रुद्रनाथ : भोले बाबा का सबसे कठिन ट्रैक है यहां, तीन दिन की भक्ति के बाद होते हैं दर्शन

भोले बाबा के बारे में कहा जाता है कि वह भांग-धतूरे से भी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन उनके भक्त उनके दर्शनों के लिए तमाम परेशानियों को झलने के लिए तैयार रहते हैं। रुद्रनाथ एक ऐसा हा ट्रैक है। 20 किमी के इस ट्रैक पर श्रद्धालुओं की कड़ी परीक्षा होती है। ट्रैक शुरू करने के बाद तीसरे दिन भक्त यहां पहुंच पाते हैं।

रुद्रनाथ मंदिर

वही शून्य है, वही इकाय... जिसके अंदर बसा शिवाय... भगवान शिव के पंच केदार (Panch Kedar) की यात्रा करना आसान नहीं है। पंच केदारों की यात्रा वही व्यक्ति कर सकता है, जिसके अंदर गजब की इच्छा शक्ति और सिर पर भोले बाबा का आशीर्वाद हो। पंच केदार की यात्रा में हम तुंगनाथ (Tungnath) जा चुके हैं। वहां भगवान शिव शंकर के दर्शन करने के साथ ही वहां के नजारों को भी देख चुके हैं। पंच केदार में आज हम भगवान रुद्रनाथ (Rudranath) के दर्शन करेंगे और उनके ट्रैक पर चलेंगे। वैसे भी कहा जाता है कि पंच केदार में सबसे कठिन यात्रा रुद्रनाथ की ही है। 20 किमी के इस ट्रैक में अच्छे-अच्छों को दिक्कत हो जाती है।

कहां है रुद्रनाथ मंदिररुद्रनाथ भगवान शिव का अत्यंत प्रतिष्ठित मंदिर है। यह मंदिर भी उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के पहाड़ों में है। चमोली जिले में आने वाला यह मंदिर समुद्र तल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर है। पंच केदारों में रुद्रनाथ का नंबर चौथा है। रुद्रनाथ मंदिर बुरांस के जंगलों और घास के मैदानों (बुग्यालों) के बीच स्थित है। रुद्रनाथ मंदिर की रोमांचक यात्रा यहां हेलंग में सागर गांव या उर्गम गांव से शुरू होती है। यहीं पर ल्यूटी और पनार बुग्याल भी हैं।

रुद्रनाथ मंदिर में भगवान भोले शंकर का एकानन यानी मुख की पूजा होती है। उनके पूरे शरीर की पूजा पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में होती है। यह मंदिर खूबसूरत वादियों के बीच है और मंदिर से नंदा देवी, नंदा घुंटी व बर्फ से ढकी त्रिशूल चोटी के अद्भुत दर्शन होते हैं।

सबसे कठिन ट्रैकपंच केदारों में रुद्रनाथ के ट्रैक को सबसे कठिन ट्रैक माना जाता है। लेकिन यहां तक का रास्ता खूबसूरत नजारों से पटा पड़ा है। यहां ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़ और गहरी खाईयां देखने पर्यटक पहुंचते हैं और श्रद्धालु रुद्रनाथ के दर्शनों के लिए कठिन डगर पार करके आते हैं। स्थानीय लोगों के बीच एक कहावत है - रुद्रनाथ की चढ़ाई, जर्मन की लड़ाई। यह कहावत ये बात बताने के लिए काफी है कि यह ट्रैक कितना कठिन है। कठिन रास्ते से होकर एक बार जब आप रुद्रनाथ मंदिर पहुंच जाते हैं तो आपको यहां आकर स्वर्ग सा अनुभव होता है। यहां के बुग्याल और बुरांस के जंगल मन मोह लेते हैं।

रुद्रनाथ मंदिर में होने वाली आरती में शामिल होने चाहते हैं तो इसके लिए आपको सुबह 8 बजे से पहले यहां पहुंचना होगा। क्योंकि रोज सुबह 8 बजे यहां आरती शुरू हो जाती है। जबकि संध्याकालीन आरती रोज शाम 6.30 होती है। यहां आप वैतरणी नदी के किनारे बैठकर उसकी कल-कल ध्वनि के संगीत में शांति पा सकते हैं। मंदिर के आसपास कई छोटे-छोटे कुंड हैं, जिनके नाम सूर्य कुंड, चंद्र कुंड, तारा कुंड और मानस कुंड हैं।

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