इन दो हिल स्टेशनों पर गर्मियों की छुट्टियां मनाने जा रहे हैं तो E-Pass ले लें, वरना एंट्री नहीं मिलेगी

बच्चों की गर्मी की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं और उन्होंने घर में धमाचौकड़ी मचाना शुरू कर दिया है। ऐसे में शांति के लिए कुछ दिन हिल स्टेशन पर बिताने का आइडिया तो आपके दिमाग में भी आया होगा और प्लान बन भी गया होगा। लेकिन ठहरिए, आपने E-Pass लिया क्या? देश में दो हिल स्टेशनों पर ई-पास मेंडेटरी हो गया है।

गर्मियों में बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं यहां

ज्यादातर स्कूलों में बच्चों की गर्मी की छुट्टियां (Summer Vacation) शुरू हो चुकी हैं। जिन स्कूलों में अभी छुट्टियां शुरू नहीं हुई हैं, वहां अगले एक-डेढ़ हफ्ते में शुरू हो जाएंगी। इस मौसम में आपका भी कहीं घूमने का प्रोग्राम जरूर होगा। अक्सर गर्मियों की छुट्टियों में लोग पहाड़ों यानी किसी हिल स्टेशन (Hill Stations) पर घूमने का कार्यक्रम बनाते हैं। इसके लिए बहुत पहले से ही होटल बुक (Hotel Booking) हो जाते हैं। जो लोग ट्रेन या फ्लाइट से जाने वाले हैं, उनकी टिकटें भी महीनों पहले बुक हो जाती हैं। लेकिन कुछ लोग अपनी गाड़ी लेकर हिल स्टेशन जाते हैं। गर्मियों में तमाम हिल स्टेशनों पर भारी भीड़ होती है, जिसकी वजह से कई जगह जाम जैसी स्थिति हो जाती है। इस बार भी आपका हिल स्टेशन जाने का कार्यक्रम है तो ये खबर जरूर पढ़ लें। क्योंकि इन मशहूर हिल स्टेशन जाने के लिए ई-पास (E-Pass) जरूरी कर दिया गया है। ई-पास के बिना वहां एंट्री संभव नहीं होगी, तो चलिए जानते हैं कैसे ई-पास के लिए अप्लाई करें -

किस हिल स्टेशन पर चाहिए E-Passगर्मियों के इन दिनों में तमाम हिल स्टेशनों पर भीड़ बढ़ जाती है। यही कारण है कि तमिलनाडु सरकार ने यह महत्वपूर्ण घोषणा की है। जो भी लोग इस साल गर्मियों में तमिलनाडु (Tamilnadu) के मशहूर हिल स्टेशन ऊटी (Ooty) और कोडाइकनाल (Kodaikanal) जाने का प्लान बना रहे हैं, उनके लिए यह घोषणा की गई है। हालांकि, तमिलनाडु सरकार के अनुसार ई-पास की आवश्यकता सिर्फ उन्हीं लोगों को है, जो अपनी गाड़ी से इन हिल स्टेशनों पर आने का प्लान बना रहे हैं। यात्रियों की संख्या को मैनेज करने और यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तमिलनाडु सरकार ने यात्रियों के लिए ई-पास की सुविधा शुरू की है।

E-Pass की जरूरत क्यों?

मद्रास हाईकोर्ट ने गर्मियों के दिनों में बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए ऊटी और कोडाइकनाल जैसे हिल स्टेशनों पर वाहनों की एंट्री को रेग्युलेट करने का ऑर्डर दिया। हाईकोर्ट का यह आदेश 6 मई को लागू हो चुका है, जो 30 जून तक चलेगा। E-Pass जारी करके सरकार इन हिल स्टेशनों पर वाहनों की एंट्री को बाधित नहीं कर रही है। बल्कि इसके जरिए सरकार इन हिल स्टेशनों पर आने वाले वाहनों का डाटा, यात्रियों की संख्या और उनके यहां रुकने से जुड़ा डाटा इकट्ठा कर रही है।

E-Pass की फीस कितनी?जब ई-पास जारी किया जा रहा है तो जाहिर है फीस का प्रश्न भी उठता है। तो बता दें कि ई-पास के लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। हालांकि, नीलगिरी जिले में जाने पर जो पहले से एंट्री फीस लगती है, वह अब भी चुकानी होगी। सरकार इस तरह से जो डाटा इकट्ठा कर रही है, उससे भविष्य में ऊटी और कोडाईकनाल में विकासकार्यों के लिए निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

E-Pass की जरूरत किसे है?E-Pass लेने की जरूरत हर उस पर्यटक को होगी, जो इस गर्मी अपनी प्राइवेट गाड़ी से ऊटी और कोडाईकनाल आ रह है। यहां के मूल निवासियों को किसी तरह के ई-पास की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा जो लोग सरकारी बसों से यहां आ रहे हैं, उन्हें भी किसी तरह का ई-पास लेने की जरूरत नहीं है।

E-Pass के लिए कैसे अप्लाई करें?अगर आपका भी ऊटी और कोडाईकनाल जाने का कार्यक्रम है तो ई-पास लेने के लिए आपको आधिकारिक वेबसाइट epass.tnega.org पर जाना होगा। ऑनलाइन एप्लीकेशन में आपको अपनी जरूरी जानकारी भरनी होगी, जिसमें कुल यात्रियों की संख्या के साथ ही गाड़ी के बारे में जानकारी जैसे फ्यूल टाइप भी बताना होगा। इसके अलावा आने और जाने की तारीख, यहां आने का कारण और आपकी कॉन्टैक्ट इंफॉर्मेशन देना भी जरूरी है। एक बार जब आपकी एप्लीकेशन प्रोसेस हो जाएगी तो आपको ई-पास जारी कर दिया जाएगा, जिस पर यूनीक QR कोड भी होगा। इस कोड को ऊटी और कोडाईकनाल में एंट्री प्वाइंट पर वैरिफाइ किया जाएगा, ताकि ऑथराइज गाड़ियों के लिए यहां आवाजाही आसान हो।

ज्ञात हो कि पिछले साल ऊटी के मशूहर पर्यटन स्थल बॉटेनिकल गार्डन और बोट हाउस जैसी जगहों पर पर्यटकों की संख्या बहुत कम दर्ज की गई थी। टूर ऑपरेटरों ने यहां ट्रैफिक जाम से बचने के लिए लागू किए गए नए ट्रैफिक नियमों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। पिछले वर्ष सिर्फ छोटी गाड़ियों को ही शहर में एंट्री की छूट मिली थी। बाकि टैंपो ट्रैवलर और बसों की एंट्री सुबह 6 से रात 8 बजे तक इनकी एंट्री बंद थी।

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