हैं।

महंगी हो जाएगी हेली सेवा

धारचूला के बारे में जानेंगे, लेकिन इससे पहले एक खबर ये भी है कि हल्द्वानी से पिथौरागढ़ के लिए हेली सेवा महंगी हो रही है। जी हां, एक मई से पिथौरागढ़-हल्द्वानी-मुनस्यारी हेली सेवा महंगी हो जाएगी। मुनस्यारी से हल्द्वानी जाने के लिए यात्रियों को अब करीब 1050 रुपये ज्यादा देने होंगे। जबकि पिथौरागढ़ से हल्द्वानी जाने के लिए किराए में करीब 500 रुपये की बढ़ोतरी हो जाएगी।

ये भी पढ़ें - भारत को मिला मुंबई आतंकी हमले का गुनहगार तहव्वुर राणा; अब इन भगोड़ों का इंतजार

शांत पहाड़ी शहर है धारचूला

धारचूला एक शांत पहाड़ी शहर है, जो कैलाश मानसरोवर और छोटा कैलाश रूट पर पड़ता है। यहां से बर्फ से लकदक हिमालय की चोटियों का बहुत ही शानदार नजारा होता है। इसके अलावा यहां हरे-भरे बांज, देवदार और चीड़ के जंगल हैं। यह भारत में कुमाऊं क्षेत्र र नेपाल के बीच पुराने व्यावसायिक रूट पर मौजूद है। यह शहर काली नदी के किनारे वर्दांत वैली में बसा है। यहां से पंचाचुली पर्वत का शानदार नजारा होता है। यहां पर हर 12 साल में एक बार कंगदाली फेस्टिवल का आयोजन होता है। यह शहर एक पुल के जरिए पड़ोसी देश नेपाल से भी जुड़ा है।

धारचूला में कुमाऊंनी और शौना (भोटिया) प्रजाति के लोग रहते हैं और यहां उनकी सांस्कृतिक झलक भी स्पष्ट नजर आती है। यहां आने वाले लोग यहां की संस्कृति को करीब से समझ सकते हैं। धारचूला में कई तरह के फल होते हैं। नारायण आश्रम, चिरकिला डैम, जौलजिबी, काली नदी और ओम पर्वत यहां के आकर्षण हैं।

ये भी पढ़ें - यहां पैदा हुआ था बीरबल, असली नाम और अकबर के दरबार में पद भी जान लें

दो जुड़वां शहर धारचूल-दारचूला

जी हां, धारचूला एक ऐसा शहर है, जो दो देशों के बीच फैला हुआ है। या यूं कहें कि दो देशों में आमने-सामने बसे शहर असल में जुड़वां शहर हैं। भारत में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मौजूद धारचूला पड़ोसी देश नेपाल के दारचूला का जुड़वां शहर है। दोनों शहरों की संस्कृति एक है, दोनों इतने करीब हैं कि जैसे दो दोस्त गलबहियां कर रहे हों, लेकिन धारचूला और दारचूला के बीच से बहने वाली एक नदी इन दोनों जुड़वां शहरों को दो देशों में बांट देती है।

ये नदी कर रही अलग

भारत में धारचूला और नेपाल के दारचूला शहर को लिपुलेख दर्रे से निकलने वाली सारदा नदी अलग करती है। इस नदी को काली नदी भी कहते हैं। यही नदी दोनों देशों के बीच बॉर्डर का काम करती है। दोनों तरफ के लोग दिन में काम के लिए काली नदी पर बने पुल को क्रॉस करते हैं। नेपाल के मजदूर दिनभर मजदूरी करके शाम को अपने देश लौट जाते हैं, जबकि बड़ी संख्या में भारतीय सस्ती खरीदारी के लिए नेपाल जाते हैं। रात को इस पुल को बंद कर दिया जाता है।

भारत और नेपाल के बीच सदियों से रोटी-बेटी का रिश्ता रहा है। दोनों देशों के अराध्य भी एक हैं और बोली भी काफी हद तक मिलती-जुलती है। धारचूला और दारचूला सिर्फ दो शहर नहीं हैं, बल्कि दो देशों की एक सांस्कृति विरासत भी हैं।

धारचूला का मतलब

कुमाऊंनी में धार का मतलब पहाड़ी की चोटी होता है और नेपाल में बोली जाने वाली डोट्याली भाषा में दार का अर्थ भी पर्वत शिखर ही होता है। चूला का मतलब दोनों ही भाषाओं में चूल्हा या स्टोव से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि व्यास ने यहां तीन पर्वतों को चूल्हा बनाकर खाना बनाया था। यही कारण है कि इस जगह को धारचूला कहा गया, जिसका नेपाली में शब्दश: रूपांतरण दारचूला हुआ। धारचूला और दारचूला में आज भी स्थानीय लोग लकड़ी जलाने के लिए तीन पत्थर वाले चूल्हे का इस्तेमाल करते हैं।

यात्रा में अंतिम बड़ा शहर

कैलाश मानसरोवर यात्रा हो या आदि कैलाश की यात्रा, धारचूला इस रूप पर पड़ने वाला अंतिम बड़ा शहर है। इस लिहाज से धारचूला का बड़ा महत्व है, क्योंकि तीर्थयात्री यहां से अपनी यात्रा के लिए आखिरी बार खरीदारी कर सकते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। शहर (Cities News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited